चीन का रहस्यमय उपग्रह Shiyan-28B: छह दिन बाद क्यों ‘जागा’? दुनिया में मचा हड़कंप

    3 जुलाई को चीन ने अपने शिचांग सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से Shiyan-28B 01 उपग्रह को लॉन्च किया, लेकिन इसके बाद जो हुआ, वह हैरान करने वाला था.

    China mysterious satellite Shiyan28B after six days
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    3 जुलाई को चीन ने अपने शिचांग सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से Shiyan-28B 01 उपग्रह को लॉन्च किया, लेकिन इसके बाद जो हुआ, वह हैरान करने वाला था. यह उपग्रह आमतौर पर लॉन्च के 24 से 48 घंटे के भीतर ट्रैक हो जाता है, लेकिन यह छह दिन तक किसी भी स्पेस ट्रैकिंग सिस्टम पर नजर नहीं आया. जब 9 जुलाई को आखिरकार यह उपग्रह फिर से नजर आया, तो पूरी दुनिया चौंक गई.

    छह दिन की चुप्पी

    अमेरिकी स्पेस फोर्स की स्पेस डोमेन अवेयरनेस यूनिट ने 9 जुलाई को Shiyan-28B 01 को 794×796 किलोमीटर की कक्षा में ट्रैक किया. जो सबसे चौंकाने वाली बात सामने आई, वह यह थी कि इस उपग्रह की कक्षा की झुकाव दर (Inclination) केवल 11 डिग्री थी. जबकि लॉन्च के समय इसकी झुकाव दर 35 डिग्री मानी जा रही थी. इसका मतलब यह है कि लॉन्च के बाद उपग्रह को ले जाने वाले रॉकेट ने उड़ान के दौरान दिशा बदली और तीन बार बर्न करके झुकाव को कम किया. यह सामान्य नहीं है.

    क्या यह सैन्य उद्देश्य से जुड़ा है?

    स्पेस एक्सपर्ट जोनाथन मैकडॉवेल के मुताबिक, चीन ने पहले कभी इतनी कम झुकाव वाली कक्षा का उपयोग नहीं किया है. यह कक्षा सीधे दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर के ऊपर से गुजरती है, जो बहुत ही रणनीतिक स्थान हैं. इससे यह संकेत मिलता है कि इसका उद्देश्य केवल 'टेक्नोलॉजी टेस्टिंग' नहीं, बल्कि निगरानी (Surveillance) या सैन्य उद्देश्यों से जुड़ा हो सकता है.

    Shiyan सीरीज

    चीन के Shiyan सैटेलाइट पहले भी रहस्यमय माने जाते रहे हैं. चीन दावा करता है कि ये उपग्रह ‘स्पेस एनवायरनमेंट’ को स्टडी करने के लिए भेजे गए हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इनमें से कई उपग्रह सैन्य उद्देश्यों से जुड़े होते हैं. हाल ही में, चीन के दो सैटेलाइट्स ने एक खास डॉकिंग ऑपरेशन किया, जिससे ऑर्बिटल रिफ्यूलिंग यानी कक्षा में रहते हुए ईंधन भरने की तकनीक का प्रयोग हुआ. यह तकनीक उपग्रहों की ऑपरेशनल उम्र बढ़ा सकती है और लगातार सैन्य निगरानी बनाए रख सकती है.

    NASA की निगरानी

    अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA भी इस उपग्रह की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है. चीन की बढ़ती स्पेस ताकत और गुप्त मिशन कई देशों के लिए चिंता का कारण बन चुके हैं. चीन न सिर्फ चंद्रमा और मंगल पर सैंपल भेजने की योजना बना रहा है, बल्कि वह अपने गुप्त मिशनों के जरिए Earth's Orbit में भी अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहा है. इस बढ़ती ताकत से वैश्विक संतुलन पर असर पड़ सकता है.

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