'न जंग चाहते न साजिश रचते', ' ट्रंप के टैरिफ पर ड्रैगन का मुंह तोड़ जवाब!

    रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर वैश्विक कूटनीतिक टकराव और तेज़ हो गया है. जहां एक ओर अमेरिका ने यूरोपीय यूनियन और जी-7 देशों से रूसी तेल खरीदारों पर कड़े टैरिफ लगाने की मांग की है, वहीं दूसरी ओर चीन ने इस पर सख्त प्रतिक्रिया दी है.

    China remarks on america 100 percent tariff we do not plan any engage in war
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    रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर वैश्विक कूटनीतिक टकराव और तेज़ हो गया है. जहां एक ओर अमेरिका ने यूरोपीय यूनियन और जी-7 देशों से रूसी तेल खरीदारों पर कड़े टैरिफ लगाने की मांग की है, वहीं दूसरी ओर चीन ने इस पर सख्त प्रतिक्रिया दी है.

    चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने शनिवार को स्पष्ट शब्दों में कहा कि चीन न तो युद्धों की योजना बनाता है और न ही उनमें हिस्सा लेता है. उन्होंने कहा कि आर्थिक प्रतिबंध और दबाव की रणनीति से समाधान नहीं निकलते, बल्कि इससे वैश्विक हालात और उलझते हैं.

    ट्रंप की अपील: “रूसी तेल खरीद रोकें, चीन पर टैरिफ लगाएं”

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक औपचारिक पत्र के माध्यम से नाटो देशों और जी-7 सहयोगियों से आग्रह किया है कि वे रूस पर एकजुट होकर आर्थिक दबाव बनाएं. ट्रंप ने लिखा “मैं रूस पर सख्त प्रतिबंध लगाने को तैयार हूं, जब सभी नाटो देश एक साथ खड़े हों और रूसी तेल की खरीद बंद कर दें. क्या आप तैयार हैं? मैं तैयार हूं.” उन्होंने चीन पर 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने की भी अपील की, ताकि रूस को आर्थिक रूप से कमजोर किया जा सके और उसे यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए मजबूर किया जा सके. ट्रंप ने इस बात पर चिंता जताई कि कुछ नाटो देश अब भी रूस से तेल खरीद रहे हैं, जिससे पश्चिमी देशों की सामूहिक वार्ता की स्थिति कमजोर हो रही है.

    भारत और चीन को लेकर विशेष चिंता

    अमेरिका पहले ही भारत से आने वाले रूसी तेल पर टैरिफ लगा चुका है. हालांकि चीन को अब तक ऐसी किसी सीधी कार्रवाई का सामना नहीं करना पड़ा है, जबकि चीन रूस का सबसे बड़ा तेल ग्राहक बना हुआ है. 2024 में चीन ने 109 मिलियन टन तेल रूस से आयात किया जो उसकी कुल ऊर्जा जरूरत का लगभग 20% है. अमेरिका का मानना है कि यह खरीदारी रूस की युद्ध-आधारित अर्थव्यवस्था को जिंदा रखे हुए है. इसी के तहत अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट और व्यापार प्रतिनिधि राजदूत जैमीसन ग्रीर ने जी-7 देशों से मांग की कि वे भी भारत और चीन जैसे देशों पर सख्त टैरिफ लगाएं, ताकि रूस की फंडिंग रुक सके.

    बीजिंग की आपत्ति: “प्रतिबंध नहीं, सहयोग चाहिए”

    स्लोवेनिया की यात्रा पर पहुंचे चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने ट्रंप के बयान पर करारा जवाब दिया. उन्होंने कहा “बीजिंग किसी भी युद्ध का समर्थन नहीं करता और न ही उसका हिस्सा बनता है. युद्ध समाधान नहीं है, और आर्थिक प्रतिबंध केवल वैश्विक स्थिति को अधिक जटिल बनाते हैं.” इससे पहले वांग यी ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ बातचीत में भी यही संदेश दोहराया था कि चीन और अमेरिका को मूलभूत सहयोग और स्थिरता की दिशा में काम करना चाहिए.

    जी-7 के साथ सामूहिक रणनीति की कोशिश

    अमेरिका ने अपने सभी प्रमुख सहयोगियों — कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और यूनाइटेड किंगडम — से कहा है कि चीन और भारत जैसे देशों पर दबाव बनाना जरूरी है, जो अब भी रूस से ऊर्जा खरीद जारी रखे हुए हैं. स्कॉट बेसेंट ने साफ कहा “यदि हम रूस की युद्ध अर्थव्यवस्था को रोकना चाहते हैं, तो हमें एकजुट होना होगा. अलग-अलग प्रतिबंध पर्याप्त नहीं हैं.”

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