नई दिल्ली : काम के घंटों लेकर दुनिया भर में चर्चा जारी है. अब आईटी सर्विसेज कंपनी कैपजेमिनी इंडिया के सीईओ अश्विन यार्डी ने ने पर इस पर अपनी बात रखी है. वह हफ्ते में 47.5 घंटे काम कराने को काफी मानते हैं. वीकेंड्स पर काम कराने के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा कि वह पिछले 4 सालों से इस नीति पर काम कर रहे हैं और कर्मचारियों को वीकेंड्स पर कोई ईमेल नहीं भेजते हैं.
वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर बड़ा बयान
नैसकॉम टेक्नोलॉजी एंड लीडरशिप फोरम में मंगलवार को एक कर्मचारी ने यार्डी से आदर्श कार्य घंटे को लेकर सवाल किया. इस पर उन्होंने साफ कहा कि कंपनी के लिए कर्मचारियों की वर्क-लाइफ बैलेंस बेहद अहम है और सप्ताह में 47.5 घंटे पर्याप्त हैं.
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नारायण मूर्ति पहले ही दे चुके हैं 70 घंटे काम करने की सलाह
इससे पहले इन्फोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति हफ्ते में 70 घंटे काम करने की सलाह दे चुके हैं. वहीं L&T के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन ने तो 90 घंटे काम करने का समर्थन किया था.
दो मौकों पर मूर्ति ने बढ़े हुए वर्किंग आवर्स की वकालत की:
अक्टूबर 2023: उन्होंने युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी, जिसके बाद सोशल मीडिया पर जबरदस्त बहस छिड़ गई थी.
दिसंबर 2024: मूर्ति ने कहा था कि भारत को नंबर वन बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी, क्योंकि देश के 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मिल रहा है, जो गरीबी का संकेत है.
काम के लंबे घंटे से 7.45 लाख लोगों की जान गई - रिपोर्ट
काम के लंबे घंटों का सेहत पर असर जानने के लिए WHO और ILO ने 194 देशों में रिसर्च की. 48.8 करोड़ लोग हर हफ्ते 55 घंटे से ज्यादा काम करने को मजबूर थे, जिससे 7.45 लाख लोगों की मौत हो गई. इनमें से:
3.98 लाख लोगों की मौत स्ट्रोक से हुई
3.47 लाख लोगों की मौत दिल की बीमारियों से हुई
भारती एंटरप्राइजेज के चेयरमैन बोले- काम से ज्यादा जरूरी परिवार और सेहत
भारती एंटरप्राइजेज के चेयरमैन राजन भारती मित्तल ने वर्क-लाइफ बैलेंस का समर्थन करते हुए कहा,
"हमारे लिए काम का मतलब क्वालिटी वर्क है, न कि घंटों की गिनती. हमारा मानना है कि कर्मचारी कंपनी के मालिक की तरह काम करें, लेकिन उनके लिए परिवार और सेहत भी महत्वपूर्ण है."
L&T चेयरमैन - रविवार को भी काम करवाने की इच्छा जताई
L&T के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन ने जनवरी 2025 में अपनी टीम के साथ एक ऑनलाइन मीटिंग में कहा था,
"अगर संभव हुआ तो हम रविवार को भी काम करवाएंगे. मुझे खेद है कि अभी मैं ऐसा नहीं कर पा रहा."
अडाणी का वर्क-लाइफ बैलेंस पर मजेदार बयान
गौतम अडाणी ने हाल ही में वर्क-लाइफ बैलेंस पर कहा था, "अगर आप 8 घंटे घर पर बिताएंगे, तो बीवी भाग जाएगी!"
उनका मानना है कि हर व्यक्ति का वर्क-लाइफ बैलेंस अलग होता है और इसे जबरदस्ती थोपना गलत है.
वर्किंग कल्चर को लेकर दो विचारधाराएं टकरा रही हैं
एक ओर मूर्ति और सुब्रह्मण्यन जैसे लीडर्स हैं, जो ज्यादा घंटे काम करने को भारत के विकास के लिए जरूरी मानते हैं.
दूसरी ओर अश्विन यार्डी, राजन मित्तल और अडाणी जैसे लोग हैं, जो वर्क-लाइफ बैलेंस को प्राथमिकता देते हैं.
अब सवाल यह है कि आने वाले समय में भारत का कॉरपोरेट कल्चर किस दिशा में जाएगा – ज्यादा काम या बेहतर बैलेंस?
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