परमाणु ताकत की होड़ में चीन की तेज़ी, 2030 तक 1,000 वॉरहेड्स की रफ्तार, भारत के लिए बढ़ती चुनौती

    जहां वैश्विक परमाणु शक्ति संतुलन दशकों से अमेरिका और रूस के बीच केंद्रित रहा है, अब चीन भी इस फेहरिस्त में बेहद तेज़ी से ऊपर चढ़ता दिखाई दे रहा है. हालिया अंतरराष्ट्रीय और पेंटागन रिपोर्टों के अनुसार, चीन के पास फिलहाल 600 से अधिक परमाणु हथियार हैं, और यह संख्या 2030 तक 1,000 से ज्यादा हो सकती है.

    China nuclear arsenal 2025 SIPRI report
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    जहां वैश्विक परमाणु शक्ति संतुलन दशकों से अमेरिका और रूस के बीच केंद्रित रहा है, अब चीन भी इस फेहरिस्त में बेहद तेज़ी से ऊपर चढ़ता दिखाई दे रहा है. हालिया अंतरराष्ट्रीय और पेंटागन रिपोर्टों के अनुसार, चीन के पास फिलहाल 600 से अधिक परमाणु हथियार हैं, और यह संख्या 2030 तक 1,000 से ज्यादा हो सकती है.

    तीन वर्षों में 320 से अधिक मिसाइल साइलो तैयार

    चीन ने अपने परमाणु बुनियादी ढांचे का विस्तार अभूतपूर्व स्तर पर किया है. अब तक 320 से ज्यादा ICBM (इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल) साइलो बन चुके हैं, जिनमें ठोस और तरल ईंधन वाली मिसाइलों जैसे DF-5 और DF-41 की तैनाती संभावित है. इस विस्तार से साफ है कि चीन अब केवल क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि वैश्विक परमाणु महाशक्ति बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है.

    'न्यूक्लियर ट्रायड' की ओर चीन का मजबूत झुकाव

    चीन अपने तीनों रणनीतिक प्लेटफॉर्म जमीन, हवा और समुद्र से परमाणु हमले करने की क्षमता को मज़बूती से विकसित कर रहा है. DF-26 जैसी मध्यम दूरी की मिसाइलें अब DF-21 की जगह ले रही हैं. परमाणु हथियारों से लैस बॉम्बर्स को एयर-लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए तैयार किया जा रहा है. साथ ही, पनडुब्बियों से लॉन्च की जाने वाली मिसाइलों की संख्या और गुणवत्ता दोनों में सुधार किया गया है.

    यूरेनियम और प्लूटोनियम स्टॉक: भविष्य की तैयारी

    चीन के पास अब करीब 14 टन HEU (हाई एनरिच्ड यूरेनियम) और 2.9 टन प्लूटोनियम है—यह दोनों ही सामग्रियां भविष्य में बड़ी संख्या में परमाणु हथियारों के निर्माण में सक्षम बनाती हैं. इसके अलावा, गांसू प्रांत में चीन का पहला प्लूटोनियम रीसाइक्लिंग प्लांट भी लगभग पूरा हो चुका है, जो 2025 तक चालू हो सकता है.

    पारदर्शिता की भारी कमी, वैश्विक चिंताएं गहराईं

    जहां अमेरिका और रूस अपने परमाणु कार्यक्रमों के कई पहलुओं को सार्वजनिक करते हैं, वहीं चीन की रणनीति रहस्यवाद पर आधारित है. न कोई परीक्षण विवरण, न ही आधिकारिक आंकड़ों की पुष्टि यह अस्पष्टता गलती से हुई प्रतिक्रिया (Launch-on-Warning) जैसे खतरों को और बढ़ा देती है.

    शक्ति संतुलन में संभावित बदलाव

    रिपोर्टें बताती हैं कि अगर चीन इसी रफ्तार से परमाणु हथियारों का भंडार बढ़ाता रहा, तो वह अमेरिका और रूस के बराबर की सामरिक ताकत हासिल कर सकता है. इससे राजनयिक समीकरण, रक्षा नीतियां और वैश्विक निर्णय प्रक्रिया पूरी तरह बदल सकती है.

    भारत के लिए नई रणनीतिक चुनौती

    भारत अब भी अपनी ‘No First Use’ नीति पर कायम है और उसके पास अनुमानित 160 परमाणु हथियार हैं. जबकि चीन और पाकिस्तान दोनों इससे आगे निकल चुके हैं. SIPRI की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार. चीन: ~600 हथियार (और बढ़ते हुए), पाकिस्तान: ~160 हथियार. चीन की अपारदर्शिता, उसके बढ़ते मिसाइल बेस, और परमाणु हथियारों की तेज़ी से बढ़ती संख्या, भारत की सुरक्षा नीति और रणनीतिक सोच के लिए एक बड़ा सिरदर्द बनते जा रहे हैं.

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