वॉशिंगटन: अमेरिका हमेशा से यह दावा करता रहा है कि वह आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करता और आतंकवादी संगठनों से किसी भी कीमत पर बातचीत नहीं की जाती. लेकिन हाल के वर्षों में अमेरिकी नीतियों में आए बदलावों से यह दावा खोखला प्रतीत होता है. फिलिस्तीनी चरमपंथी संगठन हमास के साथ अमेरिका की कथित बातचीत इस दोहरे रवैये की एक और मिसाल बनती जा रही है.
ट्रंप का बयान: हमास से बातचीत जारी है
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में यह खुलासा किया कि अमेरिका हमास के साथ "गंभीर स्तर पर बातचीत" कर रहा है. ट्रंप ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "हम हमास से बहुत गहन बातचीत कर रहे हैं. हमने उन्हें स्पष्ट कर दिया है कि अगर उन्होंने इजरायली बंधकों को तुरंत रिहा नहीं किया, तो परिणाम खतरनाक हो सकते हैं."
उन्होंने यह भी जोड़ा कि हमास कुछ "ऐसी मांगें कर रहा है जो उचित हो सकती हैं", हालांकि उन्होंने इन मांगों के बारे में विस्तार से नहीं बताया.
क्या है अमेरिका की दोहरी नीति?
अमेरिका की आधिकारिक नीति आतंकवाद को लेकर बहुत स्पष्ट प्रतीत होती है "जीरो टॉलरेंस". अमेरिकी सरकार सार्वजनिक रूप से यह कहती है कि वह आतंकवादियों से किसी भी प्रकार की बातचीत नहीं करती. परंतु व्यवहार में ऐसा अक्सर नहीं होता.
तालिबान, हमास, हिज़्बुल्लाह, अल-कायदा, और लश्कर-ए-तैयबा जैसे कई संगठनों से अमेरिका ने या तो प्रत्यक्ष संवाद किया है या फिर अप्रत्यक्ष माध्यमों से संपर्क बनाए रखा है. यह संपर्क कई बार सीआईए (CIA) या अन्य गुप्तचर एजेंसियों के माध्यम से हुआ है.
तालिबान से समझौता: कैसे बदली रणनीति?
अगस्त 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों की वापसी इतिहास में एक अहम मोड़ रही. यह पूरी प्रक्रिया तालिबान के साथ हुए एक अंतरराष्ट्रीय समझौते का नतीजा थी, जिसे ट्रंप प्रशासन ने कतर की मध्यस्थता से अंजाम दिया था. उस समझौते ने यह स्पष्ट कर दिया था कि अमेरिका रणनीतिक जरूरतों के अनुसार अपने ही सिद्धांतों से पीछे हट सकता है.
हमास के कब्जे में बंधक: इजरायल की चिंता
फिलहाल करीब 50 इजरायली नागरिक हमास की कैद में हैं, जिनमें से लगभग 20 के जीवित होने की संभावना है. अक्टूबर 2023 में गाजा से हमास द्वारा किए गए हमले में लगभग 1,200 लोग मारे गए थे और 250 से अधिक लोगों को बंधक बना लिया गया था. इसके बाद इजरायल ने गाजा पर जबरदस्त सैन्य अभियान चलाया, जिसके चलते हजारों फिलिस्तीनी मारे गए और लाखों लोग बेघर हुए.
इजरायल ने अमेरिका से अनुरोध किया है कि वह इन बंधकों की रिहाई के लिए प्रभावी हस्तक्षेप करे. संभवतः इसी दबाव में अमेरिका ने हमास से संपर्क साधा है.
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