इस्लामाबाद/नई दिल्ली: भारत के गृह मंत्री अमित शाह द्वारा हाल ही में दिए गए एक बयान ने भारत-पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौते (Indus Waters Treaty) को लेकर नया विवाद खड़ा कर दिया है. शाह ने कहा कि भारत अब पाकिस्तान को जाने वाले सिंधु नदी के जल को रोककर स्वदेशी उपयोग के लिए मोड़ने का निर्णय ले चुका है और यह समझौता अब "बहाल नहीं किया जाएगा".
इस बयान के जवाब में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने गहरी आपत्ति जताई है. मंत्रालय ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संधियों का उल्लंघन बताते हुए भारत से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है.
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने शनिवार को एक आधिकारिक बयान में कहा, "सिंधु जल संधि एक अंतरराष्ट्रीय दायित्व है, जिसे एकतरफा तरीके से निलंबित या समाप्त नहीं किया जा सकता. भारत द्वारा इस समझौते को रोकना अंतरराष्ट्रीय कानूनों का गंभीर उल्लंघन है और इससे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता पर असर पड़ सकता है."
Statement by the Spokesperson Regarding Indian Home Minister’s Assertion that the Indus Waters Treaty Will Never be Restored.
— Ministry of Foreign Affairs - Pakistan (@ForeignOfficePk) June 21, 2025
Responding to media queries regarding the Indian Home Minister’s assertion that the Indus Waters Treaty will never be restored , the Spokesperson of the… pic.twitter.com/ndY9LfAkhk
उन्होंने यह भी जोड़ा कि, "पानी को राजनीतिक हथियार के रूप में उपयोग करना गैर-जिम्मेदाराना और चिंताजनक है. भारत को इस दिशा में उठाए गए किसी भी कदम को तत्काल वापस लेना चाहिए."
भारत का पक्ष: आतंकवाद के जवाब में सख्ती
अमित शाह ने अपने बयान में यह स्पष्ट किया कि भारत आतंकी हमलों के मद्देनज़र अब पाकिस्तान के प्रति नरम रुख नहीं अपनाएगा. उन्होंने कहा, "सिंधु का पानी भारत का है. यह पाकिस्तान को क्यों मिले? अब इस पानी को राजस्थान और अन्य जलविहीन इलाकों की ओर मोड़ा जाएगा. हमने सिंधु जल संधि को रोकने का निर्णय लिया है."
यह बयान अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद आया है, जिसमें भारत ने पाकिस्तान-प्रेरित आतंकवाद को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी सख्त रुख अपनाया है.
सिंधु जल संधि: एक ऐतिहासिक समझौता
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ सिंधु जल समझौता दक्षिण एशिया की सबसे पुरानी जल-संधियों में से एक है. इस संधि के अंतर्गत:
अब भारत इस संधि की सीमाओं की पुनर्व्याख्या कर रहा है, खासकर तब जब वह बार-बार हो रहे आतंकी हमलों को पाकिस्तान से जोड़ता रहा है.
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