'ये रंग भरोसा दिलाता है कि वे सुरक्षित रहेंगे', NDRF की ड्रेस पर उठा सवाल तो बोले अमित शाह

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2024 पर चर्चा के दौरान राष्ट्रीय आपदा राहत बल (एनडीआरएफ) की ड्रेस पर दिलचस्प टिप्पणी की. उन्होंने कहा, “मैं यह कहना नहीं चाहता, लेकिन इतना बता दूं कि एनडीआरएफ की भगवा रंग की पोशाक लोगों को यह भरोसा दिलाती है कि वे सुरक्षित रहेंगे.

'ये रंग भरोसा दिलाता है कि वे सुरक्षित रहेंगे', NDRF की ड्रेस पर उठा सवाल तो बोले अमित शाह
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नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2024 पर चर्चा के दौरान राष्ट्रीय आपदा राहत बल (एनडीआरएफ) की ड्रेस पर दिलचस्प टिप्पणी की. उन्होंने कहा, “मैं यह कहना नहीं चाहता, लेकिन इतना बता दूं कि एनडीआरएफ की भगवा रंग की पोशाक लोगों को यह भरोसा दिलाती है कि वे सुरक्षित रहेंगे.”

आपदा प्रबंधन विधेयक पर चर्चा

अमित शाह ने विधेयक पर अपनी बात रखते हुए कहा, "आपदा प्रबंधन केंद्र और राज्य सरकार दोनों का साझा विषय है. कई सदस्यों ने यह चिंता जताई कि इससे सत्ता का केंद्रीकरण हो सकता है और संघीय ढांचे को नुकसान हो सकता है. मैं सभी सदस्यों और देशवासियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारी मंशा है कि यह एक ऐसी लड़ाई बने, जिसमें न केवल केंद्र सरकार, बल्कि राज्य सरकार, पंचायतें और हर नागरिक शामिल हो."

सत्ता केंद्रीकरण का कोई मुद्दा नहीं

गृह मंत्री ने आगे कहा, "इस विधेयक में सत्ता के केंद्रीकरण का कोई प्रश्न ही नहीं है. अगर कोई विधेयक को ध्यान से पढ़ेगा तो उसे यह समझ में आएगा कि हमारी आपदा प्रबंधन की लड़ाई रिएक्टिव अप्रोच से आगे बढ़कर प्रोएक्टिव, इनोवेटिव और पार्टिसिपेशन अप्रोच तक पहुंचने का प्रयास है."

2005 के आपदा प्रबंधन अधिनियम का जिक्र

अमित शाह ने आपदा प्रबंधन अधिनियम के इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि यह अधिनियम पहली बार 2005 में लागू किया गया था. इसके तहत एनडीएमए (नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी), एसडीएमए (स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी) और डीएमडीए (डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी) का गठन किया गया था. उन्होंने यह भी कहा कि अगर पूरा विधेयक ध्यान से पढ़ा जाए तो जिला आपदा प्रबंधन के लिए जिम्मेदारी सबसे बड़ी है, जो राज्य सरकार के अधीन आती है, और इससे संघीय ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा.

संशोधन की आवश्यकता पर स्पष्टीकरण

अमित शाह ने सदस्यों द्वारा उठाए गए संशोधन की आवश्यकता पर सवाल का जवाब देते हुए कहा, "अगर समय के साथ किसी इमारत की मरम्मत नहीं की जाती, तो वह ढह जाती है. लोगों को लगता है कि वे आकर इसे बदल देंगे, लेकिन अगले 15-20 साल तक किसी की बारी नहीं आएगी. जो भी सुधार करना है, वह हमें ही करना होगा."