India Replacing Russia In Defense: भारत उन देशों को टारगेट कर रहा है, जो पहले रूस से हथियार खरीदते थे, लेकिन अब रूस की यूक्रेन के साथ जंग की वजह से उन्हें नए विकल्प तलाशने पड़ रहे हैं. भारत इस मौके का फायदा उठाना चाहता है. ये बातें रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में सामने आई हैं.
भारत अब सिर्फ हथियार खरीदता नहीं, बेचने की भी कोशिश कर रहा है
भारत, यूक्रेन के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार खरीदता है. लेकिन अब सरकार चाहती है कि भारत हथियार बेचे भी. इसके लिए भारत ने EXIM बैंक के जरिए उन देशों को कर्ज देना शुरू किया है जो भारत से हथियार खरीदना चाहते हैं. EXIM बैंक उन देशों को कम ब्याज दर और लंबी अवधि वाले लोन देगा, जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है या जो राजनीतिक रूप से अस्थिर हैं. ऐसे देशों को आमतौर पर बैंकों से महंगा कर्ज मिलता है या फिर कर्ज मिलता ही नहीं.
EXIM बैंक को क्यों चुना गया?
भारत के ज्यादातर बैंक हथियारों की खरीद-फरोख्त में दिलचस्पी नहीं लेते, खासकर उन देशों के साथ जहां जोखिम ज्यादा है. इसलिए सरकार ने EXIM बैंक को ये जिम्मेदारी दी. एक भारतीय राजनयिक ने बताया कि पहले भारत को फ्रांस, तुर्की और चीन जैसे देशों से पीछे रहना पड़ा क्योंकि वे सिर्फ हथियार नहीं बेचते थे, बल्कि लोन भी देते थे. अब भारत भी उसी रास्ते पर चल पड़ा है. भारत ने हाल ही में ब्राजील में EXIM बैंक की एक ब्रांच खोली है और अब आकाश मिसाइल ब्राजील को बेचने की बातचीत चल रही है.
रूस-यूक्रेन जंग से भारत को कैसे फायदा मिला?
2022 में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया, तो अमेरिका और रूस दोनों ने अपने हथियार युद्ध में झोंक दिए. इससे कई देशों को नए विकल्पों की तलाश शुरू करनी पड़ी. भारत इस मौके को पहचान गया. भारत के पास पश्चिमी देशों और रूस दोनों के हथियारों का अनुभव है, इसलिए भारत इन देशों की जरूरतों को अच्छी तरह समझ सकता है. अब भारत उन देशों से संपर्क बढ़ा रहा है, जो रूस और अमेरिका से हथियार खरीदते थे. भारत उनके साथ सैन्य अभ्यास कर रहा है और अपनी उन्नत तकनीक जैसे हेलिकॉप्टर और तोपें भी दिखा रहा है.
भारत के हथियार क्यों सस्ते हैं?
भारत में बने हथियार अंतरराष्ट्रीय बाजार की तुलना में काफी सस्ते हैं. भारत में बना 155 मिमी का तोप गोला 300-400 डॉलर में तैयार हो जाता है, जबकि यही गोला यूरोप में 3,000 डॉलर में बिकता है. भारत में बनी होवित्जर तोप 25 करोड़ में बेची गई है, जो यूरोप की तुलना में लगभग आधी कीमत पर है.
भारत का लक्ष्य
भारत ने 2023-24 में करीब ₹1.27 लाख करोड़ के हथियार बनाए. यह 2020 के मुकाबले 62% ज्यादा है. सरकार का लक्ष्य है कि 2029 तक भारत का रक्षा निर्यात 6 बिलियन डॉलर (करीब ₹50,000 करोड़) तक पहुंचे. अब सिर्फ सरकारी कंपनियां ही नहीं, बल्कि निजी कंपनियां जैसे अडाणी डिफेंस और SMPP भी उन्नत हथियार बना रही हैं.