अमेरिका बनाएगा 'ड्रोन जैसी गोलियां', युद्ध की परिभाषा बदलने की तैयारी में पेंटागन; नौकरशाही खत्म!

    अब युद्ध मैदान बदल गया है. भारी टैंकों, मिसाइलों और बमवर्षकों का ज़माना बीत रहा है. अब लड़ाई लड़ी जा रही है हवा में उड़ते, सस्ते लेकिन बेहद घातक ड्रोन से.

    America will make bullets like drones Pentagon
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    अब युद्ध मैदान बदल गया है. भारी टैंकों, मिसाइलों और बमवर्षकों का ज़माना बीत रहा है. अब लड़ाई लड़ी जा रही है हवा में उड़ते, सस्ते लेकिन बेहद घातक ड्रोन से. अमेरिका, जो अब तक महंगे हथियारों और हाई-टेक सिस्टम्स पर निर्भर रहा, अब खुद को उस दौड़ में पीछे महसूस कर रहा है जिसमें रूस, चीन और यहां तक कि यूक्रेन जैसी ताकतें भी उसे टक्कर दे रही हैं.

    यही वजह है कि अमेरिका की रक्षा नीति अब इतिहास के सबसे बड़े मोड़ पर खड़ी है. पेंटागन ने अपनी रणनीति को पूरी तरह पलटते हुए अब तय किया है कि भविष्य के युद्धों में ड्रोन को बुलेट की तरह इस्तेमाल किया जाएगा — एक सस्ता, सटीक, और सैनिकों के लिए हमेशा तैयार हथियार.

    ड्रोन अब सिर्फ निगरानी या फैंसी हथियार नहीं रह गए

    अमेरिका के रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने एक अहम मेमो पर साइन करते हुए साफ कर दिया है कि अब ड्रोन के निर्माण, टेस्टिंग और तैनाती में देरी या नौकरशाही बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उनका कहना है कि ये वो तकनीक है जिसे अमेरिका ने खुद तैयार किया, लेकिन कभी पूरी तरह अपनाया नहीं. और अब जब रूस और यूक्रेन सालाना लाखों ड्रोन बना रहे हैं, अमेरिका को इस गेम में दो कदम आगे रहना होगा.

    ड्रोन युद्ध के असली ट्रेंडसेटर बन चुके हैं

    पिछले कुछ सालों में ड्रोन ने हर मोर्चे पर अपनी ताकत साबित की है. चाहे वो यूक्रेन का रूस के एयरबेस पर हमला हो या भारत का पाकिस्तान में रडार उड़ाना, ड्रोन ने दिखा दिया कि कम लागत में कैसे बड़े नतीजे हासिल किए जा सकते हैं.

    अब अमेरिका का फोकस उन ड्रोन पर है जो एक बार इस्तेमाल करने के लिए तैयार किए जाएं, बिल्कुल गोलियों की तरह. जिन्हें सैनिक अपने मिशन के हिसाब से खुद मॉडिफाई कर सकें, और जो जमीन पर मौजूद टुकड़ियों के लिए उतने ही जरूरी हों जितनी उनकी बंदूक.

    अब फील्ड कमांडर खुद लेंगे फैसले

    नई रणनीति के तहत अब ड्रोन से जुड़े फैसले किसी वॉशिंगटन दफ्तर में नहीं लिए जाएंगे. पेंटागन ने यह अधिकार सीधे फील्ड लेवल के O-6 ग्रेड अधिकारियों को दे दिया है. यानी अब ग्राउंड पर मौजूद कमांडर खुद तय करेंगे कि कौन सा ड्रोन चाहिए, कब चाहिए और कैसे तैनात किया जाए. इससे न सिर्फ फैसलों की रफ्तार बढ़ेगी, बल्कि युद्ध के जवाब में अमेरिकी सेना ज्यादा तेज़ी और लचीलापन दिखा पाएगी.

    अमेरिका अब ड्रोन डोमिनेंस की ओर बढ़ रहा है

    इस बदलाव के साथ अमेरिका ने घरेलू ड्रोन निर्माण कंपनियों को बढ़ावा देने का भी ऐलान किया है. उन्हें सरकारी मदद, एडवांस खरीद ऑर्डर और तकनीकी समर्थन दिया जाएगा. पेंटागन की योजना है कि 2027 तक अमेरिका पूरी दुनिया में ड्रोन टेक्नोलॉजी में दबदबा बनाए. क्योंकि रूस और चीन जैसे देश अब सिर्फ पारंपरिक युद्ध नहीं, हाइब्रिड और लो-कॉस्ट वारफेयर की रणनीति पर चल रहे हैं — और अमेरिका इस मोर्चे पर अब पीछे नहीं रहना चाहता.

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