'पाकिस्तान के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए...', असदुद्दीन ओवैसी ने पहलगाम हमले पर क्या कहा?

    ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार की कड़ी प्रतिक्रिया का समर्थन करते हुए कहा है कि अब वक्त आ गया है कि पाकिस्तान को स्पष्ट और निर्णायक जवाब दिया जाए.

    Asaduddin Owaisi statement Pahalgam attack
    असदुद्दीन ओवैसी | Photo: ANI

    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद देशभर में ग़ुस्से की लहर है. इस बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार की कड़ी प्रतिक्रिया का समर्थन करते हुए कहा है कि अब वक्त आ गया है कि पाकिस्तान को स्पष्ट और निर्णायक जवाब दिया जाए.

    सिंधु जल संधि पर ओवैसी का समर्थन

    ओवैसी ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने के फैसले को "साहसिक और ज़रूरी कदम" बताया, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने एक अहम सवाल भी उठाया. उन्होंने कहा, "अगर हम पाकिस्तान को पानी नहीं देंगे, तो उसे कहां संग्रहित करेंगे? सरकार को इसके लिए भी योजना बनानी चाहिए."

    अंतरराष्ट्रीय कानून और भारत की रणनीति

    ओवैसी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून भारत को आत्मरक्षा के तहत वायु, समुद्री नाकेबंदी और हथियारों की बिक्री पर प्रतिबंध जैसे सख्त कदम उठाने की अनुमति देता है. उन्होंने केंद्र से अपील की है कि अब 'रणनीतिक नरमी' का दौर खत्म होना चाहिए और पाकिस्तान के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए.

    कश्मीरियों के खिलाफ माहौल बनाने से परहेज़ की सलाह

    ओवैसी ने इस हमले के बाद कश्मीरियों और घाटी के छात्रों के खिलाफ झूठे प्रचार पर भी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि आतंकवाद की कड़ी निंदा होनी चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि निर्दोष नागरिकों को बदनाम या परेशान किया जाए.

    राजनीतिक एकजुटता

    इस मुद्दे पर हुई सर्वदलीय बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सांसद राहुल गांधी समेत कई प्रमुख नेताओं ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर खड़े होने की प्रतिबद्धता जताई.

    गौरतलब है कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पर हुए आतंकवादी हमले में 26 लोगों की दर्दनाक मौत हुई थी. इस हमले की जिम्मेदारी TRF (द रेजिस्टेंस फ्रंट) ने ली थी, जिसे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा माना जाता है.

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