वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर के बीच व्हाइट हाउस में हुई बंद कमरे की बैठक अंतरराष्ट्रीय राजनीति में चर्चा का विषय बन गई है. ट्रंप द्वारा निजी तौर पर जनरल मुनीर को लंच पर आमंत्रित करना केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि पाकिस्तान-अमेरिका संबंधों में एक नया अध्याय भी माना जा रहा है.
एक ऐतिहासिक आमंत्रण
जनरल मुनीर को व्हाइट हाउस के कैबिनेट रूम में लंच पर बुलाया जाना असाधारण कदम था—क्योंकि अमेरिका आमतौर पर केवल राजनीतिक नेतृत्व को इस प्रकार का प्रोटोकॉल देता है. लेकिन इस बार सेना प्रमुख को आमंत्रित किया गया, जो संकेत देता है कि पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था में सैन्य नेतृत्व को अमेरिका कितना महत्व दे रहा है.
इस आमंत्रण के पीछे एक दिलचस्प घटनाक्रम है. जनरल मुनीर ने एक सार्वजनिक बयान में कहा कि "राष्ट्रपति ट्रंप को भारत-पाक तनाव कम करने के प्रयासों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए." ट्रंप ने इसी 'सम्मान' के प्रत्युत्तर में उन्हें व्हाइट हाउस बुलाया.
भारत-पाक तनाव पर ट्रंप का शांति राजदूत दावा
ट्रंप ने इस मुलाकात के बाद मीडिया से कहा, "भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु टकराव को रोकने में दोनों देशों की सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व की भूमिका अहम रही है. मैं मुनीर और प्रधानमंत्री मोदी दोनों का आभारी हूं."
हालांकि ट्रंप ने यह दावा भी किया कि "संघर्ष को रोकने में उनकी व्यक्तिगत पहल प्रभावी रही", जिसे भारत ने कूटनीतिक रूप से खारिज कर दिया है.
मोदी-ट्रंप की फोन कॉल पर बात
इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच एक 35 मिनट की फोन कॉल भी हुई, जिसमें भारत ने दो टूक शब्दों में स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम किसी भी अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के कारण नहीं, बल्कि सीधे सैन्य स्तर पर हुई बातचीत के कारण हुआ.
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने जानकारी दी कि भारत ने आतंकवाद पर सख्त रुख अपनाते हुए 6-10 मई के बीच ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया, जिसमें केवल आतंकवादी अड्डों को निशाना बनाया गया. भारत ने न तो संघर्ष की शुरुआत की, न ही बाहरी दबाव में रुकने का फैसला किया.
पाकिस्तान में जनरल मुनीर पर विरोध के स्वर
मुनीर के अमेरिका दौरे के दौरान वॉशिंगटन में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्हें तीव्र विरोध का सामना करना पड़ा. कई अमेरिकी-पाकिस्तानी नागरिकों ने उन्हें 'तानाशाह' और 'मानवाधिकार हनन का प्रतीक' बताते हुए प्रदर्शन किया. यह विरोध पाकिस्तान में सेना के प्रभाव और राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर बढ़ती असंतुष्टि को दर्शाता है.
क्या ट्रंप को नोबेल मिलना चाहिए?
जनरल मुनीर के बयान ने राजनीतिक हलकों में बहस छेड़ दी है. उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित परमाणु युद्ध को रोका. यह योगदान नोबेल शांति पुरस्कार के लायक है."
लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि ऐसे दावों की पुष्टि अंतरराष्ट्रीय समुदाय या स्वतन्त्र निगरानी संगठनों द्वारा होनी चाहिए. भारत की तरफ से स्पष्ट खंडन के बाद इस कथन की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आ गई है.
ट्रंप की रणनीति: मध्यस्थ या प्रचारक?
राष्ट्रपति ट्रंप लगातार यह दर्शाने की कोशिश कर रहे हैं कि वह वैश्विक संघर्षों में ‘शांति स्थापित करने वाले नेता’ की भूमिका निभा रहे हैं. यह रणनीति 2024 के राष्ट्रपति चुनावों के बाद उनके अंतरराष्ट्रीय छवि निर्माण का हिस्सा मानी जा रही है.
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