इंडिगो पर गहरा संकट... रद्द हो रहीं कई फ्लाइट्स; जानें क्या है वजह

    Indigo Disruption: भारत की नंबर-1 एयरलाइन IndiGo इस समय अपने अब तक के सबसे गहरे संकट का सामना कर रही है. पिछले कुछ हफ्तों में जिस तेजी से उड़ानें रद्द हुईं, उसने पूरे एविएशन सेक्टर में हलचल पैदा कर दी है.

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    Indigo Disruption: भारत की नंबर-1 एयरलाइन IndiGo इस समय अपने अब तक के सबसे गहरे संकट का सामना कर रही है. पिछले कुछ हफ्तों में जिस तेजी से उड़ानें रद्द हुईं, उसने पूरे एविएशन सेक्टर में हलचल पैदा कर दी है. सर्दियों के पीक सीज़न के बीच, यात्रियों की नाराज़गी, एयरपोर्ट्स पर बढ़ती अफरा-तफरी और इंडिगो के कमजोर होते शेड्यूल ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जिसने देश की सबसे भरोसेमंद एयरलाइन को हिला कर रख दिया? नीचे बिना बुलेट पॉइंट्स के, केवल सबहेड्स के साथ, पूरी कहानी नए तरीके से समझें.


    इंडिगो, जो 60% घरेलू मार्केट शेयर के साथ भारतीय हवाई बाजार की रीढ़ मानी जाती है, पिछले महीने से अपने ही ऑपरेशन को संभालने में नाकाम साबित होती दिख रही है. नवंबर में 1200 से अधिक उड़ानें रद्द हो गईं और दिसंबर के शुरुआती दिनों में ही 300 से ज्यादा फ्लाइटें कैंसिल कर दी गईं. सिर्फ दो दिनों की बात करें तो 200 से अधिक उड़ानें अचानक रद्द होने से दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे बड़े एयरपोर्ट यात्रियों की भीड़, नाराज़गी और अव्यवस्था से भर गए.

    संकट की असली वजह: अचानक बढ़ी क्रू की कमी

    इस पूरे संकट की जड़ DGCA के नए FDTL नियम हैं, जिसने इंडिगो की सबसे बड़ी ताकत—उसका विशाल नेटवर्क—को परेशान करना शुरू कर दिया है. 1 नवंबर से लागू हुए इन नियमों ने पायलटों की ड्यूटी के घंटे कम कर दिए और आराम का समय बढ़ा दिया. इसका सीधा असर यह हुआ कि रोजाना की 2200 उड़ानों को ऑपरेट करने के लिए इंडिगो के पास पर्याप्त क्रू ही नहीं बचा.इसके परिणामस्वरूप कई फ्लाइटें अपने समय पर नहीं निकल पाईं, कई क्रू शिफ्टें ओवरलैप हो गईं, और पूरा रोटेशन सिस्टम बिखर गया. विमान तैयार थे, रनवे खाली, लेकिन उड़ाने भराने के लिए पायलट और केबिन क्रू की उपलब्धता नहीं थी. यही सबसे बड़ा झटका साबित हुआ.

    DGCA के नए FDTL नियम और उनका प्रभाव

    DGCA के नए नियम पायलटों की थकान रोकने और सुरक्षा सुनिश्चित करने पर केंद्रित हैं. इनमें अनिवार्य आराम समय को बढ़ाया गया, रात की उड़ानों की सीमा घटाई गई और ड्यूटी अवधि कम की गई. इन बदलावों के बाद पायलट अब पहले की तुलना में कम समय उड़ान भर सकते हैं, जिससे रात की उड़ानों का भार अचानक बढ़ गया.इंडिगो के बेड़े में रात की उड़ानों की संख्या सबसे अधिक है, इसलिए इन नए मानकों ने उसके ऑपरेशन पर सबसे ज्यादा असर डाला. वहीं, एयर इंडिया, विस्तारा और अकासा एयर जैसी एयरलाइंस का नाइट ऑपरेशन अपेक्षाकृत कम है, इसलिए वे इस बदलाव से उतना प्रभावित नहीं हुईं.

    इंडिगो की रणनीतिक चूक जिसने समस्या बढ़ा दी

    पायलट संघों का दावा है कि इंडिगो को इन नियमों की जानकारी पहले से थी लेकिन उन्होंने अपने रोस्टर को समय रहते अपडेट नहीं किया. कई वर्षों से इंडिगो जिस मॉडल पर चल रही थी—कम क्रू के साथ अधिक उड़ानें—वही अब उसके लिए सबसे बड़ा बोझ बन गया है. नए नियमों ने इस मॉडल को अप्रभावी कर दिया और देखते ही देखते पूरा सिस्टम लड़खड़ा गया.

    एयरपोर्ट तकनीकी खराबियों ने हालात और खराब किए

    इसी संकट के बीच कई बड़े एयरपोर्ट्स पर तकनीकी खराबियां सामने आईं. दिल्ली और पुणे समेत कई जगहों पर चेक-इन सिस्टम और डिपार्चर कंट्रोल सिस्टम फेल हो गए. इसका असर यह हुआ कि कई उड़ानें घंटों लेट हुईं और देरी की यह श्रृंखला एक फ्लाइट से दूसरी में जाकर पूरे नेटवर्क को बाधित करती चली गई.

    सर्दियों, कोहरे और भारी ट्रैफिक ने दबाव बढ़ाया

    दिसंबर में कोहरे का मौसम और बढ़ती यात्रियों की संख्या सामान्य रूप से भी चुनौतियां उत्पन्न करती है, लेकिन इस बार इंडिगो पहले ही दबाव में थी. कोहरे से दृश्यता कम हुई, रनवे संचालन प्रभावित हुआ और कंपनी की ऑन-टाइम परफॉर्मेंस गिरकर 35% तक पहुंच गई. यानी हजार से अधिक उड़ानें अपने निर्धारित समय से काफी देर बाद रवाना हुईं.

    यात्रियों पर बढ़ती दिक्कतें और कंपनी की प्रतिक्रिया

    इंडिगो ने आधिकारिक बयान में कहा कि तकनीकी समस्याओं, नए क्रू नियमों, सर्दियों के शेड्यूल और एयरपोर्ट कंजेशन ने मिलकर यह स्थिति पैदा की है. कंपनी का दावा है कि वह रोस्टर को स्थिर करने की प्रक्रिया में है और जल्द ही हालात सामान्य हो जाएंगे.यात्रियों के लिए हालांकि यह समय चुनौतीपूर्ण है. उड़ानें लगातार लेट हो रही हैं, कई रद्द की जा रही हैं, और यात्रा योजनाएं बिगड़ रही हैं. यात्रियों को अपनी उड़ानों का स्टेटस बार-बार चेक करना पड़ रहा है और नाइट फ्लाइट्स फिलहाल सबसे ज्यादा प्रभावित हैं.

    FDTL का महत्व और भविष्य का संकेत

    भारत के FDTL नियम दुनिया के सबसे सख्त एविएशन सुरक्षा मानकों में आते हैं. ये नियम तय करते हैं कि पायलट कितना समय उड़ान भर सकता है, कितनी देर उसे आराम देना जरूरी है और रात की उड़ानों में उसकी सीमा क्या होगी.इन नियमों से यह साफ होता है कि सुरक्षा सर्वोपरि है, लेकिन एयरलाइन को अपने ऑपरेशंस को नई परिस्थितियों के अनुसार ढालने के लिए तेज़ी और दूरदर्शिता दोनों की जरूरत है.इंडिगो का यह संकट भारतीय एविएशन सेक्टर के लिए एक बड़ा सबक है—सिर्फ बड़े बेड़े या मार्केट शेयर से नहीं, बल्कि मजबूत प्लानिंग और बदलते नियमों के अनुसार खुद को ढालने की क्षमता ही किसी एयरलाइन को स्थिर बनाए रख सकती है. कंपनी दावा कर रही है कि स्थिति जल्द ही सुधरेगी, लेकिन फिलहाल यात्रियों को सतर्क और अपडेट रहना ही सबसे बेहतर विकल्प है.

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