अमेरिका की आक्रामक व्यापार नीति पर आलोचना का दौर तेज़ हो गया है. प्रख्यात अमेरिकी अर्थशास्त्री रिचर्ड वोल्फ ने कहा है कि भारत पर टैरिफ लगाकर अमेरिका खुद ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहा है. उनका मानना है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर आर्थिक दबाव बनाना न सिर्फ ग़लत रणनीति है, बल्कि इससे वैश्विक मंच पर अमेरिका की स्थिति भी कमजोर हो रही है.
रिचर्ड वोल्फ ने एक साक्षात्कार में तीखा तंज कसते हुए कहा, "संयुक्त राष्ट्र के अनुसार भारत अब दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश बन चुका है. ऐसे में अमेरिका का यह जताना कि भारत को क्या करना चाहिए, वैसा ही है जैसे कोई चूहा हाथी को घूंसा मारने की कोशिश करे." उन्होंने कहा कि भारत पर टैरिफ लगाकर अमेरिका उसे अपनी ओर झुकाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन यह रणनीति उलटी पड़ रही है.
ब्रिक्स को मजबूती देने वाला कदम साबित होगा टैरिफ
रशिया टुडे को दिए गए इंटरव्यू में वोल्फ ने स्पष्ट किया कि यदि अमेरिका भारत के लिए व्यापारिक दरवाज़े बंद करता है, तो भारत ब्रिक्स देशों की ओर रुख करेगा, और इससे पश्चिमी वर्चस्व के विकल्प के रूप में ब्रिक्स और ताकतवर होगा. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, "जैसे रूस ने पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद अपने तेल के खरीदार बदल लिए, वैसे ही भारत भी अपने उत्पादों के लिए नए बाज़ार तलाश लेगा."
ब्रिक्स का बढ़ता प्रभाव, G7 से आगे निकलने की तैयारी
रिचर्ड वोल्फ ने बताया कि आज के समय में ब्रिक्स देशों का वैश्विक उत्पादन में हिस्सा लगभग 35% है, जबकि कभी आर्थिक महाशक्ति माने जाने वाले G7 का हिस्सा अब 28% पर सिमट गया है. यह बदलाव वैश्विक शक्ति संतुलन में हो रहे स्थायी परिवर्तन का संकेत है.
10 देशों की मज़बूत हो रही साझेदारी
ब्रिक्स में अब ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका के अलावा मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और यूएई जैसे नए सदस्य शामिल हो चुके हैं. इसका उद्देश्य है – डॉलर के एकाधिकार को चुनौती देना और वैश्विक आर्थिक संरचना में बहुध्रुवीयता को बढ़ावा देना.
ट्रंप की चेतावनियां और हकीकत
डोनाल्ड ट्रंप पहले भी ब्रिक्स को ‘नाकाम गठबंधन’ बता चुके हैं. उन्होंने यह भी धमकी दी थी कि अगर ब्रिक्स देश कोई संयुक्त मुद्रा लाने की कोशिश करते हैं, तो अमेरिका उस पर 100% टैरिफ थोप देगा. लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की ये प्रतिक्रियाएं भय और हताशा का संकेत हैं.
अमेरिका की खुद को ही दी गई मात?
वोल्फ ने अंत में कहा कि भारत कोई छोटा खिलाड़ी नहीं है. अमेरिका का उससे टकराना, स्वयं को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग करने जैसा है. "अमेरिका आज भी सोचता है कि वह विश्व मंच का सबसे ताकतवर खिलाड़ी है, लेकिन हकीकत यह है कि वह अपनी ही नीतियों से खुद को कमजोर कर रहा है.
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