डोनाल्ड ट्रंप, जो एक सशक्त और अनुभवी बिजनेसमैन के तौर पर पहचान रखते हैं, हमेशा अपने कदम सोच-समझकर और फायदे के हिसाब से ही उठाते हैं. उनकी एक खासियत यह है कि वह किसी से भी बदला लेने में पीछे नहीं रहते. यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ उनका एक विवाद पहले ही सुर्खियों में रह चुका है, और अब डोनाल्ड ट्रंप उसी विवाद का फायदा उठाते हुए जेलेंस्की की स्थिति और मुश्किलों को बढ़ाने की योजना बना रहे हैं.
भविष्य में सुरक्षा की गारंटी देने का कोई वादा नहीं
अमेरिका और यूक्रेन के बीच पहले खनिज (मिनरल) सौदे को लेकर जो चर्चा हो रही थी, अब उस सौदे में कुछ अहम बदलाव किए गए हैं. डोनाल्ड ट्रंप और उनके प्रशासन ने यूक्रेन को पहले से भी कड़ी शर्तों के तहत एक नया प्रस्ताव दिया है. यह सौदा पहले जैसा नहीं रहेगा और इसमें यूक्रेन को भविष्य में सुरक्षा की गारंटी देने का कोई वादा नहीं किया गया है, बल्कि इसके बजाय यूक्रेन को अपने खनिज संसाधनों से होने वाली आमदनी को एक जॉइंट इन्वेस्टमेंट फंड में डालने के लिए कहा गया है.
रॉयटर्स द्वारा सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने इस सौदे के प्रस्ताव में आखिरी वक्त में बदलाव किया है. पहले के प्रस्ताव में अमेरिका ने यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी देने की बात की थी, लेकिन अब यह शर्त हटा दी गई है. इसके बजाय, यूक्रेन को अपने खनिज संसाधनों के इस्तेमाल से होने वाले मुनाफे का एक बड़ा हिस्सा इस जॉइंट फंड में डालने का आदेश दिया गया है.
जेलेंस्की के खिलाफ दबाव बनाने का भी प्रयास
यह बदलाव न केवल अमेरिकी सरकार की सोच को बदलता है, बल्कि यह ट्रंप प्रशासन की ओर से एक तरह से जेलेंस्की के खिलाफ दबाव बनाने का भी प्रयास है. ट्रंप ने पहले भी कहा था कि अमेरिका ने यूक्रेन को रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारी वित्तीय और सैन्य सहायता दी है, और अब वह उस निवेश की भरपाई करना चाहते हैं. ट्रंप का मानना है कि यह खनिज सौदा अमेरिका को उस रकम की वापसी में मदद करेगा, जो उसने यूक्रेन को दी थी.
यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने भी इस सौदे के बारे में बयान दिया है कि अमेरिकी प्रस्ताव की शर्तों पर विचार किया जा रहा है. हालांकि, वह नहीं चाहते कि अमेरिका यह समझे कि यूक्रेन इस प्रस्ताव को पूरी तरह से नकार रहा है. जेलेंस्की के अनुसार, अमेरिका ने खनिज सौदे को लेकर कई बार अपनी शर्तें बदली हैं और अब वे इन्हें फिर से समीक्षा कर रहे हैं.
इस नए प्रस्ताव के तहत अमेरिका ने यह भी सुनिश्चित किया है कि खनिज संसाधनों से होने वाले लाभ पर पहला हक अमेरिका का होगा. इसके साथ ही, यूक्रेन को इस फंड से होने वाली कमाई में हिस्सेदारी मिलने से पहले अमेरिका को यूक्रेन से दी गई सारी मदद का ब्याज भी वसूल किया जाएगा.
इससे यह स्पष्ट है कि डोनाल्ड ट्रंप की रणनीति अब सिर्फ यूक्रेन के खजाने को भरने की नहीं, बल्कि अमेरिका के लिए एक स्थायी आर्थिक और सैन्य संबंध स्थापित करने की ओर भी बढ़ रही है. यह सौदा दोनों देशों के बीच रिश्तों को और मजबूत करने का मौका देगा, लेकिन इसके लिए यूक्रेन को भी कई महत्वपूर्ण शर्तों को स्वीकार करना होगा.
इस सौदे में शामिल संयुक्त निवेश कोष का प्रबंधन यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन (DFC) करेगा और फंड के संचालन से संबंधित कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें भी अभी चर्चा में हैं. इस प्रस्ताव के लागू होने से अमेरिका और यूक्रेन के बीच एक नया आर्थिक संबंध स्थापित होने की संभावना है, लेकिन इसके लिए दोनों देशों को इस नई शर्तों पर सहमति बनानी होगी.
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