Goldsboro B-52 Crash: आज के वैश्विक परिदृश्य में इजरायल और ईरान के बीच बढ़ता तनाव अमेरिका के सीधे हस्तक्षेप के कारण और भी गंभीर रूप ले चुका है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने हाल ही में ईरान की तीन प्रमुख परमाणु साइटों पर हमला होने की बात कही है. यह हमले ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अमेरिका खुद कभी परमाणु तबाही के बेहद करीब पहुंच चुका था?
1961 का वो भयावह दिन
यह घटना लगभग 64 साल पहले की है, जब अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना के ऊपर से उड़ रहे एक बी-52 विमान से दो परमाणु बम जमीन पर गिर गए. उस समय ये बम मार्क 39 मॉडल के थे, जिनकी शक्ति हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए बमों से 260 गुना ज्यादा थी.

जहां तक इस भयावह दुर्घटना का सवाल है, बम के फटने की प्रक्रिया आधे रास्ते तक शुरू हो गई थी, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण परमाणु विस्फोट नहीं हुआ. एक स्विच के खराब होने ने इस विनाशकारी विस्फोट को टाल दिया. अमेरिकी वायु सेना ने बाद में उस बम को गहरे गड्ढे से सुरक्षित रूप से निकाल लिया.

गुप्त दस्तावेजों से खुला राज़
यह घटना वर्षों तक राज़ बनी रही, लेकिन 2013 में अमेरिका के कुछ गुप्त दस्तावेज सार्वजनिक हुए, जिनमें इस दुर्घटना का पूरा सच सामने आया. इन दस्तावेजों से पता चला कि अमेरिका परमाणु विस्फोट के बेहद नजदीक था, जिससे पूरे देश में भय फैल सकता था.

जानलेवा हादसे में हताहत भी हुए जवान
इस हादसे में दो क्रू मेंबर्स की जान भी चली गई थी और विमान को भारी नुकसान हुआ था. हालांकि पूरी तबाही टल गई, लेकिन यह घटना इतिहास के पन्नों में एक चेतावनी की तरह दर्ज हो गई है कि परमाणु हथियारों का जोखिम कितना भयानक हो सकता है.
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