नई दिल्ली : भारत के आगामी मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के रूप में ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति को लेकर राजनीतिक विवाद गहरा गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति की बैठक में सोमवार को उनके नाम पर मुहर लगी थी, जिसके बाद राष्ट्रपति से अनुमोदन मिलने के बाद कानून मंत्रालय ने इसे आधिकारिक रूप से घोषित किया.
हालांकि, कांग्रेस ने इस प्रक्रिया को लेकर आपत्ति जताई है और सवाल उठाए हैं कि क्यों इस नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर विपक्ष को नजरअंदाज किया गया.
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मुख्य चुनाव आयुक्त आज हो रहे हैं रिटायर
मुख्य चुनाव आयुक्त के पद से राजीव कुमार आज सेवानिवृत्त हो रहे हैं, और इस पद के लिए चयन प्रक्रिया को लेकर एक बैठक हुई. इस बैठक में पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भाग लिया. राहुल गांधी ने सरकार से आग्रह किया कि सीईसी की नियुक्ति को तब तक टाला जाए जब तक सुप्रीम कोर्ट मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया पर लंबित याचिकाओं पर फैसला नहीं देता.
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का मुख्य आरोप यह है कि सरकार ने पिछले साल कानून में बदलाव कर मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को बाहर कर दिया, जबकि पहले यह प्रक्रिया न्यायाधीश की उपस्थिति में होती थी. विपक्षी दलों का कहना है कि इस बदलाव से नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी हो सकती है और यह संविधान की भावना के खिलाफ है. इस बदलाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई है.
राहुल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने को कहा
राहुल गांधी ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आता, तब तक नई नियुक्ति प्रक्रिया पर कोई निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए. कांग्रेस ने इसे संवैधानिक संस्थाओं के अधिकारों पर नियंत्रण करने की कोशिश बताया है. पार्टी का कहना है कि यह कदम संवैधानिक व्यवस्था को कमजोर करेगा और लोकतंत्र की संस्थाओं पर सरकार का प्रभाव बढ़ेगा.
ज्ञानेश कुमार, जिनका जन्म 1964 में आगरा में हुआ था, 1988 बैच के केरल कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. वह विभिन्न प्रशासनिक पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं और हाल ही में सहकारिता सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. उनका चयन इस पद के लिए किया गया है, हालांकि विपक्ष उनकी नियुक्ति प्रक्रिया पर लगातार सवाल उठाते आ रहे हैं.
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