Putin Delhi Visit: आज दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का स्वागत ऐसा क्षण था जिसने पूरे दौरे की दिशा और टोन को तय कर दिया. एयरपोर्ट पर उनकी मुस्कान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गर्मजोशी से गले मिलना और दोनों नेताओं का एक ही वाहन में सफर, इन तीन घटनाओं ने यह संदेश दिया कि यह यात्रा केवल औपचारिक कूटनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें व्यक्तिगत और भावनात्मक जुड़ाव भी स्पष्ट रूप से दिख रहा है.
पुतिन के चेहरे पर आराम और आत्मविश्वास स्पष्ट था. रनवे पर सीढ़ियों से उतरते समय उनकी मुस्कान और हल्की फुर्ती यह संकेत देती थी कि वे दिल्ली को अपने दूसरे घर के रूप में देखते हैं. बॉडी लैंग्वेज विशेषज्ञों के अनुसार, जब कोई नेता किसी देश में सुरक्षित और सम्मानित महसूस करता है, तब उसकी मुद्रा पूरी तरह रिलैक्स और सहज दिखाई देती है. पुतिन का यह सहज अंदाज उनके लिए भारत की गर्मजोशी और भरोसे को दर्शाता है.
Prime Minister Narendra Modi and Russian President Vladimir Putin travel in the same car, as they depart from the Palam Technical Airport in Delhi
— ANI (@ANI) December 4, 2025
President Putin is on a two-day State visit to India. He will hold the 23rd India-Russia Annual Summit with PM Narendra Modi in… pic.twitter.com/OTGEJmPCrB
प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत और अंतरंग क्षण
जैसे ही पुतिन विमान से उतरे, प्रधानमंत्री मोदी एयरपोर्ट पर उनका इंतजार कर रहे थे. औपचारिक हैंडशेक की जगह दोनों नेताओं के बीच गले मिलने का दृश्य बना, जो कूटनीतिक प्रोटोकॉल के पार व्यक्तिगत आत्मीयता को दर्शाता है. इस पल ने स्पष्ट कर दिया कि दोनों नेताओं के बीच का रिश्ता केवल देशों तक सीमित नहीं है, बल्कि व्यक्तिगत भरोसे और लंबे समय से चले आ रहे मित्रता पर भी आधारित है.
तस्वीरों में देखा गया कि पुतिन ने मोदी की पीठ थपथपाई और हाथ थामे रखा, जो उनके गहरे जुड़ाव और आत्मीय संबंध का प्रतीक माना जा सकता है. यह दृश्य पश्चिमी मीडिया के सामान्य पुतिन इमेज से बिलकुल अलग था, जिसे अक्सर गंभीर या डिफेंसिव मुद्रा में दिखाया जाता है.
कार डिप्लोमेसी: सुरक्षा और भरोसे का प्रतीक
एयरपोर्ट का सबसे उल्लेखनीय क्षण तब आया जब दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी आधिकारिक बुलेटप्रूफ लिमोजिन की बजाय, एक सामान्य सफेद टोयोटा फॉर्च्यूनर में एक साथ सफर करने का निर्णय लिया. सुरक्षा प्रोटोकॉल के लिहाज से यह कदम असामान्य और दुर्लभ था.
इस साझा वाहन में बैठना दो नेताओं के बीच भरोसे का स्पष्ट संकेत माना जाता है. पुतिन पीछे की सीट पर मुस्कुराते हुए बैठे, जबकि प्रधानमंत्री मोदी उनके ठीक बगल में थे. गाड़ी के भीतर दोनों का आरामदायक व्यवहार और हाथ हिलाकर अभिवादन करना यह दिखाता है कि यह मुलाकात केवल औपचारिकताओं तक सीमित नहीं, बल्कि व्यक्तिगत आत्मीयता और मित्रता का प्रतीक भी है.
पश्चिम के लिए संदेश: आत्मविश्वास और मुस्कान
एयरपोर्ट पर और वाहन के भीतर पुतिन कई बार हंसते और मुस्कुराते दिखाई दिए. यह मुस्कान केवल दोस्ताना व्यवहार का संकेत नहीं थी, बल्कि पश्चिमी देशों के लिए एक स्पष्ट संदेश भी थी. यह बताती है कि पुतिन अंतरराष्ट्रीय दबाव और युद्ध की चुनौतियों के बावजूद अपने विश्वसनीय मित्र भारत के साथ आत्मविश्वास से खड़े हैं.
विश्लेषकों के अनुसार, एक नेता का खुशमिजाज और सहज रूप से दूसरे देश में स्वागत करना न केवल संबंधों की गर्मजोशी को दर्शाता है, बल्कि विरोधी देशों के मनोबल पर भी प्रभाव डालता है. इस यात्रा में पुतिन की सहजता और खिलखिलाहट इस संदेश को और मजबूत कर रही है कि भारत के साथ रूस का रिश्ता अडिग और स्थिर है.
पीएम आवास की ओर: ‘एक साथ’ का प्रतीक
जैसे ही सफेद एसयूवी का काफिला एयरपोर्ट से बाहर निकला, यह स्पष्ट हो गया कि यह दौरा केवल समझौतों पर हस्ताक्षर करने के लिए नहीं है. पुतिन का प्रधानमंत्री मोदी की बगल में बैठना और दोनों का एक साथ गाड़ी चलाना भारतीय आतिथ्य और ‘अतिथि देवो भव’ की भावना को प्रदर्शित करता है.
सफर के दौरान दोनों नेताओं ने बाहर देखा, मुस्कुराए और हाथ हिलाया. यह दृश्य दुनिया को यह संदेश देता है कि भारत और रूस के बीच सहयोग केवल कूटनीतिक समझौतों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें गहरी मित्रता और भरोसा भी शामिल है. यात्रा की शुरुआत ही इस तरह भावनात्मक और प्रतीकात्मक रूप से मजबूत होने से यह स्पष्ट होता है कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी का स्तर उच्चतम है.
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