पाकिस्तान के बाद अब चीन पर नकेल कसेगी भारतीय सेना, ‘पूर्वी प्रचंड प्रहार’ की होने जा रही शुरुआत

    Joint Military Exercise: भारत की सशस्त्र सेनाएँ अब किसी भी चुनौती का जवाब एकजुट होकर देने के लिए तैयार हैं. पश्चिमी मोर्चे पर ‘त्रिशूल’ अभ्यास के बाद अब नजरें पूर्व की ओर टिक गई हैं. 11 से 15 नवंबर तक अरुणाचल प्रदेश की दुर्गम ऊँचाइयों में भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना मिलकर ‘पूर्वी प्रचंड प्रहार (Poorvi Prachand Prahar)’ नामक विशाल युद्धाभ्यास करने जा रही हैं. 

    After Pakistan Indian Army will crack down on China Eastern strike about to begin
    Image Source: Social Media

    Joint Military Exercise: भारत की सशस्त्र सेनाएँ अब किसी भी चुनौती का जवाब एकजुट होकर देने के लिए तैयार हैं. पश्चिमी मोर्चे पर ‘त्रिशूल’ अभ्यास के बाद अब नजरें पूर्व की ओर टिक गई हैं. 11 से 15 नवंबर तक अरुणाचल प्रदेश की दुर्गम ऊँचाइयों में भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना मिलकर ‘पूर्वी प्रचंड प्रहार (Poorvi Prachand Prahar)’ नामक विशाल युद्धाभ्यास करने जा रही हैं. 

    यह अभ्यास न केवल चीन को भारत की सामरिक क्षमता का संदेश देगा, बल्कि तीनों सेनाओं के बीच समन्वय और संयुक्त अभियान क्षमता की एक सशक्त मिसाल भी बनेगा.

    चीन सीमा के करीब भारत की तैयारियों का बड़ा इम्तिहान

    शीर्ष रक्षा सूत्रों के अनुसार, यह अभ्यास वास्तविक युद्ध जैसे हालातों में तीनों सेनाओं की संयुक्त तैयारी की परीक्षा होगा. थलसेना के तोपखाने और मशीनीकृत इकाइयाँ, वायुसेना के राफेल फाइटर जेट्स और ड्रोन सिस्टम, और नौसेना की हवाई निगरानी, सब एक मंच पर समन्वित रूप से काम करेंगे.

    रक्षा जनसम्पर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल महेन्द्र रावत के मुताबिक, इस अभ्यास की खासियत होगी विशेष बलों, मानव रहित प्रणालियों, सटीक हथियारों और नेटवर्क आधारित कमांड सेंटरों का उच्च हिमालयी परिस्थितियों में समन्वित उपयोग.

    ‘थिएटर कमांड’ की दिशा में बड़ा कदम

    ‘पूर्वी प्रचंड प्रहार’ अभ्यास भारत की थिएटर कमांड अवधारणा को और मज़बूती देगा. यह वही रणनीतिक ढाँचा है, जिसके ज़रिए तीनों सेनाओं की ताकतों को एकीकृत कर किसी भी दिशा में एक साथ कार्रवाई की जा सकेगी. यह अभ्यास इस बात की पुष्टि करेगा कि भारत ऊँचाई वाले संवेदनशील इलाकों में भी तुरंत और सटीक प्रतिक्रिया देने की क्षमता रखता है.

    पश्चिमी सीमा पर ‘त्रिशूल’ की गूंज अभी जारी

    पूर्व में ‘पूर्वी प्रचंड प्रहार’ की तैयारियाँ चल रही हैं, तो पश्चिम में ‘त्रिशूल’ अभ्यास अभी भी जारी है. राजस्थान और गुजरात की सीमाओं पर चल रहे इस अभ्यास में थलसेना, वायुसेना और नौसेना के अग्रिम मोर्चे की इकाइयाँ शामिल हैं. इसका मुख्य उद्देश्य है, तेज़ प्रतिक्रिया क्षमता, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, और एकीकृत संचार प्रणाली की परख.

    30 अक्टूबर से चल रहे इस युद्धाभ्यास में वायुसेना के फाइटर जेट्स और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट थलसेना की स्ट्राइक फॉर्मेशनों के साथ मिलकर आक्रामक अभियानों का संचालन कर रहे हैं. सैटेलाइट निगरानी और रिमोट-ऑपरेटेड फाइटर सिस्टम से वास्तविक समय की जानकारी मिल रही है, जिससे कार्रवाई में फुर्ती बढ़ी है.

    नौसेना की रणनीतिक मौजूदगी

    नौसेना भी इन दोनों अभ्यासों में अहम भूमिका निभा रही है. अरब सागर से समुद्री टोही और रसद सहयोग के ज़रिए नौसेना ने अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की है. नौसेना संचालन महानिदेशक वाइस एडमिरल ए.एन. प्रमोद ने कहा, “हमारा लक्ष्य सभी समुद्री और थल-आकाश बलों के बीच अधिकतम तालमेल बनाना है. यह बहु-आयामी और आधुनिक युद्ध सिद्धांतों पर आधारित सबसे बड़ा संयुक्त अभियान है.”

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