भारतीय हेलीकॉप्टर LCH प्रचंड से खौफ में चीन, अपनी मीडिया के जरिए फैला रहा झूठ; ड्रैगन को किस बात का डर?

    दुनिया के रक्षा बाजार में भारत की बढ़ती मौजूदगी ने कई देशों की चिंता बढ़ा दी है—खासकर चीन की. हाल ही में चीन ने भारत के स्वदेशी अटैक हेलीकॉप्टर LCH ‘प्रचंड’ को लेकर कई निराधार और भ्रामक दावे किए हैं.

    China afraid of Indian helicopter LCH Prachand
    LCH प्रचंड | Photo: ANI

    दुनिया के रक्षा बाजार में भारत की बढ़ती मौजूदगी ने कई देशों की चिंता बढ़ा दी है—खासकर चीन की. हाल ही में चीन ने भारत के स्वदेशी अटैक हेलीकॉप्टर LCH ‘प्रचंड’ को लेकर कई निराधार और भ्रामक दावे किए हैं. ये दावे मुख्य रूप से चीनी मीडिया और मिलिट्री जर्नल्स के माध्यम से फैलाए गए, जिनमें 'प्रचंड' को तकनीकी रूप से कमजोर और असफल बताया गया है, लेकिन इन बयानों के पीछे का मकसद क्या है? और असलियत क्या कहती है?

    आइए, दोनों देशों के अटैक हेलीकॉप्टर – भारत का LCH 'प्रचंड' और चीन का Z-10 – की तकनीकी क्षमताओं और रणनीतिक उपयोगिता की निष्पक्ष तुलना करते हैं, और समझते हैं कि चीन ऐसी बयानबाज़ी क्यों कर रहा है.

    LCH 'प्रचंड' बनाम Z-10: कौन है ज्यादा सक्षम?

    1. निर्माण और विकास:

    • LCH प्रचंड को भारत की HAL (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) ने डिजाइन किया है, जबकि
    • Z-10 को चीन की CAIC कंपनी ने विकसित किया है.

    2. पहली उड़ान और शामिल होने की तारीख:

    • प्रचंड की पहली उड़ान 2010 में हुई और इसे 2022 में सेना में शामिल किया गया.
    • Z-10 की पहली उड़ान 2003 में हुई और इसे 2012 में चीनी सेना में शामिल किया गया.

    3. गति (मैक्सिमम स्पीड):

    • प्रचंड: लगभग 268 किमी/घंटा
    • Z-10: लगभग 300 किमी/घंटा

    4. ऑपरेशनल ऊंचाई (Operational Altitude):

    • प्रचंड: 5,000 मीटर से अधिक (सियाचिन और लद्दाख जैसे क्षेत्र)
    • Z-10: 4,000 मीटर से कम (हाई एल्टीट्यूड मिशन में सीमित)

    5. हथियार और तकनीक:

    • प्रचंड: भारत का HELINA ATGM (फायर-एंड-फॉरगेट मिसाइल), 70mm रॉकेट, और गन.
    • Z-10: ATGMs, रॉकेट, और गन – लेकिन फायरिंग सिस्टम और ऑप्टिक्स में सीमित विश्वसनीयता.

    6. युद्ध अनुभव:

    • प्रचंड को ऊंचे और मुश्किल इलाकों में टेस्ट किया गया है.
    • Z-10 को आज तक किसी वास्तविक युद्ध में परखा नहीं गया है.

    ‘प्रचंड’ को खासतौर पर भारत के ऊंचे और दुर्गम क्षेत्रों में ऑपरेशन के लिए डिजाइन किया गया है, जैसे सियाचिन और लद्दाख. यह दुनिया का एकमात्र अटैक हेलीकॉप्टर है जो इतनी ऊंचाई पर प्रभावी ढंग से ऑपरेट कर सकता है. इसके मुकाबले, Z-10 की ऑपरेशनल ऊंचाई सीमित है, जिससे वह ऐसे युद्धक्षेत्रों में कम प्रभावशाली साबित होता है.

    चीनी दावों में क्या है सच्चाई?

    • हाल ही में South China Morning Post और चीनी मिलिट्री जर्नल्स ने आरोप लगाया कि:
    • ‘प्रचंड’ का पेलोड ऊंचाई पर कम हो जाता है.
    • मुख्य घटक जैसे इंजन, रडार और ऑप्टिकल सिस्टम विदेशों से लिए गए हैं, जिससे इसे "स्वदेशी" कहना भ्रामक है.
    • प्रोडक्शन में देरी है, और यह 2028 तक तैयार नहीं हो पाएगा.

    इनमें से कुछ बातें आंशिक रूप से सही हो सकती हैं – जैसे कि इंजन फ्रांस का है – लेकिन यह वैश्विक एयरोस्पेस इंडस्ट्री का सामान्य चलन है. चीन के Z-10 में भी रूसी इंजन और अन्य विदेशी तकनीक शामिल हैं. वहीं प्रचंड की डिलीवरी भारतीय वायुसेना और थल सेना को शुरू हो चुकी है, और यह ऊंचे इलाकों में ऑपरेशन में खुद को प्रमाणित भी कर चुका है.

    चीन को क्यों है डर?

    भारत ने मार्च 2024 में 7.3 बिलियन डॉलर के डिफेंस डील के तहत 156 नए LCH हेलीकॉप्टर्स के ऑर्डर को मंजूरी दी. यह चीन के लिए सीधा संकेत है कि भारत घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय रक्षा बाजार में भी अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने को तैयार है.

    चीन जानता है कि अफ्रीका और एशिया के कई देश आतंकवाद और सीमाई सुरक्षा के लिए अटैक हेलीकॉप्टर्स की तलाश में हैं. यहां भारत के पास एक बड़ा मौका है – सस्ता, प्रभावी और कठिन इलाकों में परखा हुआ हेलीकॉप्टर देने का. यही वजह है कि चीन झूठे प्रचार से भारत की रक्षा छवि को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है.

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