अमेरिका को ईरान का खौफ! मिडिल ईस्ट का सबसे बड़ा सैन्य अड्डा अब खाली, अमेरिका ने 40 मिलिट्री जेट हटाए

    अमेरिकी सेना ने पश्चिम एशिया के सबसे बड़े एयरबेस — कतर स्थित अल उदीद एयरबेस — से अपने लगभग सभी प्रमुख सैन्य विमान हटा लिए हैं.

    America afraid of Iran Middle East largest military base military jets
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    ईरान और इज़रायल के बीच छिड़ी जंग का असर अब अमेरिका की सैन्य रणनीति पर भी साफ दिखने लगा है. अमेरिकी सेना ने पश्चिम एशिया के सबसे बड़े एयरबेस — कतर स्थित अल उदीद एयरबेस — से अपने लगभग सभी प्रमुख सैन्य विमान हटा लिए हैं. यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब ईरान की ओर से इज़रायल पर मिसाइल हमले तेज हो चुके हैं और पूरे क्षेत्र में तनाव चरम पर है.

    सैटेलाइट तस्वीरों ने खोली पोल

    प्लैनेट लैब्स पीबीसी की 5 से 19 जून के बीच ली गई सैटेलाइट इमेजेस से साफ है कि जहां 5 जून को अल उदीद एयरबेस पर लगभग 40 अमेरिकी विमान — जिनमें C-130 हरक्यूलिस ट्रांसपोर्टर और एडवांस्ड टोही जेट शामिल थे — खुले में खड़े थे, वहीं 19 जून को सिर्फ तीन ही विमान बचे नजर आए. यानी एयरबेस अचानक लगभग खाली कर दिया गया है.

    सुरक्षा को लेकर बढ़ी चिंता

    कतर स्थित अमेरिकी दूतावास ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए एयरबेस की सुरक्षा बढ़ा दी गई है और वहाँ की पहुंच सीमित कर दी गई है. बेस पर तैनात सैन्य कर्मियों को भी अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं.

    अमेरिकी विमानों की गुप्त तैनाती?

    एएफपी द्वारा ओपन-सोर्स एविएशन डेटा का विश्लेषण बताता है कि 15 से 18 जून के बीच अमेरिका से यूरोप की ओर 27 मिलिट्री टैंकर विमान रवाना हुए हैं, जिनमें KC-46A पेगासस और KC-135 स्ट्रेटोटैंकर शामिल हैं. इनमें से सिर्फ दो विमान ही अमेरिका लौटे हैं, बाकी अभी भी यूरोप में मौजूद हैं. इन टैंकर विमानों की मौजूदगी यह इशारा कर रही है कि अमेरिका लंबी दूरी के संभावित सैन्य अभियानों की तैयारी कर रहा है.

    कतर एयरबेस क्यों खाली किया गया?

    पूर्व अमेरिकी लेफ्टिनेंट जनरल और रैंड कॉरपोरेशन के रक्षा विशेषज्ञ मार्क श्वार्ट्ज के मुताबिक, ईरान की सीमाओं के बेहद करीब स्थित होने के कारण अल उदीद एयरबेस पर तैनात विमान खतरे में थे. उन्होंने कहा कि यहां तक कि एक मामूली छर्रा भी किसी लड़ाकू विमान को मिशन के लिए अयोग्य बना सकता है. ऐसे में विमानों को हटाना एक रणनीतिक सुरक्षा उपाय है ताकि सैनिकों और उपकरणों दोनों को बचाया जा सके.

    ट्रंप अब भी निर्णय से दूर

    इस सबके बीच, इज़रायल और ईरान के बीच लड़ाई शुरू हुए एक सप्ताह बीत चुका है लेकिन अमेरिका ने अब तक प्रत्यक्ष रूप से हस्तक्षेप नहीं किया है. 19 जून को व्हाइट हाउस ने जानकारी दी कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अगले दो सप्ताह में इस विषय पर कोई फैसला ले सकते हैं.

    ये भी पढ़ेंः इजरायल-ईरान युद्ध के बीच पुतिन ने मिलाया जिनपिंग को फोन, अमेरिका की क्यों बढ़ गईं धड़कनें?