केरल से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां एक पति-पत्नी की लड़ाई अदालत तक जा पहुंची. पत्नी का आरोप था कि ‘मेरे पति को सेक्स करने में इंट्रस्ट नहीं है, वो केवल मंदिर और आश्रम जाता है’. महिला का आरोप है कि पति उसे भी अपनी तरह बनाने पर तुला हुआ है. क्योंकि यह मामला हाईकोर्ट में था तो इसपर सुनवाई कर अदालत ने फैसला सुनाया है.
तलाक लेना चाहती है पत्नी
दंपत्ती ने तलाक लेने का फैसला लिया था. साथ ही अदलात में तलाक की याचिका दायर की थी. सुनवाई के दौरान अदालत ने तलाक वाले आदेश को बरकरार रखा. जिसके कारण दोनों के बीच तलाक लेने का रास्ता साफ हो गया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अदलत ने कहा कि शादी एक दूसरे जीवनसाधी की व्यक्तिगत मान्यताओं को निर्देशित करने का अधिकार नहीं देती है.
फिर वो चाहे आध्यात्मिक रूप हो या फिर कुछ और. अदालत ने कहा कि पत्नी जबरन अध्यात्मिक जीवन जीने पर मजबूर करना किसी मानसिक क्रूरता से कम नहीं है. उन्होंने कहा पति की पारिवारिक जिंदगी में रूचि न होना और अपने वैवाहिक कर्तव्यों को पूरा न कर पाना ये इस चीज को दर्शाता है.
विश्वास न किया सके ऐसी वजह नहीं
अदालत ने आगे कहा कि महिला के दावे पर विश्वास न किया जा सके ऐसी कोई वजह नहीं है. उन्होंने कहा कि ये मानसिक क्रूरता जो हिंदू मैरेज एक्ट 1955 की धारा 13 (1) (ia) के तहत तलाक का आधार है. आपको बता दें कि यह धारा तब लागू होती है जब आपका पार्टनर वैवाहिक कर्तव्यों की उपेक्षा करता है. वहीं इस दंपत्ति की शादी साल 2016 में हुई थी. हालांकि दोनों की शादी ज्यादा नहीं चली और तनाव पैदा हुआ.
ऐसा इसलिए क्योंकि महिला का दावा है कि उसका पति बहुत अधिक धार्मिक प्रथाओं से जुड़ा हुआ है. जब उससे संबंध बनाने को कहा जाए या फिर बच्चा पैदा करने को तो उसमें दिलचस्पी नहीं दिखाता. महिला ने कहा कि उसका पति ऑफिस से लौटने के बाद सिर्फ मंदिर और आश्रम जाता था. क्योंकि इन्हीं सब कार्यों में उसकी रूचि थी. यहां तक की अपनी तरह महिला को भी बनाना चाहता था.