राफेल विमानों से डरता है चीन! अब भारत के पड़ोस में तैनात होगा सबसे बड़ा बेड़ा, पाकिस्तान की भी बढ़ेगी टेंशन

    भारत के पास मौजूद फ्रांसीसी राफेल लड़ाकू विमानों ने न केवल चीन की रणनीतिक योजना को झटका दिया है, बल्कि पूरे एशिया में इसकी तैनाती से एक नया सैन्य समीकरण बन गया है.

    China afraid of Rafale Indonesia Pakistan
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    भारत के पास मौजूद फ्रांसीसी राफेल लड़ाकू विमानों ने न केवल चीन की रणनीतिक योजना को झटका दिया है, बल्कि पूरे एशिया में इसकी तैनाती से एक नया सैन्य समीकरण बन गया है. चीन ने हमेशा भारत के राफेल विमानों से डर का इज़हार किया है, और यह डर उस वक्त सही साबित हुआ जब मई 2023 में भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान राफेल ने पाकिस्तानी सेना के चीनी निर्मित सैन्य उपकरणों को नष्ट कर दिया. यह घटना चीन के लिए एक चेतावनी बनकर उभरी, खासकर तब जब भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के भीतर घुसकर उनके महत्वपूर्ण एयरबेसों को भी निशाना बनाया. इस घटना ने चीन को यह याद दिलाया कि राफेल के पास न केवल तकनीकी बल्कि सामरिक शक्ति भी है. अब चीन के लिए एक नई चिंता खड़ी हो गई है, क्योंकि भारत के पड़ोस में राफेल विमानों का सबसे बड़ा बेड़ा तैनात होने जा रहा है.

    इंडोनेशिया की राफेल डील: चीन के लिए नई चुनौती

    इंडोनेशिया ने राफेल विमानों को लेकर फ्रांस के साथ एक महत्वपूर्ण रक्षा सौदा करने की दिशा में कदम बढ़ा लिया है. इस सौदे के तहत, इंडोनेशिया 24 राफेल मल्टीरोल फाइटर विमानों की खरीद करेगा. यह डील दक्षिण-पूर्व एशिया में सैन्य शक्ति के संतुलन को नया रूप दे सकती है, खासकर ऐसे समय में जब चीन अपनी सैन्य शक्ति का विस्तार कर रहा है. इस कदम के बावजूद, चीन और पाकिस्तान ने राफेल विमानों के खिलाफ नकारात्मक प्रचार किया था, लेकिन इंडोनेशिया ने इन विमानों पर पूरा विश्वास जताया है.

    हाल ही में लॉ ट्रिब्यून में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, इस सौदे पर इंडोनेशियाई राष्ट्रपति प्रोबोवो सुबियांतो की फ्रांस की यात्रा के दौरान हस्ताक्षर होने की संभावना है. वह 14 जुलाई को पेरिस में आयोजित बास्तील दिवस सैन्य परेड के मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे.

    पहले से बड़ी डील और भविष्य में राफेल की तैनाती

    यह डील इंडोनेशिया द्वारा फरवरी 2022 में की गई राफेल डील का हिस्सा है, जिसमें जकार्ता ने 42 राफेल विमानों की खरीद पर सहमति जताई थी. इस डील के तहत विमान तीन किस्तों में खरीदे जाएंगे—पहली किस्त में 6 विमान, दूसरी में 18 विमान और तीसरी किस्त में 18 विमान. पहले बैच की डिलीवरी 2026 के शुरूआत में शुरू होगी, और इंडोनेशिया अब 24 अतिरिक्त राफेल विमानों का ऑर्डर देने जा रहा है. इस नए आदेश के बाद, इंडोनेशिया के पास कुल 66 राफेल लड़ाकू विमान होंगे, जो उसे दुनिया का सबसे बड़ा गैर-यूरोपीय राफेल ऑपरेटर बना देंगे.

    क्षेत्रीय सैन्य शक्ति में बदलाव

    राफेल विमानों की तैनाती से इंडोनेशिया की वायु सेना आधुनिक और मजबूत हो जाएगी, और वह क्षेत्रीय वायु सेनाओं के बीच एक प्रमुख स्थान प्राप्त करेगा. यह सौदा न केवल इंडोनेशिया के सैन्य बल को सशक्त करेगा, बल्कि फ्रांस के लिए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने का अवसर भी देगा. ऐसे समय में जब चीन इस क्षेत्र में अपनी सैन्य और राजनीतिक ताकत को बढ़ा रहा है, इंडोनेशिया का यह कदम फ्रांस और अन्य पश्चिमी देशों के लिए एक महत्वपूर्ण समर्थन साबित हो सकता है. इससे क्षेत्रीय सुरक्षा में संतुलन बना रहेगा और चीन की आक्रामक नीतियों को चुनौती मिलेगी.

    इंडोनेशिया का राफेल विमानों को चुनना और इस डील का विस्तार चीन के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन सकता है, क्योंकि यह दिखाता है कि चीन के खिलाफ क्षेत्रीय सहयोग बढ़ रहा है और उसकी रणनीतिक योजनाओं को रोकने के लिए देशों का एक नया गठजोड़ तैयार हो रहा है. यह राफेल विमानों के सामरिक महत्व को और अधिक स्पष्ट करता है, जो न केवल भारत, बल्कि अब दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के लिए भी एक महत्वपूर्ण सैन्य साधन बन चुके हैं.

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