वॉशिंगटन: अमेरिका के सबसे उन्नत और गुप्त लड़ाकू विमान F-22 रैप्टर को लेकर एक नया रहस्य उजागर हुआ है, जिसने वैश्विक रक्षा हलकों में उत्सुकता और चिंता दोनों बढ़ा दी हैं. यह रहस्य है विमान में छिपा 'किल स्विच' एक ऐसा सिस्टम जो जरूरत पड़ने पर विमान की सारी संवेदनशील जानकारी को खुद-ब-खुद खत्म कर सकता है.
जहां अमेरिका इसे अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी कदम बता रहा है, वहीं कुछ रक्षा विशेषज्ञ इस तकनीक को लेकर गंभीर सवाल उठा रहे हैं. क्या यह भविष्य की वॉर मशीनों का स्टैंडर्ड फीचर बन सकता है? या फिर यह दुर्घटनाओं की जांच में रोड़ा बन सकता है?
आइए, विस्तार से समझते हैं कि आखिर यह 'किल स्विच' क्या है, क्यों लगाया गया है, और इसके पीछे की रणनीति और विवाद क्या हैं.
क्या है F-22 का 'किल स्विच'?
F-22 रैप्टर पहले से ही दुनिया के सबसे आधुनिक और गोपनीय फाइटर जेट्स में गिना जाता है. इसकी तकनीक, रडार से बच निकलने की क्षमता (स्टील्थ), एवियोनिक्स और मिशन डेटा अब तक अमेरिका ने किसी देश को हस्तांतरित नहीं किया है. अब इस विमान में एक नया फीचर जोड़ा गया है जिसे ‘किल स्विच’ या स्वचालित डेटा-डिस्ट्रक्शन सिस्टम कहा जा रहा है.
यह कोई मैन्युअल बटन नहीं है, जिसे पायलट दबा दे. बल्कि यह पूरी तरह से सॉफ्टवेयर नियंत्रित, ऑटोमैटिक सिस्टम है, जो एक खास स्थिति में अपने-आप सक्रिय हो जाता है. जैसे ही विमान किसी गंभीर दुर्घटना, दुश्मन की सीमा में क्रैश या सिस्टम फेलियर का शिकार होता है, यह प्रणाली एक निश्चित प्रक्रिया के तहत विमान के सभी गोपनीय डेटा, फ्लाइट कोड, कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल और मिशन फाइल्स को या तो ओवरराइट कर देती है या उन्हें पूरी तरह नष्ट कर देती है.
F-22 में यह तकनीक क्यों जोड़ी गई?
F-22 रैप्टर कोई आम फाइटर जेट नहीं है. इसकी टैक्टिकल क्षमताएं, सेंसर्स, सिग्नल प्रोसेसिंग एल्गोरिदम और गुप्त सॉफ्टवेयर, ये सभी अमेरिका के लिए अत्यंत संवेदनशील हैं. इन्हें साझा करना तो दूर, दिखाना तक एक राष्ट्रीय सुरक्षा खतरा माना जाता है.
इसलिए अमेरिकी रक्षा विभाग चाहता है कि यदि किसी वजह से यह विमान शत्रु की सीमा में दुर्घटनाग्रस्त होता है या कब्जे में चला जाता है, तो उसकी तकनीक का दुरुपयोग न हो सके. क्योंकि अगर विरोधी देश जैसे रूस, चीन या ईरान इस विमान के कंप्यूटर सिस्टम तक पहुंचते हैं, तो वे उसकी तकनीक को कॉपी कर सकते हैं या साइबर एक्सप्लॉइटेशन के जरिए अमेरिका के दूसरे रक्षा प्लेटफॉर्म को खतरे में डाल सकते हैं.
इस खतरे से बचने के लिए ही “किल स्विच” को शामिल किया गया है, ताकि विमान में कुछ भी ‘रीकवर’ करने लायक बचा ही न रहे.
यह कितना प्रभावी और सुरक्षित है?
किल स्विच को AI-संचालित फेल-सेफ सिस्टम के रूप में विकसित किया गया है. यह केवल विशेष परिस्थितियों में ही एक्टिव होता है, जैसे:
जैसे ही कोई भी "ट्रिगर कंडीशन" पूरी होती है, सॉफ्टवेयर एक काउंटडाउन शुरू करता है और सभी संवेदनशील डेटा को मिटा देता है या 'ब्रिकिंग' यानी लॉक करने की प्रक्रिया शुरू करता है.
क्यों हो रही है विशेषज्ञों में चिंता?
जहां एक ओर यह प्रणाली सुरक्षा का एक मजबूत स्तंभ मानी जा रही है, वहीं दूसरी ओर इससे जुड़ी कुछ वास्तविक चिंताएं भी सामने आई हैं.
1. क्रैश जांच में बाधा
यदि विमान अमेरिका की ही जमीन पर दुर्घटनाग्रस्त होता है और किल स्विच सक्रिय हो जाता है, तो उस केस में फ्लाइट डेटा, ब्लैक बॉक्स जैसी जानकारी भी मिट सकती है. इससे दुर्घटना के कारणों की जांच मुश्किल हो जाएगी, और भविष्य में सुधार की संभावना भी कम हो सकती है.
2. गलत अलार्म पर एक्टिवेशन
तकनीकी गलती या सेंसर की खराबी के कारण अगर किल स्विच अनायास एक्टिव हो जाता है, तो इससे मिशन पर नकारात्मक असर पड़ सकता है. यह पायलट की सुरक्षा, मिशन की सफलता और पूरे मिशन कमांड नेटवर्क को खतरे में डाल सकता है.
3. ओवररिलायंस ऑन सॉफ्टवेयर
F-22 जैसी मशीनें सॉफ्टवेयर और कंप्यूटर कोर से चलती हैं. लेकिन जब निर्णय लेने का अधिकार एक मशीन को दिया जाए जैसे किल स्विच तो यह मानव विवेक की जगह ले लेता है. अगर उस सिस्टम में बग हो, तो नुकसान बड़ा हो सकता है.
क्या अन्य फाइटर जेट्स में भी होगी ऐसी तकनीक?
अब सवाल यह है कि क्या भविष्य में अमेरिका और अन्य देश भी इसी तरह के ऑटो-डिस्ट्रक्शन मैकेनिज्म को अपने विमानों, ड्रोन या मिसाइल सिस्टम में शामिल करेंगे? इसकी संभावना बहुत ज्यादा है.
ड्रोन युद्धों में यह तकनीक पहले ही अपनाई जा रही है. कई अनमैंड सिस्टम्स (जैसे MQ-9 Reaper) पहले से ही डेटा डिलीशन तकनीक से लैस हैं. अब जैसे-जैसे युद्ध अधिक तकनीक आधारित होते जा रहे हैं, ‘किल स्विच’ जैसी सुरक्षा तकनीकों को स्टैंडर्ड फीचर माना जाएगा.
F-22 रैप्टर: तकनीकी अद्वितीयता का प्रतीक
कुछ बातें F-22 रैप्टर को अन्य सभी विमानों से अलग बनाती हैं:
इन्हीं खूबियों के चलते अमेरिका ने इसे कभी निर्यात नहीं किया और इसकी तकनीक को बेहद सख्ती से संरक्षित रखा है.
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