Iran and Israel War: पानी की तरह पैसे बहा रहा इजराइल, रोजाना युद्ध में खर्च हो रहे 300 मिलियन डॉलर

    Iran and Israel War: मध्य पूर्व में हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं, जहां ईरान और इजरायल के बीच पिछले आठ दिनों से भीषण युद्ध चल रहा है. दोनों देश एक-दूसरे पर मिसाइल, ड्रोन और फाइटर जेट्स से हमले कर रहे हैं.

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    Iran and Israel War: मध्य पूर्व में हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं, जहां ईरान और इजरायल के बीच पिछले आठ दिनों से भीषण युद्ध चल रहा है. दोनों देश एक-दूसरे पर मिसाइल, ड्रोन और फाइटर जेट्स से हमले कर रहे हैं. इस दोतरफा संघर्ष ने इजरायल की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाला है. गाजा में हमास के खिलाफ लड़ाई के साथ-साथ ईरान के मोर्चे पर भी इजरायल को भारी सैन्य खर्च उठाना पड़ रहा है.

    शुरुआती दो दिनों में ही खर्च हुआ 125 अरब रुपये

    एक रिपोर्ट के अनुसार, युद्ध की शुरुआत के केवल 48 घंटों में ही इजरायल ने सैन्य अभियानों पर करीब 1.4 बिलियन डॉलर (लगभग 125 अरब रुपये) खर्च कर दिए. Ynet News की जानकारी के आधार पर Economic Times ने बताया कि इस शुरुआती खर्च में एयर स्ट्राइक, मिसाइल डिफेंस सिस्टम के उपयोग और जेट ऑपरेशनों की लागत शामिल थी.

    हर दिन खर्च हो रहे हैं 62 अरब रुपये

    जैसे-जैसे युद्ध आगे बढ़ा, इजरायल पर आर्थिक बोझ और बढ़ता गया. अब हर दिन देश को इस युद्ध के संचालन पर 725 मिलियन डॉलर (लगभग 62 अरब रुपये) खर्च करने पड़ रहे हैं. सरकारी आर्थिक विश्लेषकों के मुताबिक, केवल जेट फ्यूल और हथियारों पर ही प्रतिदिन 300 मिलियन डॉलर (26 अरब रुपये) तक का खर्च हो रहा है.

    रिजर्व सैनिकों को तैनात करने की कीमत

    देश को अपनी सेना की ताकत बढ़ाने के लिए रिजर्व फोर्स को एक्टिव ड्यूटी पर बुलाना पड़ा है. इन सैनिकों की तैनाती पर प्रतिदिन लगभग 27 मिलियन डॉलर (करीब 2.33 अरब रुपये) का खर्च हो रहा है.

    मिसाइल इंटरसेप्टर बना महंगा सौदा

    ईरान द्वारा दागी गई मिसाइलों को रोकने के लिए इजरायल को अपने एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स में इंटरसेप्टर्स का उपयोग करना पड़ रहा है, जिनकी लागत बेहद अधिक है. हर हमले को नाकाम करने में यह प्रणाली अहम भूमिका निभा रही है, लेकिन इसके इस्तेमाल से इजरायल का खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है.

    इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी भारी नुकसान

    युद्ध के दौरान ईरान द्वारा किए गए हमलों से इजरायल की कई इमारतें और सार्वजनिक ढांचे बर्बाद हो गए हैं. इनकी मरम्मत और पुनर्निर्माण पर भी भारी निवेश की आवश्यकता होगी, जो आने वाले समय में देश की आर्थिक स्थिति पर और दबाव डालेगा.

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