बांग्लादेश में हाल ही में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है, जिसमें प्रधानमंत्री को 'सर' कहने की परंपरा को खत्म कर दिया गया है. यह कदम बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने उठाया है, जिसका नेतृत्व मोहम्मद यूनुस के द्वारा किया जा रहा है. यूनुस के प्रेस सलाहकार ने बताया कि सरकार उन सभी प्रोटोकॉल्स की समीक्षा कर रही है, जो शेख हसीना के शासन के दौरान प्रधानमंत्री को विशेष अधिकार देते थे. सरकार का उद्देश्य उन असमान्य प्रोटोकॉल्स को समाप्त करना है, जो अब तक प्रचलित थे.
प्रधानमंत्री को 'सर' कहने पर रोक
बांग्लादेश की सरकार ने न केवल प्रधानमंत्री को 'सर' कहने पर रोक लगाई है, बल्कि महिलाओं को भी 'सर' कहने की प्रथा को समाप्त कर दिया गया है, जो पहले उच्च पदों पर बैठी महिला अधिकारियों को प्रोटोकॉल के तहत संबोधित किया जाता था. यह बदलाव शेख हसीना के शासनकाल की उस प्रथा को समाप्त करने का हिस्सा है, जिसमें प्रधानमंत्री को 'सर' कहकर संबोधित किया जाता था.
बीबीसी बांग्ला की रिपोर्ट के अनुसार, 15 साल पहले जब शेख हसीना सत्ता में आईं, तो उन्होंने इस बदलाव को लागू किया था. इसके तहत प्रधानमंत्री को 'सर' कहने को अनिवार्य कर दिया गया था. इसके बाद बांग्लादेश में उच्च पदों पर बैठी महिलाओं के लिए भी इस तरह के संबोधन का निर्देश दिया गया था. अब, इस पर रोक लगा दी गई है और कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री को 'मिस्टर प्राइम मिनिस्टर' जैसे उपनाम से संबोधित किया जाएगा, जैसा अमेरिका में राष्ट्रपति को 'मिस्टर प्रेसिडेंट' कहा जाता है.
प्रधानमंत्री का पद और शक्तियों में बदलाव
बांग्लादेश में प्रधानमंत्री का पद कार्यवाहक प्रमुख के रूप में होता है, और उसके पास अधिकांश कार्यकारी शक्तियां होती हैं. वहीं, बांग्लादेश में राष्ट्रपति केवल एक संवैधानिक और नाममात्र का पद होता है, जिसका प्रभाव सीमित होता है. वर्तमान सरकार प्रधानमंत्री की शक्तियों को कम करने की दिशा में भी कदम उठा रही है.
प्रधानमंत्री के कार्यकाल पर नया नियम
यूनुस की अंतरिम सरकार का अगला कदम प्रधानमंत्री के कार्यकाल को सीमित करना है. पहले बांग्लादेश में प्रधानमंत्री के कार्यकाल का कोई निश्चित सीमा नहीं थी, लेकिन अब सरकार इसे अधिकतम 10 साल तक सीमित करने पर विचार कर रही है. यह बदलाव एक तरह से प्रधानमंत्री के पद की शक्तियों को नियंत्रित करने की दिशा में है.
प्रधानमंत्री के आपातकालीन अधिकारों पर अंकुश
इसके अलावा, बांग्लादेश में आपातकाल घोषित करने के अधिकार को भी प्रधानमंत्री से हटाया जा सकता है. यूनुस की सरकार इस अधिकार को प्रधानमंत्री से छीनने की तैयारी में है. इसके स्थान पर एक नया राष्ट्रीय सुरक्षा काउंसिल गठित किया जाएगा, जिसमें प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस होंगे. इस काउंसिल के पास सभी महत्वपूर्ण निर्णय लेने की शक्तियां होंगी, जिससे प्रधानमंत्री के अधिकारों में और कमी आ सकती है.
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