बांग्लादेश में हाल ही में आ रही खबरों के अनुसार, सेना मोहम्मद यूनुस की कार्यवाहक सरकार का तख्तापलट करने की योजना बना रही है. यह दावा केवल कयास नहीं, बल्कि बांग्लादेश से आ रही खबरों के आधार पर किया जा रहा है. शुक्रवार को बांग्लादेश सेना ने 9वीं डिवीजन के सैनिकों को ढाका में एकत्रित होने का आदेश दिया है. बख्तरबंद वाहनों में सैनिकों को तैनात करने का यह कदम सेना और छात्रों के बीच बढ़ते तनाव के बीच उठाया गया है. हर ब्रिगेड से 100 सैनिकों को ढाका में तैनात किया गया है. ऐसे में इस बात की संभावना जताई जा रही है कि सेना प्रमुख, मोहम्मद यूनुस को दोषी ठहराते हुए अपनी स्थिति को फिर से मजबूत कर सकते हैं.
बांग्लादेश में जब शेख हसीना सरकार का तख्तापलट हुआ था, तब मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाया गया था. तब यह माना जा रहा था कि यूनुस देश की स्थिति को संभालने में सक्षम होंगे, लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान न केवल भारत के साथ रिश्ते बिगड़े, बल्कि अमेरिका के साथ भी हालात अनुकूल नहीं रहे. बांग्लादेश के सुरक्षा सूत्रों के अनुसार, सेना को अब अपनी पकड़ को और मजबूत करने में कुछ समय लग सकता है, जिस कारण एहतियातन कदम उठाए गए हैं.
सेना को क्यों है चिंता?
बांग्लादेश की सेना के पास कुल 10 डिवीजन हैं. इनमें से 9वीं इन्फैंट्री डिवीजन सावर में स्थित है, जबकि 19वीं इन्फैंट्री डिवीजन घाटाइल में तैनात है. हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें ग्रामीण विकास और सहकारिता मंत्रालय के सलाहकार आसिफ महमूद शाजिब भुइयां ने दावा किया था कि सेना प्रमुख जनरल वकार-उज़-ज़मान को यह नहीं था कि मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाया जाए, लेकिन फिर भी उन्होंने इस पर सहमति दी. इसके बाद, 11 मार्च को छात्र नेता हसनात अब्दुल्ला ने जनरल ज़मान से गुप्त मुलाकात के बाद सेना के खिलाफ आंदोलन करने की धमकी दी थी. इसके बाद सेना प्रमुख सरकार से नाराज बताए जा रहे हैं.
यात्रा को रद्द भी किया जा सकता है
इन घटनाओं से सेना को यह डर सता रहा है कि कहीं नया छात्र आंदोलन न खड़ा हो जाए. यह अभी साफ नहीं है कि सेना इस स्थिति में कड़े कदम उठाएगी या नहीं. खासकर, यूनुस की 26 मार्च को तीन दिवसीय चीन यात्रा पर जाने की योजना के चलते, अगर कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती है तो उनकी यात्रा को रद्द भी किया जा सकता है. बांग्लादेश के लोग अब तक 11 मार्च की बैठक के विवरण से हैरान हैं, जिसमें सेना प्रमुख को “बुरी रोशनी” में दिखाने की कोशिश की गई थी.
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