नई दिल्ली: अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए गए भारी टैरिफ का असर अब वैश्विक व्यापार पर स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है. अमेरिकी बाजार में बढ़ती लागत और मांग में संभावित गिरावट से चिंतित चीनी कंपनियां अब भारत जैसे तेजी से बढ़ते बाजारों में अपने निवेश और साझेदारी को लेकर नए सिरे से रणनीति बना रही हैं. इस बदलाव से भारत को अप्रत्याशित लाभ मिलने की संभावना है.
बदलते समीकरण: भारत की ओर झुकाव
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुरू किए गए टैरिफ वॉर के कारण चीन की बड़ी कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार में टिके रहना चुनौतीपूर्ण हो गया है. यही कारण है कि वे भारत को एक सुरक्षित और आकर्षक विकल्प के रूप में देख रही हैं. भारतीय कंपनियों के साथ जॉइंट वेंचर में अब चीनी कंपनियां अपनी हिस्सेदारी को कम करने के लिए भी तैयार हो गई हैं — जो पहले उनके लिए एक बड़ी बाधा मानी जाती थी.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, भगवती प्रोडक्ट्स के निदेशक राजेश अग्रवाल ने कहा, "चीनी कंपनियों का रवैया अब अधिक लचीला हो गया है. वे भारतीय कंपनियों के साथ सीमित हिस्सेदारी के साथ साझेदारी करने के लिए भी तैयार हैं क्योंकि वे भारत जैसे बड़े बाजार को गंवाना नहीं चाहतीं."
भारत की घरेलू क्षमताओं को प्राथमिकता
सरकार की 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत, भारत अब इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण क्षेत्र में विदेशी निवेश के लिए नई शर्तों पर विचार कर रहा है. एक प्रस्ताव के तहत, इलेक्ट्रॉनिक्स जॉइंट वेंचर्स में चीनी कंपनियों की इक्विटी हिस्सेदारी को 10% तक सीमित करने की योजना बनाई जा रही है. इसका उद्देश्य घरेलू कंपनियों को मजबूत बनाना और रणनीतिक क्षेत्रों में विदेशी निर्भरता को कम करना है.
इस नीति के लागू होने से भारत के तकनीकी और विनिर्माण क्षेत्र को दीर्घकालिक लाभ मिलने की संभावना है, खासकर तब, जब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में विविधता की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही है.
रिलायंस जैसे बड़े खिलाड़ी तैयार
सूत्रों के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) भारत में चीन की प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी हायर की भारतीय इकाई में हिस्सेदारी खरीदने की दौड़ में प्रमुख दावेदार बनकर उभरी है. भारत में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत यह कदम काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
हायर फिलहाल भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में तीसरे स्थान पर है, और इस साझेदारी से भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धा और तकनीकी उन्नति दोनों को बल मिल सकता है.
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