अमेरिका को रौंद देगा चीन? जंग कैसे की जाती है, भारत से सीखें ट्रंप; जानिए दुनिया में क्यों मचा है हड़कंप

    भारत द्वारा हाल ही में किए गए सैन्य अभियान ऑपरेशन सिंदूर ने वैश्विक रक्षा समीकरणों में हलचल मचा दी है.

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    ट्रंप-जिनपिंग | Photo: ANI

    भारत द्वारा हाल ही में किए गए सैन्य अभियान ऑपरेशन सिंदूर ने वैश्विक रक्षा समीकरणों में हलचल मचा दी है. जहां यह ऑपरेशन पाकिस्तान के खिलाफ एक सैन्य प्रतिक्रिया था, वहीं दुनिया भर के रक्षा विशेषज्ञ इसे आधुनिक युद्ध की एक झलक मान रहे हैं. अमेरिका के प्रतिष्ठित वॉर इंस्टीट्यूट से जुड़े डिफेंस एनालिस्ट जॉन स्पेंसर का मानना है कि यह भारत के लिए एक आत्मविश्वास से भरा कदम था, तो अमेरिका के लिए एक "वेकअप कॉल".

    सुपरपावर का भ्रम और हकीकत का आईना

    जॉन स्पेंसर का कहना है कि अमेरिका को भले ही दुनिया सुपरपावर माने, लेकिन उसकी रक्षा तैयारी आज बेहद चिंताजनक हालत में है. "लोग सोचते हैं कि अमेरिका के पास असीमित संसाधन हैं — टैंक, न्यूक्लियर सबमरीन, अत्याधुनिक फाइटर जेट्स और विशाल रक्षा बजट. लेकिन हकीकत यह है कि अगर कल चीन से युद्ध छिड़ जाए, तो अमेरिका टिक नहीं पाएगा," उन्होंने लिखा.

    उनका कहना है कि अमेरिका की डिफेंस इंडस्ट्री इनोवेशन के नाम पर सिर्फ पैसे मांगती है, प्रक्रिया बेहद धीमी है और लागतें आसमान छूती हैं. इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका की PAC-3 मिसाइलें सालभर में केवल 24 से 48 ही बन पाती हैं, जबकि चीन और उत्तर कोरिया हर साल हजारों मिसाइलें तैयार कर रहे हैं.

    भारत की सफलता, अमेरिका की असफलता का आईना

    ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने दिखाया कि कैसे तेज़ी से विकसित हुई, स्केलेबल और घरेलू रक्षा प्रणालियाँ युद्ध में निर्णायक साबित हो सकती हैं. भारत ने इस पूरे ऑपरेशन में न तो किसी अमेरिकी हथियार का सहारा लिया, न किसी विदेशी सप्लाई लाइन पर निर्भरता दिखाई. ब्रह्मोस, आकाश मिसाइल, आकाशतीर और DRDO द्वारा बनाए गए अन्य सिस्टमों ने भारत की सैन्य स्वावलंबन क्षमता को स्थापित कर दिया.

    जॉन स्पेंसर लिखते हैं, “भारत ने चार दिनों में जो किया, वह अमेरिका वर्षों में भी नहीं कर पा रहा. अमेरिका युद्ध शुरू होते ही पहले 7–10 दिन में अपना 70% गोला-बारूद खत्म कर देगा. वहीं भारत के पास अब हर साल हजारों एंटी टैंक मिसाइलें बनाने की क्षमता है.”

    ड्रोन युद्ध का भविष्य हैं, अमेरिका पीछे छूट रहा है

    स्पेंसर ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत द्वारा ड्रोन के सफल उपयोग की तारीफ करते हुए कहा कि अब युद्ध के मैदान में ड्रोन ही असली हथियार बन चुके हैं. “भारत ने सस्ते, घातक और बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किए जा सकने वाले ड्रोन के महत्व को पहचाना है. वहीं अमेरिका अब भी महंगे, भारी-भरकम और धीमे ड्रोनों में फंसा हुआ है.”

    डोनाल्ड ट्रंप तक ने अमेरिकी ड्रोन सिस्टम की आलोचना करते हुए कहा कि “ईरान 40 हजार डॉलर में ड्रोन बना रहा है, जबकि अमेरिका लाखों डॉलर खर्च कर वही काम कर रहा है. हमें अब भारत और इज़राइल जैसे सहयोगियों से सीखने की जरूरत है.”

    भारत ने चीन-पाक गठजोड़ की हवा निकाल दी

    स्पेंसर ने साफ लिखा कि ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ पाकिस्तान के खिलाफ नहीं था, बल्कि चीन की बनाई पाकिस्तान की रक्षा प्रणाली को भी चुनौती दी गई. भारत के सटीक हमलों के आगे चीन निर्मित एयर डिफेंस सिस्टम, रडार और निगरानी तंत्र विफल साबित हुए. भारत ने यह दिखाया कि वह अब न केवल प्रतिक्रिया दे सकता है, बल्कि निर्णायक और घातक जवाब देने में भी सक्षम है.

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