भारत की वैश्विक ताकत अब दुनिया खुले तौर पर स्वीकार करने लगी है. हाल के सैन्य अभियानों और कूटनीतिक संतुलन ने भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक निर्णायक भूमिका में ला खड़ा किया है. इसी क्रम में मंगलवार को इजरायल के विदेश मंत्री गिडोन सार (Gideon Sa’ar) ने नई दिल्ली में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर (S. Jaishankar) से मुलाकात की और कहा कि भारत अब 'ग्लोबल सुपरपावर' बन चुका है, जबकि इजरायल एक 'रीजनल पावरहाउस' के रूप में भारत के साथ मिलकर वैश्विक स्थिरता को मजबूत करेगा.
भारत-इजरायल संबंधों को नई ऊंचाई
दिल्ली में हुई इस उच्च-स्तरीय बैठक के दौरान दोनों देशों ने सुरक्षा, रक्षा, कृषि, निवेश, नवाचार और साइबर सहयोग के नए रोडमैप पर चर्चा की. बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि भारत और इजरायल आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करेंगे और क्षेत्रीय शांति व स्थिरता के लिए अपने प्रयासों को समन्वित करेंगे.
डॉ. जयशंकर ने कहा, "भारत और इजरायल के बीच संबंध गहरे भरोसे और परस्पर सम्मान पर आधारित हैं. हम दोनों आतंकवाद की गंभीर चुनौती का सामना कर रहे हैं, इसलिए हर रूप में इसके प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति जरूरी है."
जयशंकर ने आगे कहा कि भारत पश्चिम एशिया के हालात पर करीबी नजर रखे हुए है और गाजा में शांति समझौते (Gaza Peace Accord) के प्रयासों का समर्थन करता है. उन्होंने कहा कि भारत गाजा में बंधकों की सुरक्षित वापसी का स्वागत करता है और दीर्घकालिक शांति के लिए हर संभव सहयोग देने को तैयार है.
पीएम मोदी ने सबसे पहले जताया था समर्थन
इजरायल के विदेश मंत्री गिडोन सार ने नई दिल्ली की मेजबानी को 'सम्मान और सौभाग्य' बताया. उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के पहले नेता थे जिन्होंने हमास के हमले के तुरंत बाद हमें फोन कर समर्थन दिया था. हम इसे कभी नहीं भूलेंगे. भारत का यह कदम हमारी गहरी दोस्ती का प्रतीक है."
गिडोन सार ने भारत को 'भविष्य की वैश्विक शक्ति' बताते हुए कहा कि भारत और इजरायल का सहयोग वैश्विक स्थिरता के लिए निर्णायक है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच होने वाला नया निवेश समझौता (Investment Pact) कृषि, तकनीक और स्टार्टअप इनोवेशन के क्षेत्र में साझेदारी को नई ऊंचाई देगा.
कृषि और टेक्नोलॉजी में नई साझेदारी
इजरायली मंत्री ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में कई इजरायली मंत्री भारत का दौरा कर चुके हैं. दोनों देशों के बीच स्मार्ट एग्रीकल्चर, वाटर मैनेजमेंट, हाई-टेक इनोवेशन और साइबर सिक्योरिटी में तेजी से प्रगति हुई है.
इजरायल ने यह भी घोषणा की कि वह अगले वर्ष भारत में आयोजित होने वाले ग्लोबल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सम्मेलन में भाग लेगा. यह सम्मेलन दोनों देशों के तकनीकी सहयोग को और गहरा करने का मंच बनेगा.
आतंकवाद के खिलाफ साझा मोर्चा
दोनों देशों ने आतंकवाद को “मानवता के लिए साझा खतरा” बताया और इसके खिलाफ एकजुट होकर कार्रवाई की प्रतिबद्धता दोहराई.
इजरायली विदेश मंत्री ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा, "हम पहलगाम हमले के शहीदों के परिवारों के साथ हैं. आतंकवाद को कभी भी और किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता."
उन्होंने आगे कहा कि हमास को निशस्त्र किया जाना चाहिए और गाजा क्षेत्र का पूर्ण निरस्त्रीकरण (Full Disarmament) जरूरी है, ताकि मध्य पूर्व में स्थायी शांति संभव हो सके.
जयशंकर ने इस दौरान दोहराया कि भारत की विदेश नीति का मूल उद्देश्य क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सहयोग को बढ़ावा देना है. उन्होंने कहा, "भारत किसी पक्ष की राजनीति नहीं करता, बल्कि शांति और मानवता के पक्ष में खड़ा है. हमारा लक्ष्य है कि पश्चिम एशिया में ऐसा संतुलन बने जिससे सभी देशों को सुरक्षा और समृद्धि मिले."
रक्षा और सुरक्षा सहयोग का विस्तार
भारत और इजरायल के बीच रक्षा क्षेत्र में लंबे समय से घनिष्ठ संबंध रहे हैं. इस बैठक में साइबर सुरक्षा, ड्रोन तकनीक, मिसाइल डिफेंस सिस्टम और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित युद्धक तकनीकों पर साझेदारी बढ़ाने पर भी चर्चा हुई.
इजरायल, भारत के लिए रक्षा तकनीक का एक प्रमुख साझेदार है. दोनों देशों ने हाल के वर्षों में Barak-8 मिसाइल, Spyder एयर डिफेंस सिस्टम, और हारोप ड्रोन जैसे प्रोजेक्ट्स में सहयोग किया है.
अब दोनों देश संयुक्त अनुसंधान और उत्पादन (Joint R&D and Co-Production) के मॉडल पर काम करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, जिससे ‘मेक इन इंडिया’ के तहत स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा.
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