अफगानिस्तान के हिंदू कुश पर्वतीय क्षेत्र में मंगलवार तड़के भूकंप के तेज झटकों ने एक बार फिर इस संवेदनशील क्षेत्र की भूकंपीय अस्थिरता को उजागर कर दिया. भारतीय समयानुसार सुबह 4:43 बजे आए इस भूकंप की तीव्रता 5.9 मापी गई, जिसकी पुष्टि नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) ने की है. एनसीएस के मुताबिक, भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान में जमीन से करीब 75 किलोमीटर की गहराई में स्थित था. इसके झटके तिब्बत, बांग्लादेश और भारत के जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में भी महसूस किए गए.
भूकंप की संवेदनशील पट्टी पर फिर संकट
यह क्षेत्र पहले से ही भूगर्भीय रूप से अत्यंत सक्रिय माना जाता है. अफगानिस्तान भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट्स के मिलन बिंदु पर स्थित है, जहां कई फॉल्ट लाइनों से होकर ऊर्जा बार-बार सतह पर आती है. इनमें से एक प्रमुख फॉल्ट लाइन हेरात शहर के आसपास से गुजरती है, जो इसे विशेष रूप से संवेदनशील बनाती है.
UNOCHA ने जताई चिंता
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (UNOCHA) ने इस भूकंप को लेकर गहरी चिंता जताई है. संगठन का कहना है कि अफगानिस्तान में बार-बार आने वाली प्राकृतिक आपदाएं—जैसे भूकंप, बाढ़ और भूस्खलन—पहले से ही संघर्षों से जूझ रहे समुदायों पर भारी असर डालती हैं. इन घटनाओं से आम लोगों की जीवन-शैली, सुरक्षा और बुनियादी ढांचे पर गंभीर प्रभाव पड़ता है.
रेड क्रॉस ने भी चेताया
रेड क्रॉस ने अपनी रिपोर्ट में अफगानिस्तान को "भूकंपीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील" बताते हुए कहा कि देश का भूगोल ही यहां बार-बार आने वाले भूकंपों के लिए ज़िम्मेदार है. हिंदू कुश क्षेत्र विशेष रूप से हर साल दर्जनों हल्के और कई बार विनाशकारी भूकंपों का केंद्र बनता है.
स्थानीय स्तर पर राहत और प्रतिक्रिया
फिलहाल किसी बड़ी जान-माल की हानि की सूचना नहीं मिली है, लेकिन अधिकारियों ने राहत एजेंसियों को अलर्ट पर रखा है. ऐसे क्षेत्रों में पहले से ही आपदा प्रबंधन की क्षमता सीमित होती है, जिससे राहत कार्यों में अतिरिक्त चुनौती आती है.
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