भारत-पाकिस्तान सीजफायर, अब चीन-अमेरिका की बैठक... क्या ट्रंप-जिनपिंग के बीच सब ठीक हो जाएगा?

    स्विट्जरलैंड के कोलोग्नी क्षेत्र के एक शांत विला में अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट और व्यापार प्रतिनिधि जेमीसन ग्रीर की अगुवाई में यह बैठक संपन्न हुई.

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    ट्रंप-जिनपिंग | Photo: ANI

    वाशिंगटनः दुनिया की दो सबसे बड़ी आर्थिक ताकतें — अमेरिका और चीन — अब शायद टकराव से समझदारी की ओर बढ़ रही हैं. जिनेवा में हुई दो दिवसीय उच्च स्तरीय बातचीत के बाद दोनों देशों के बीच एक अहम व्यापार समझौते पर सहमति बन गई है. इस समझौते ने न केवल वैश्विक वित्तीय बाजारों को राहत दी है, बल्कि लंबे समय से जारी व्यापार युद्ध में भी ठंडी हवा का संकेत दिया है.

    'बातचीत बेहद सकारात्मक रही'

    स्विट्जरलैंड के कोलोग्नी क्षेत्र के एक शांत विला में अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट और व्यापार प्रतिनिधि जेमीसन ग्रीर की अगुवाई में यह बैठक संपन्न हुई. रविवार को वार्ता के समापन के बाद बेसेंट ने कहा, “बातचीत बेहद सकारात्मक रही है और हमने महत्वपूर्ण प्रगति की है. सोमवार को हम इस संबंध में और विस्तार से जानकारी साझा करेंगे.”

    इस बातचीत की मेजबानी करने के लिए स्विस सरकार को धन्यवाद देते हुए बेसेंट ने कहा कि यह समझौता व्यापार घाटे और बढ़ते टैरिफ युद्ध को थामने की दिशा में बड़ा कदम है. 12 मई को अमेरिका और चीन मिलकर एक संयुक्त बयान जारी करने जा रहे हैं, जिसे इस वार्ता का औपचारिक निष्कर्ष माना जाएगा.

    'अमेरिका ने जिनेवा में चीन व्यापार समझौते की घोषणा की'

    इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी अपने सोशल मीडिया मंच 'ट्रुथ सोशल' पर इस समझौते की जानकारी साझा करते हुए लिखा, “ब्रेकिंग: अमेरिका ने जिनेवा में चीन व्यापार समझौते की घोषणा की.” उन्होंने अपने संदेश में व्हाइट हाउस को भी टैग किया, जिससे संकेत मिला कि यह समझौता वाशिंगटन के लिए एक कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा सकता है.

    हालांकि बीजिंग की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन उसकी सरकारी मीडिया ने साफ कहा है कि चीन ऐसा कोई भी समझौता नहीं मानेगा जो “मूल सिद्धांतों से समझौता करे या वैश्विक समानता को नुकसान पहुंचाए.”

    विशेषज्ञ मानते हैं कि इस समझौते से अमेरिकी और चीनी कंपनियों को राहत मिल सकती है, खासकर उन कंपनियों को जो दोनों देशों के बीच आयात-निर्यात पर निर्भर हैं. यदि भारी भरकम टैरिफ में कटौती होती है, तो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में भी स्थिरता लौट सकती है.

    गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन के दौरान अमेरिका ने चीनी वस्तुओं पर उच्च टैरिफ (145%) लगा दिए थे, जिसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर 125% शुल्क ठोक दिया था. इसी से दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध छिड़ गया था. अब जब जिनेवा की बैठक के बाद माहौल कुछ सकारात्मक हुआ है, तो उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में इन टैरिफों में भी नरमी देखने को मिल सकती है — और साथ ही साथ दुनिया भर की अर्थव्यवस्था को एक नया संबल मिलेगा.

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