नई दिल्लीः 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत जवाबी कार्रवाई करते हुए जो एयरस्ट्राइक की, उसके असर की सच्चाई अब पाकिस्तान के अंदर से सामने आ रही है. पाकिस्तान वायुसेना की एक गोपनीय रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय वायुसेना के सीमित लेकिन सटीक हमलों ने पड़ोसी देश के कई अहम सैन्य और तकनीकी ढांचों को गंभीर नुकसान पहुंचाया है.
बड़े पैमाने पर नुकसान, खासकर रावलपिंडी एयरबेस को
‘द संडे गार्जियन’ की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उसे पाकिस्तान एयरफोर्स की इस इंटरनल रिपोर्ट की एक्सेस मिली है, जिसमें बताया गया है कि भारत के हमले के बाद न केवल सात एयरबेस बल्कि एयरफोर्स हेडक्वार्टर तक प्रभावित हुआ है. सबसे ज्यादा नुकसान रावलपिंडी स्थित नूर खान एयरबेस को पहुंचा है, जहां का डिजिटल सिस्टम पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है.
हवाई ठिकानों से लेकर साइबर नेटवर्क तक सब निशाने पर
भारतीय वायुसेना की कार्रवाई में कराची, इस्लामाबाद, सरगोधा, कामरा और लोधरान के एयरबेस भी प्रभावित हुए हैं. इन ठिकानों पर मौजूद कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम, संचार नेटवर्क, बिजली ग्रिड और साइबर इन्फ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचा है. रिपोर्ट में बताया गया है कि इन हमलों की वजह से पाकिस्तान को न केवल युद्धक विमानों की मरम्मत करनी पड़ रही है, बल्कि नई हाई-एंड टेक्नोलॉजी और पावर बैकअप सिस्टम की भी तत्काल जरूरत पड़ गई है.
इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर क्षमताएं भी ध्वस्त
सबसे चौंकाने वाला पहलू ये है कि पाकिस्तान की इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर क्षमता पर बड़ा असर पड़ा है. नूर खान एयरबेस से संचालित होने वाला इलेक्ट्रॉनिक जेट — डसॉल्ट फाल्कन DA-20 — क्षतिग्रस्त हुआ है. इसे पाकिस्तान की ‘ब्लाइंडर्स’ स्क्वाड्रन ऑपरेट करती है और यह दुश्मन की रडार व संचार प्रणालियों को जाम करने में सक्षम है. रिपोर्ट में M.M. आलम एयरबेस पर इस सिस्टम के पूरी तरह नष्ट हो जाने की बात कही गई है.
मरम्मत के लिए भारी भरकम डिमांड
रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान एयरफोर्स को अब अपनी क्षमताएं बहाल करने के लिए उन्नत प्रोसेसर, ग्राफिक यूनिट, डेटा स्टोरेज सर्वर और हाई कैपेसिटी जनरेटर की सख्त जरूरत है. इसके लिए नूर खान, मुशाफ, मिन्हास और इस्लामाबाद बेस ने भारी भरकम टेक्निकल उपकरणों की मांग भेजी है.
सीमित कार्रवाई, लेकिन स्पष्ट संदेश
भले ही भारत की यह कार्रवाई सीमित थी, लेकिन इससे पाकिस्तान को एक सख्त संदेश दिया गया है कि अगर हालात हाथ से निकले तो भारत के पास ज्यादा घातक विकल्प मौजूद हैं. यह ऑपरेशन सिर्फ जवाबी कार्रवाई नहीं, बल्कि रणनीतिक तौर पर पाकिस्तान की सैन्य क्षमताओं को कमजोर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रहा.
ये भी पढ़ेंः रडार को चकमा देकर सीधे भारत-अमेरिका में घुसने की प्लानिंग, हाइपरसोनिक ड्रोन नेटवर्क से क्या करना चाहता है चीन?