इस्लामाबाद: बलूचिस्तान में संघर्ष और प्रतिरोध की आग एक बार फिर तेज हो गई है. हाल ही में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी द्वारा किए गए हमलों और ट्रेन हाईजैक जैसी घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस क्षेत्र को सुर्खियों में ला दिया है. लेकिन इस उथल-पुथल के बीच एक और नाम चर्चा में है – महरंग बलूच. एक शांतिपूर्ण कार्यकर्ता और मानवाधिकारों की प्रबल समर्थक, महरंग बलूच बलूच समुदाय की आवाज बनकर उभरी हैं.
बलूचिस्तान में संघर्ष की पृष्ठभूमि
बलूचिस्तान लंबे समय से असमानता, जबरन गायब किए जाने और मानवाधिकार उल्लंघनों से जूझ रहा है. यहां के लोग दशकों से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान सरकार और सेना के कठोर रवैये के कारण हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. हाल ही में, एक ट्रेन हाईजैक की घटना ने इस संघर्ष को और भड़का दिया. इस हमले ने पाकिस्तान सरकार को झकझोर कर रख दिया और बलूचिस्तान में असंतोष की गहरी जड़ों को उजागर किया.
महरंग बलूच की गिरफ्तारी और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
पाकिस्तानी अधिकारियों ने हाल ही में महरंग बलूच को आतंकवाद और देशद्रोह के आरोपों में गिरफ्तार किया, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीखी प्रतिक्रिया हुई. महरंग को बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ मुखर रहने के कारण जाना जाता है. उनकी गिरफ्तारी के दौरान पुलिस कार्रवाई में तीन प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई, जिससे क्षेत्र में आक्रोश और बढ़ गया.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय, मानवाधिकार संगठनों और संयुक्त राष्ट्र ने महरंग बलूच की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है. टाइम मैगजीन ने उन्हें दुनिया के 100 उभरते नेताओं की सूची में शामिल किया था, जो यह दर्शाता है कि उनकी आवाज को वैश्विक स्तर पर सुना जा रहा है.
कौन हैं महरंग बलूच?
महरंग बलूच पेशे से मेडिकल डॉक्टर हैं और बलूच यकजेहती कमेटी (BYC) की नेता हैं. यह संगठन बलूचिस्तान में जबरन गायब किए जाने और मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ सक्रिय रूप से काम करता है.
उनका संघर्ष व्यक्तिगत भी है. उनके पिता अब्दुल गफ्फार लैंगोव एक राष्ट्रवादी नेता थे, जिन्हें 2009 में जबरन लापता कर दिया गया था. उनका शव तीन साल बाद बलूचिस्तान के लासबेला जिले में मिला. अपने पिता के साथ हुए अन्याय ने महरंग को सामाजिक कार्यों के लिए प्रेरित किया, और तब से वे लगातार बलूच जनता के हक की लड़ाई लड़ रही हैं.
शांतिपूर्ण आंदोलन, लेकिन सरकार की नजर में खतरा
महरंग बलूच का आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण विरोध और मानवाधिकारों की वकालत पर आधारित है. वे न तो हिंसा का समर्थन करती हैं, न ही किसी हथियारबंद समूह से जुड़ी हैं. बावजूद इसके, पाकिस्तान सरकार उन्हें एक खतरे के रूप में देखती है क्योंकि वे बलूचिस्तान में हो रहे दमन और सेना के अत्याचारों को बेनकाब कर रही हैं.
उन्होंने दिसंबर 2023 में इस्लामाबाद में एक विशाल विरोध मार्च का आयोजन किया था, जिसमें हजारों बलूच नागरिक शामिल हुए. इस मार्च का उद्देश्य बलूचिस्तान में जबरन गायब किए गए लोगों के लिए न्याय की मांग करना था. सरकार ने इस मार्च को सख्ती से कुचलने की कोशिश की, लेकिन महरंग का आंदोलन और भी मजबूत हुआ.
बलूचिस्तान में बढ़ता असंतोष और युवाओं की भागीदारी
बलूचिस्तान का संघर्ष अब केवल पारंपरिक कबीलों तक सीमित नहीं रहा. शिक्षित युवा पीढ़ी, जो कभी राजनीति से दूर रहती थी, अब सक्रिय रूप से अपनी पहचान और अधिकारों के लिए लड़ रही है. महरंग बलूच जैसे कार्यकर्ता इस बदलाव का नेतृत्व कर रहे हैं.
वॉयस फॉर बलूच मिसिंग पर्सन्स की रिपोर्ट के अनुसार: 2009 से अब तक 1500 से अधिक लापता लोग मृत पाए गए हैं और 6000 से अधिक लोग अब भी लापता हैं.
बलूच कार्यकर्ता और मानवाधिकार संगठन पाकिस्तानी सेना पर इन हत्याओं और जबरन गायब किए जाने का आरोप लगाते हैं, हालांकि पाकिस्तानी सेना हमेशा इन आरोपों से इनकार करती आई है.
महरंग बलूच की गिरफ्तारी का क्या असर होगा?
महरंग बलूच की गिरफ्तारी बलूचिस्तान में पहले से भड़के असंतोष की आग में घी डालने जैसा है. उनकी आवाज को दबाने की कोशिशें बलूच युवाओं को और ज्यादा सक्रिय कर सकती हैं. पाकिस्तान सरकार उन्हें भले ही अपराधी ठहराने की कोशिश करे, लेकिन उनकी गिरफ्तारी ने बलूचिस्तान के संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी प्रमुख बना दिया है.
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