जगदीप धनखड़ ने अनुच्छेद 142 को क्यों कहा न्यूक्लियर मिसाइल? इस फैसले पर भड़के उपराष्ट्रपति

    उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में न्यायपालिका (जजों) की भूमिका को लेकर गंभीर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि जज अब कानून बनाने लगे हैं, कार्यपालिका (सरकार) का काम भी खुद कर रहे हैं और खुद को "सुपर संसद" की तरह पेश कर रहे हैं – जो संविधान की आत्मा के खिलाफ है.

    जगदीप धनखड़ ने अनुच्छेद 142 को क्यों कहा न्यूक्लियर मिसाइल? इस फैसले पर भड़के उपराष्ट्रपति
    Image Source: ANI

    नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में न्यायपालिका (जजों) की भूमिका को लेकर गंभीर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि जज अब कानून बनाने लगे हैं, कार्यपालिका (सरकार) का काम भी खुद कर रहे हैं और खुद को "सुपर संसद" की तरह पेश कर रहे हैं – जो संविधान की आत्मा के खिलाफ है.

    क्या बोले उपराष्ट्रपति?

    धनखड़ ने कहा कि "हमने ऐसा लोकतंत्र कभी नहीं सोचा था जहाँ जज कानून भी बनाएंगे, प्रशासन का काम भी खुद करेंगे और संसद की जगह खुद फैसले लेंगे." उन्हें हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर आपत्ति है, जिसमें अदालत ने राष्ट्रपति को तीन महीने के अंदर किसी भी बिल (विधेयक) को मंजूरी देने या खारिज करने के लिए कहा है. उन्होंने पूछा  कि "क्या सुप्रीम कोर्ट को राष्ट्रपति को आदेश देने का हक है? ये तो संविधान के खिलाफ है."

    अनुच्छेद-142 को बताया "न्यायपालिका की न्यूक्लियर मिसाइल"

    धनखड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जिस अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल कर रहा है, वह अब एक तरह से "न्यूक्लियर मिसाइल" बन चुका है, जिसका इस्तेमाल सीधे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को दरकिनार करने के लिए किया जा रहा है. उपराष्ट्रपति बोले कि राष्ट्रपति भारत के सबसे ऊंचे संवैधानिक पद पर हैं और उन्हें किसी अदालत से आदेश नहीं दिया जा सकता. "राष्ट्रपति संविधान की रक्षा करने की शपथ लेते हैं, जबकि बाकी लोग केवल पालन की."

    दिल्ली के जज के घर की घटना पर सवाल

    उन्होंने मार्च में दिल्ली में एक जज के घर पर हुई घटना का जिक्र करते हुए पूछा कि "आखिर 7 दिन तक किसी को क्यों पता नहीं चला?" उन्होंने यह भी पूछा कि अगर कानून के अनुसार किसी भी अपराध की एफआईआर जरूरी है, तो यहां क्यों नहीं हुई? "क्या जजों को कानून से ऊपर रखा गया है?"

    "तीन जजों की समिति क्या कर सकती है?"

    उपराष्ट्रपति ने कहा कि मामले की जांच तीन जजों की समिति कर रही है, लेकिन उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इस समिति को कोई संवैधानिक या कानूनी आधार मिला है? क्या संसद ने इसकी मंजूरी दी है? क्या जज जांच कर सकते हैं? "जांच करना न्यायपालिका का नहीं, सरकार (कार्यपालिका) का काम है. ये समिति कोई भी सिफारिश कर सकती है, लेकिन अंतिम फैसला तो संसद को ही करना होगा." उपराष्ट्रपति ने साफ कहा कि "देश में कानून सभी पर लागू होना चाहिए – चाहे वह कोई जज हो, मंत्री हो या सांसद. अगर कुछ लोगों को कानून से ऊपर मान लिया जाए, तो ये लोकतंत्र और संविधान दोनों के लिए खतरनाक है."