भारतीय सेना के साथ मिलकर काम करना चाहता है चीन, अचानक करने लगा शांति की मांग, क्यों बदले PLA के सुर?

    अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध एक नई ऊंचाई पर पहुंच गया है, जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीनी वस्तुओं पर 104% टैरिफ लगा दिया है. इस कड़े आर्थिक कदम का असर चीन की नीतियों पर साफ दिखाई दे रहा है, और अब बीजिंग भारत के साथ सहयोग बढ़ाने के संकेत दे रहा है.

    China wants to work together with the Indian Army suddenly started demanding peace why did PLAs tone change
    चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता झांग शियाओगांग/Photo- X

    बीजिंग: अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध एक नई ऊंचाई पर पहुंच गया है, जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीनी वस्तुओं पर 104% टैरिफ लगा दिया है. इस कड़े आर्थिक कदम का असर चीन की नीतियों पर साफ दिखाई दे रहा है, और अब बीजिंग भारत के साथ सहयोग बढ़ाने के संकेत दे रहा है. चीन ने न केवल भारत से समर्थन मांगा है, बल्कि उसके रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के साथ सहयोग को लेकर सकारात्मक बयान दिए हैं.

    भारत-चीन सहयोग पर चीन का रुख

    चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता झांग शियाओगांग के अनुसार, चीन और भारत के बीच राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ को चिन्हित करने के लिए दोनों देशों के राष्ट्रपतियों ने शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान किया है. उन्होंने कहा कि दोनों देश, जो प्राचीन सभ्यताओं और विकासशील देशों के प्रमुख सदस्य हैं, आधुनिकीकरण के दौर में प्रवेश कर रहे हैं.

    सीमा शांति और सैन्य सहयोग

    झांग ने यह भी कहा कि चीनी सेना, दोनों देशों के नेताओं की सहमति के अनुरूप, आपसी संवाद और रणनीतिक विश्वास को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है. उनका कहना है कि सीमा क्षेत्रों में स्थिरता बनाए रखने और क्षेत्रीय शांति सुनिश्चित करने के लिए चीन भारत के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है.

    अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव

    अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ के चलते चीन के आर्थिक हित प्रभावित हुए हैं. इसी संदर्भ में, भारत में चीनी दूतावास के प्रवक्ता यू जिंग ने बयान दिया कि अमेरिका की टैरिफ नीतियों के खिलाफ भारत और चीन को एक साथ खड़ा होना चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों देशों के आर्थिक और व्यापारिक संबंध आपसी लाभ और पूरकता पर आधारित हैं, और ऐसे कठिन समय में सहयोग की आवश्यकता पहले से अधिक है.

    भविष्य की दिशा

    यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत चीन के इस सहयोग प्रस्ताव को किस तरह से लेता है. हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच संबंधों में कई उतार-चढ़ाव आए हैं, खासकर सीमा विवाद को लेकर. हालांकि, बदलते वैश्विक परिदृश्य और अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध की पृष्ठभूमि में, भारत के लिए यह एक रणनीतिक अवसर हो सकता है. भारत को यह तय करना होगा कि वह चीन के साथ अपने संबंधों को कैसे संतुलित करता है, खासकर तब जब वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव हो रहे हैं.

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