बीजिंग/इस्लामाबाद: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच चीन ने एक महत्वपूर्ण बयान जारी कर स्पष्ट किया है कि वह इस संघर्ष में किसी भी पक्ष को हथियार भेजने की अफवाहों को पूरी तरह नकारता है. चीनी रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को उन तमाम रिपोर्ट्स को ‘झूठा और निराधार’ करार दिया, जिनमें यह दावा किया गया था कि चीन का सबसे बड़ा सैन्य परिवहन विमान Xian Y-20 पाकिस्तान के लिए सैन्य उपकरण ले जा रहा था.
अफवाहों के खिलाफ चीन का सख्त रुख
चीनी रक्षा मंत्रालय ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर एक तीखा बयान जारी करते हुए कहा, "सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे दावे पूरी तरह से झूठ और बिना किसी तथ्य के हैं. चीनी वायुसेना का Xian Y-20 कार्गो विमान पाकिस्तान के लिए किसी भी तरह का सैन्य शस्त्र लेकर नहीं गया है."
बयान के साथ मंत्रालय ने उन सोशल मीडिया पोस्ट्स के स्क्रीनशॉट भी साझा किए, जिनमें इस दावे को वायरल किया गया था. इन पर लाल रंग में 'AFWAH (अफवाह)' की मुहर लगाकर लोगों को भ्रम से बचने की अपील की गई.
चीनी सैन्य अधिकारियों ने यह भी चेतावनी दी कि "इंटरनेट कानून के ऊपर नहीं है. जो कोई भी जानबूझकर सैन्य झूठ फैलाता है, उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी." उन्होंने खासतौर पर मीडिया संस्थानों और सैन्य मामलों के विश्लेषकों को जिम्मेदारी से रिपोर्टिंग करने की सलाह दी.
हथियार आपूर्ति की अटकलें कैसे शुरू हुईं
बीते सप्ताह सोशल मीडिया और कुछ ऑनलाइन मीडिया पोर्टलों पर यह चर्चा तेज हो गई थी कि Xian Y-20 विमान को कराची एयरबेस पर देखा गया है. दावा किया गया कि विमान में हथियार, गोला-बारूद और ड्रोन तकनीक थी जो कथित तौर पर पाकिस्तान को भारत के साथ तनाव के बीच भेजी जा रही थी.
इन दावों की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं थी, लेकिन फोटो और वीडियो के जरिए सोशल मीडिया पर यह कथानक तेजी से फैला. भारत में कुछ रणनीतिक विशेषज्ञों और सैन्य रिपोर्टों ने भी इस मुद्दे को उठाया, जिससे राजनीतिक और राजनयिक हलकों में हलचल मच गई.
चीन और पाकिस्तान के रक्षा संबंधों की हकीकत
हालांकि चीन ने मौजूदा हथियार आपूर्ति के दावों को खारिज किया है, लेकिन स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि बीते वर्षों में चीन पाकिस्तान का सबसे बड़ा रक्षा साझेदार रहा है.
2020 से 2024 के बीच पाकिस्तान द्वारा आयात किए गए सभी सैन्य उपकरणों में से 81% चीन से प्राप्त हुए. इस दौरान पाकिस्तान को चीन ने निम्नलिखित हथियार सिस्टम प्रदान किए:
विश्लेषकों का मानना है कि चीन-पाकिस्तान सैन्य गठजोड़ भले ही लंबी अवधि का रहा हो, लेकिन चीन मौजूदा भारत-पाक संघर्ष को हथियार भेजकर और अधिक गंभीर रूप नहीं देना चाहता.
सीजफायर से शांति स्थापित होगी- चीन
एक ओर जहां अफवाहों पर रोक लगाने के लिए चीन का रक्षा मंत्रालय सक्रिय हुआ है, वहीं चीनी विदेश मंत्रालय ने भी कूटनीतिक रूप से बेहद संतुलित बयान जारी किया है. प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, "भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में लागू हुए संघर्ष विराम का हम स्वागत करते हैं. यह दोनों देशों के लिए लाभकारी है और दक्षिण एशिया में स्थिरता बनाए रखने के लिए आवश्यक है."
उन्होंने कहा कि चीन, जो कि भारत और पाकिस्तान दोनों का पड़ोसी है, हमेशा से शांति और संवाद का पक्षधर रहा है. “हमने दोनों देशों से तनाव घटाने की अपील की है. यह इलाका युद्ध का नहीं, सहयोग और सह-अस्तित्व का होना चाहिए.”
वांग यी की बातचीत का खुलासा
एक और उल्लेखनीय घटनाक्रम में, यह भी सामने आया कि 10 मई की रात चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत की. चीनी बयान के मुताबिक, वांग यी ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार से अलग-अलग बातचीत कर तत्काल संघर्ष विराम लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया.
इस बातचीत को दोनों देशों ने सकारात्मक संकेत के रूप में लिया और अगले 24 घंटे के भीतर युद्धविराम की घोषणा कर दी गई.
विश्लेषण: चीन क्यों बना रहा है दूरी?
भारत-पाक संघर्ष के बीच चीन का संयमित और सधा हुआ रुख कई बातों की ओर संकेत करता है:
आर्थिक प्राथमिकताएं: चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ और CPEC परियोजनाएं पाकिस्तान में गहराई से जुड़ी हुई हैं, लेकिन भारत के साथ व्यापारिक संबंध भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं.
वैश्विक दबाव: अमेरिका, यूरोपीय संघ और G20 जैसे मंचों पर चीन की छवि को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच वह नहीं चाहता कि उसे एक सैन्य उकसावे वाले देश के रूप में देखा जाए.
रणनीतिक गणना: चीन जानता है कि भारत के साथ खुला टकराव दक्षिण एशिया को अस्थिर कर सकता है, जिससे उसके अपने हित भी प्रभावित हो सकते हैं.
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