ग्‍वादर पोर्ट पर फंसे चीन-पाकिस्‍तान, भारत ने बना लिया चाबहार की क्षमता को 5 गुना बढ़ाने का प्लान

भारत ने चाबहार पोर्ट के विकास को लेकर एक महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है, जिससे न केवल क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह पाकिस्तान और चीन के ग्वादर पोर्ट के प्रभाव को भी चुनौती देगा. भारत सरकार अगले 10 वर्षों में लगभग 4000 करोड़ रुपये का निवेश कर चाबहार पोर्ट की क्षमता को पांच गुना बढ़ाने की योजना बना रही है.

China-Pakistan stuck at Gwadar Port India made a plan to increase the capacity of Chabahar 5 times
प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

नई दिल्ली/तेहरान: भारत ने चाबहार पोर्ट के विकास को लेकर एक महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है, जिससे न केवल क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह पाकिस्तान और चीन के ग्वादर पोर्ट के प्रभाव को भी चुनौती देगा. भारत सरकार अगले 10 वर्षों में लगभग 4000 करोड़ रुपये का निवेश कर चाबहार पोर्ट की क्षमता को पांच गुना बढ़ाने की योजना बना रही है.

ग्वादर पोर्ट पर चीन और पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ीं

बलूचिस्तान में सुरक्षा चुनौतियां और राजनीतिक अस्थिरता पाकिस्तान और चीन की ग्वादर पोर्ट परियोजना के लिए बड़ा सिरदर्द बन गई हैं. हाल ही में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) द्वारा एक ट्रेन हाईजैक की घटना के बाद पाकिस्तान सरकार और चीन के निवेश की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं.

चीन ने ग्वादर में नेवल और मिलिट्री बेस स्थापित करने की योजना बनाई थी, लेकिन वहां की सुरक्षा स्थिति के कारण यह सपना साकार नहीं हो पा रहा. इस बीच, भारत ने ईरान के चाबहार पोर्ट को अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए मजबूत हब बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं.

भारत ने चाबहार पोर्ट के विकास में तेज़ी लाई

भारत और ईरान के बीच चाबहार पोर्ट को विकसित करने के लिए 10 साल का दीर्घकालिक समझौता हुआ है. भारत सरकार ने 12 करोड़ डॉलर की सहायता दी है, जबकि 25 करोड़ डॉलर का क्रेडिट लाइन भी प्रदान की गई है, ताकि पोर्ट के बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाया जा सके.

इसके अलावा, भारत चाबहार में नई आधुनिक क्रेनों की स्थापना और एक नया बर्थ बनाने की योजना पर काम कर रहा है. चाबहार की मौजूदा क्षमता 100,000 TEUs से बढ़ाकर 500,000 TEUs करने का लक्ष्य रखा गया है.

अमेरिकी नीति के बावजूद भारत का चाबहार पर फोकस

अमेरिका ने हाल ही में ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों के तहत चाबहार पोर्ट को दी गई छूट को खत्म कर दिया, लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस रणनीतिक परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है.

अमेरिका की ओर से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अधिकतम दबाव नीति अपनाई गई है, लेकिन भारत ने इसका असर अपनी आर्थिक और रणनीतिक योजनाओं पर नहीं पड़ने दिया.

चाबहार पोर्ट से भारत को क्या फायदे मिलेंगे?

1. ग्वादर पोर्ट के प्रभाव को संतुलित करना:

  • चाबहार पोर्ट पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट का एक रणनीतिक विकल्प है.
  • यह भारत को पाकिस्तान को बायपास करके ईरान और अफगानिस्तान से सीधे व्यापार करने का अवसर देगा.

2. अंतरराष्ट्रीय नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) का विस्तार:

  • चाबहार पोर्ट भारत को रूस, आर्मेनिया, और यूरोप से सीधे जोड़ने वाला महत्वपूर्ण केंद्र बनेगा.
  • INSTC के जरिए भारत को मध्य एशिया और रूस के साथ व्यापार में नया मार्ग मिलेगा.

3. ईरान और अफगानिस्तान से मजबूत कनेक्टिविटी:

  • भारत चाबहार के माध्यम से अफगानिस्तान को व्यापारिक समर्थन प्रदान कर रहा है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान मिल रहा है.
  • यह भारत की ऊर्जा और व्यापारिक सुरक्षा को मजबूत करने में मदद करेगा.

4. रूस और खाड़ी देशों के साथ व्यापार को बढ़ावा:

  • अमेरिकी प्रतिबंधों से बचते हुए रूस INSTC के माध्यम से भारत और मध्य पूर्व में अपना सामान भेज सकता है.
  • भारत के लिए खाड़ी देशों और यूरोप तक सामान पहुंचाना आसान हो जाएगा.

आगे की रणनीति

भारत का चाबहार पोर्ट को विकसित करने का फैसला दक्षिण एशिया में व्यापार और भू-राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव ला सकता है. भारत का लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा, जिससे उसे पड़ोसी देशों की तुलना में रणनीतिक बढ़त मिलेगी.

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि चीन और पाकिस्तान इस नई चुनौती का सामना कैसे करते हैं, और अमेरिका इस क्षेत्र में भारत की बढ़ती भूमिका पर कैसी प्रतिक्रिया देता है.

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