मुनीर के खिलाफ अमेरिकी कांग्रेस का बड़ा एक्शन, 44 सांसदों ने मार्को रुबियो को लिखा पत्र; जानें क्या रखी मांग

    American senate On Asim Munir: अमेरिका में पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिति पर बढ़ती चिंता अब आधिकारिक रूप से सामने आने लगी है. बुधवार को अमेरिकी कांग्रेस के 44 सांसदों ने विदेश मंत्री मार्को रुबियो को एक कड़े शब्दों वाला पत्र भेजा है, जिसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ और सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के खिलाफ तत्काल प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है. 

    america pakistan US Congress against Munir 44 MPs wrote a letter to Marco Rubio
    Image Source: Social Media

    American senate On Asim Munir: अमेरिका में पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिति पर बढ़ती चिंता अब आधिकारिक रूप से सामने आने लगी है. बुधवार को अमेरिकी कांग्रेस के 44 सांसदों ने विदेश मंत्री मार्को रुबियो को एक कड़े शब्दों वाला पत्र भेजा है, जिसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ और सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के खिलाफ तत्काल प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है. 

    यह कदम ऐसे समय पर आया है जब पाकिस्तान में लोकतांत्रिक संस्थाओं पर दबाव बढ़ रहा है और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगातार सामने आ रहे हैं.

    पाकिस्तान पर आरोप: ‘लोकतंत्र सेना के कब्जे में’

    सांसदों के पत्र में साफ कहा गया है कि पाकिस्तान में वास्तविक शक्ति अब सेना के हाथों में है और सरकार केवल दिखावे के लिए काम कर रही है. पत्र के अनुसार, पाकिस्तान में लोकतांत्रिक ढांचे को योजनाबद्ध तरीके से कमजोर किया जा रहा है और विपक्षी नेताओं, पत्रकारों तथा आम नागरिकों पर अत्याचार बढ़ता जा रहा है.

    पत्र में दावा किया गया है कि सरकार और सेना मिलकर असहमति को दबाने के लिए कठोर कदम उठा रही हैं. सेना की आलोचना करने वाले नागरिकों को हिरासत में लिया जा रहा है, सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने पर भी गिरफ्तारियां हो रही हैं और बलूच नागरिकों से लेकर धार्मिक अल्पसंख्यकों तक, लगभग हर कमजोर समूह को निशाना बनाया जा रहा है.

    पत्रकारों पर निशाना: धमकियां, अपहरण और दमन की घटनाएं

    अमेरिकी सांसदों ने अपने पत्र में पत्रकारों और प्रवासी पाकिस्तानी-अमेरिकियों के परिवारों पर होने वाले अत्याचारों के स्पष्ट उदाहरण दिए. वर्जीनिया में रहने वाले पत्रकार अहमद नूरानी का मामला इसमें प्रमुख है. नूरानी ने पाकिस्तानी सेना में कथित भ्रष्टाचार पर रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसके बाद पाकिस्तान में उनके दोनों भाइयों को लंबे समय तक अगवा करके रखा गया.

    इसी तरह, मशहूर संगीतकार सलमान अहमद के जीजा का अपहरण भी चर्चा में रहा. सांसदों के अनुसार, उन्हें केवल अमेरिकी हस्तक्षेप के बाद छोड़ा गया, जो यह दर्शाता है कि पाकिस्तान में सुरक्षा एजेंसियों का भय किस हद तक बढ़ चुका है.

    चुनावी धांधली पर अमेरिकी सांसदों की नाराज़गी

    पत्र में 2024 के पाकिस्तान आम चुनावों में हुई कथित धांधली का विस्तृत उल्लेख किया गया है. सांसदों ने स्वतंत्र पाकिस्तानी संस्था की “पट्टन रिपोर्ट” को आधार बनाते हुए कहा कि चुनाव प्रक्रिया गंभीर रूप से प्रभावित थी और परिणामों को प्रभावित करने के लिए व्यापक स्तर पर गड़बड़ियां की गईं.

    अमेरिकी विदेश विभाग ने भी चुनावों पर चिंता जताते हुए कहा था कि प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं पाई गई हैं और इसकी पूरी जांच आवश्यक है. सांसदों ने दावा किया कि सेना ने अपनी पसंद का नेतृत्व स्थापित करने के लिए चुनावों का दुरुपयोग किया और एक ऐसी सरकार बनाई, जो वास्तविक रूप से सैन्य नियंत्रण में है.

    न्याय व्यवस्था पर भी सवाल: सैन्य अदालतों को बढ़ी ताकत

    सांसदों ने ध्यान दिलाया कि पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला दिया, जिसके तहत आम नागरिकों के मामलों की सुनवाई भी सैन्य अदालतों में की जा सकेगी. पत्र के अनुसार, यह कदम सैन्य प्रभाव को और बढ़ाता है और उसके अधिकारियों पर किसी भी कार्रवाई की संभावना लगभग समाप्त कर देता है.

    संभावित अमेरिकी प्रतिबंध: वीजा बैन से संपत्ति जब्ती तक

    सांसदों ने आग्रह किया है कि अमेरिका पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख के खिलाफ कठोर प्रतिबंध लगाए. यदि यह मांग स्वीकार होती है, तो इसके कई गंभीर प्रभाव हो सकते हैं.

    प्रतिबंधों में वीजा बैन, अमेरिका में यात्रा पर रोक, वित्तीय लेनदेन की निगरानी, और संपत्तियों की जब्ती जैसे कदम शामिल हो सकते हैं. ग्लोबल मैग्निट्स्की एक्ट ऐसे मामलों में लागू किया जा सकता है, जो मानवाधिकार उल्लंघन पर आर्थिक दबाव डालने का एक प्रमुख साधन है.

    ट्रम्प-मुनीर मुलाकातों ने बढ़ाया विवाद

    सांसदों के पत्र ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर वर्ष 2025 में दो बार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मिल चुके हैं. जून में व्हाइट हाउस में हुई बंद कमरे की बैठक के दौरान मुनीर के खिलाफ अमेरिकी-पाकिस्तानी समुदाय ने कड़ा विरोध प्रदर्शन किया था.

    इसके बाद सितंबर में शहबाज शरीफ और आसिम मुनीर ने संयुक्त रूप से राष्ट्रपति ट्रम्प से मुलाकात की, जिस पर अमेरिकी लॉबी का एक बड़ा हिस्सा नाराज़ दिखाई दिया.

    यह भी पढ़ें- मुनीर की राह का सबसे बड़ा पत्थर बने नवाज शरीफ, CDF बनने के लिए जनरल असीम को माननी होगी ये शर्त