'हम अतीत से आंखें नहीं चुराते...',जिहादियों पर पाकिस्तान की अहम भूमिका रही; भुट्टो ने स्वीकारी ये बात

    पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के प्रमुख और देश के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने एक अहम इंटरव्यू में पाकिस्तान की ज़मीनी सच्चाई को स्वीकारते हुए कहा कि "हम अतीत से आंखें नहीं चुराते."

    Bilawal Bhutto accepted pakistan hands in terrorism
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    पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के प्रमुख और देश के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने एक अहम इंटरव्यू में पाकिस्तान की ज़मीनी सच्चाई को स्वीकारते हुए कहा कि "हम अतीत से आंखें नहीं चुराते." उन्होंने माना कि देश की धरती से जिहाद की नींव रखी गई थी और इसके पीछे तत्कालीन सैन्य शासकों की भूमिका रही है. करण थापर से बातचीत में बिलावल ने स्पष्ट कहा कि हमारे देश ने जिहादी संस्कृति को बढ़ावा देने में भूमिका निभाई है, खासकर अफगानिस्तान में लड़ाई के दौरान. यह इतिहास का हिस्सा है और इससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता.

    लश्कर और जैश जैसे संगठनों पर स्पष्ट रुख

    बिलावल ने साफ कहा कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को पाकिस्तान अब न देश के बाहर, और न ही भीतर पनपने देगा. उन्होंने इन संगठनों के मुखियाओं हाफिज सईद और मसूद अजहर को “परेशानी का कारण” बताया और संकेत दिया कि पाकिस्तान इन्हें भारत को सौंपने को तैयार हो सकता है, यदि भारत सहयोगात्मक रुख अपनाए.

    पहलगाम हमले को बताया आतंकी वारदात

    जब उनसे भारत के पहलगाम आतंकी हमले के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने इसे एक स्पष्ट आतंकी हमला करार दिया और पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त की. उन्होंने ये भी याद दिलाया कि पाकिस्तान खुद भी आतंकवाद का शिकार रहा है. हमने 92,000 नागरिकों की जानें खोई हैं. मेरी मां (बेनज़ीर भुट्टो) खुद आतंकियों का निशाना बनीं.

    ज़िया-उल-हक के दौर को बताया 'जिहादीकरण' की जड़

    बिलावल ने पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक जनरल ज़िया-उल-हक पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में पाकिस्तान की सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था में “ज़िहादी सोच” की जड़ें बोई गई थीं. ज़िया और अंतरराष्ट्रीय ताकतों ने मिलकर अफगानिस्तान में जिहाद की आड़ में पाकिस्तान को एक धार्मिक लड़ाई के केंद्र में धकेल दिया था.

    9/11 से पहले 'जिहाद' को कहा जाता था 'आज़ादी की लड़ाई'

    उन्होंने यह भी कहा कि शीत युद्ध के दौरान, दुनिया के कई हिस्सों में इन चरमपंथी संगठनों को 'आज़ादी के सेनानी' कहा जाता था. लेकिन 9/11 के बाद वैश्विक नजरिया बदला और ये संगठन आतंकवादी घोषित किए गए. तब पाकिस्तान ने इन समूहों को समर्थन दिया, लेकिन मैं और मेरी मां इसके सख्त खिलाफ थे.

    भारत पर भी उठाए सवाल

    बिलावल ने दावा किया कि मुंबई हमलों के मामले में भारत ने पाकिस्तान की अदालत में पर्याप्त गवाह पेश नहीं किए, जिससे मुकदमे को मजबूती नहीं मिल पाई. उन्होंने कहा,हाफिज सईद को आतंकवाद फंडिंग मामले में 31 साल की सजा सुनाई जा चुकी है, लेकिन हमें न्याय के लिए दोनों देशों के बीच सहयोग की जरूरत है. 

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