वाशिंगटन डीसी (अमेरिका) : फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को चेताया है कि वह जल्दबाजी में रूस के साथ समझौता न करें. उसने बार-बार सीजफायर का उल्लंघन किया है. उन्होंने भरोसे के सवाल को महत्वपूर्ण बताया है.
मैक्रों ने अमेरिका में ट्रम्प से मुलाकात की
मैक्रों यूरोपीय देशों की ओर से ट्रम्प से मिलने अमेरिका पहुंचे थे. मुलाकात के बाद उन्होंने फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच कुछ ही हफ्तों में युद्धविराम समझौते की संभावना है. यूरोपीय देश इस युद्ध को लेकर समान चिंता रखते हैं और अपनी सुरक्षा को लेकर सतर्क हैं.
"रूस हर बार समझौता तोड़ता रहा है"
मैक्रों ने 2014 के मिन्स्क समझौते का जिक्र करते हुए कहा, "मैं व्यक्तिगत अनुभव से कह सकता हूं कि रूस ने हर बार शांति समझौते का उल्लंघन किया. तब हमने एकजुट होकर जवाब नहीं दिया था. इसलिए सबसे बड़ा मुद्दा भरोसे का है."
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि रूस और अमेरिका के बीच बातचीत पहले होनी चाहिए, फिर अमेरिका और यूक्रेन के बीच.
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"यूक्रेन को अकेला छोड़ा तो फिर हमला होगा"
मैक्रों ने आगाह किया कि अगर यूरोप और अमेरिका यूक्रेन को अकेला छोड़ते हैं, तो रूस एक और हमला कर सकता है.
उन्होंने कहा कि युद्धविराम के बाद चर्चा इस पर होगी कि यूक्रेन की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए और रूस के कब्जे से यूक्रेनी जमीन कैसे वापस ली जाए.
फ्रांस-ब्रिटेन की संयुक्त सेना भेजने का प्रस्ताव
मैक्रों ने सुझाव दिया कि शांति समझौते को सुनिश्चित करने के लिए दो संभावित विकल्प हो सकते हैं:
यूक्रेन की सैन्य क्षमता को बढ़ाया जाए, ताकि वह रूस के खिलाफ मजबूत स्थिति में बना रहे.
फ्रांस और ब्रिटेन की संयुक्त सेना यूक्रेन में तैनात की जाए, ताकि रूस के वादों की निगरानी हो सके.
उन्होंने कहा कि यह कदम अमेरिका की सहमति के साथ उठाया जाएगा और इसका मकसद रूस को जवाबदेह बनाना होगा.
अमेरिका-यूक्रेन समझौते पर यूरोप को कोई दिक्कत नहीं
मैक्रों ने स्पष्ट किया कि यदि अमेरिका और यूक्रेन के बीच खनिज संसाधनों को लेकर कोई समझौता होता है, तो इससे फ्रांस या बाकी यूरोप को कोई आपत्ति नहीं होगी.
ट्रम्प जेलेंस्की से बैठक के लिए तैयार
राष्ट्रपति ट्रम्प ने मंगलवार को घोषणा की कि वे जल्द ही यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से मुलाकात करेंगे.
मैक्रों ने इसे एक महत्वपूर्ण कदम बताया और कहा कि अगर रूस युद्धविराम का सम्मान नहीं करता, तो यह साफ हो जाएगा कि पुतिन शांति और यूक्रेन की संप्रभुता के बारे में गंभीर नहीं हैं.
अब क्या होगा?
युद्धविराम की संभावना बढ़ रही है.
ट्रम्प और जेलेंस्की की बैठक अहम साबित हो सकती है.
फ्रांस-ब्रिटेन की संयुक्त सेना भेजने पर विचार किया जा रहा है.
अब सवाल यह है कि क्या रूस इस बार अपने वादे निभाएगा या फिर शांति समझौता केवल एक औपचारिकता बनकर रह जाएगा?
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