तेहरान/तेल अवीव: ईरान और इजराइल के बीच जारी तनाव की केंद्र बिंदु बन चुका है फोर्डो फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट, जो ईरान के पहाड़ों के भीतर करीब 295 फीट (लगभग 90 मीटर) की गहराई में स्थित है. इसकी इस विशेष बनावट और रणनीतिक छिपाव के कारण, इसे कोई भी साधारण हवाई हमला नुकसान नहीं पहुंचा सकता.
फोर्डो की संरचना ऐसी है कि इसे तबाह करने के लिए अत्याधुनिक और भारी हथियारों की जरूरत होती है, जिनका इस्तेमाल सिर्फ अमेरिका कर सकता है. विशेषज्ञ बताते हैं कि इसके ऊपर सीधे हमले के लिए अमेरिकी B-2 स्टेल्थ बमवर्षक विमान और GBU-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनिट्रेटर (MOAB) जैसे बंकर-बस्टर बम ही सक्षम हैं. लेकिन ये हथियार भी एक बार में फोर्डो को पूरी तरह तबाह नहीं कर सकते, बल्कि कई बार हमले करना पड़ते हैं.
गहराई में छुपा किला: फोर्डो की बनावट
फोर्डो प्लांट ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन (AEOI) के नियंत्रण में है और नतांज के बाद यह देश का दूसरा बड़ा यूरेनियम संवर्धन केंद्र है. यह पहाड़ के अंदर लगभग 54,000 वर्ग फीट में फैला हुआ है और इसके भीतर दो बड़े संवर्धन हॉल हैं.
यहां तक पहुंचने के लिए पांच सुरंगें बनाई गई हैं, जो इसे एक बंकर के रूप में सुरक्षित बनाती हैं. इस गहराई पर बने होने के कारण फोर्डो को पारंपरिक हवाई हमलों से बचाने की पूरी योजना बनाई गई है.
तकनीकी विवरण: संवर्धन और उत्पादन
फोर्डो में लगभग 3,000 IR-1 सेंट्रीफ्यूज लगे हैं, जिनमें से 1,044 JCPOA (परमानु समझौता) के तहत यूरेनियम संवर्धन के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. 2024 तक ईरान ने IR-6 सेंट्रीफ्यूज की संख्या भी बढ़ाई है, जो संवर्धन प्रक्रिया को और तेज करते हैं.
2012 से यहां 20% तक संवर्धित यूरेनियम का उत्पादन शुरू हुआ, जो मेडिकल उपयोग के लिए था. पर मार्च 2023 में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने पुष्टि की कि यहां 83.7% तक शुद्धता वाला यूरेनियम तैयार किया जा रहा है, जो लगभग परमाणु हथियार बनाने के लिए जरूरी 90% के स्तर के करीब है.
फोर्डो की सुरक्षा के लिए रूस से 2016 में S-300 मिसाइल रक्षा प्रणाली भी तैनात की गई है, जो किसी भी संभावित हवाई हमले को विफल करने के लिए डिजाइन की गई है.
इजराइल की चिंता और हमले की योजना
फोर्डो प्लांट की मौजूदगी 2009 में एक गुप्त दस्तावेज के रूप में सामने आई थी, लेकिन 2018 में इजराइली खुफिया ने ईरानी परमाणु दस्तावेज चुराकर इस प्लांट की सटीक जानकारी हासिल की. 55,000 पन्नों में फोर्डो के विस्तार, ब्लूप्रिंट और उद्देश्यों का जिक्र था.
इन दस्तावेजों में साफ तौर पर उल्लेख था कि यहां हथियार-ग्रेड यूरेनियम उत्पादन हो रहा है, जो सालाना कम से कम दो परमाणु हथियारों के निर्माण की क्षमता रखता है.
इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी ने भी माना है कि इस प्लांट का आकार, डिजाइन और उत्पादन शांति के लिए नहीं बल्कि सैन्य उपयोग के इरादे से हैं. यही वजह है कि इजराइल इसे एक बड़ा खतरा मानता है और इसे नष्ट करने के लिए लगातार दबाव बना रहा है.
इजराइल पर भी परमाणु हथियार रखने के आरोप
जहां ईरान के परमाणु कार्यक्रम को इजराइल और पश्चिमी देशों द्वारा खतरा माना जाता है, वहीं इजराइल खुद भी परमाणु हथियारों का मालिक है. विश्वसनीय अनुमानों के मुताबिक इजराइल के पास 90 से अधिक परमाणु हथियार हैं. डिमोना स्थित उसका गोपनीय परमाणु केंद्र प्लूटोनियम उत्पादन की अत्याधुनिक सुविधा रखता है.
इजराइल ने कभी भी संयुक्त राष्ट्र की परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर नहीं किए और अपनी परमाणु सुविधाओं की किसी भी अंतरराष्ट्रीय एजेंसी से जांच भी नहीं कराता.
अमेरिका और इजराइल के बीच बढ़ता दबाव
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर किसी भी तरह के सैन्य हमले से परहेज किया था और कूटनीतिक हल पर भरोसा जताया था. लेकिन इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बढ़ते दबाव के कारण ट्रंप की नीति में बदलाव देखने को मिला.
नेतन्याहू ने अमेरिका को ईरान के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने पर मजबूर कर दिया, जिसके चलते ट्रंप प्रशासन ने सैन्य सहायता, ईंधन और हथियारों की आपूर्ति पर विचार करना शुरू कर दिया. यह एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है क्योंकि अमेरिका की प्रारंभिक अनिच्छा के बावजूद अब वे ईरान के परमाणु हथियार विकास को रोकने के लिए अधिक सक्रिय कदम उठाने को तैयार दिखते हैं.
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