नई दिल्ली: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी कहते हैं, "भारत में डर का माहौल है और यह डर हमारे देश के हर पहलू में व्याप्त है."
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, "हजारों साल पहले, कुरूक्षेत्र में छह लोगों ने अभिमन्यु को 'चक्रव्यूह' में फंसाया और उसे मार डाला. मैंने थोड़ा शोध किया और पता चला कि 'चक्रव्यूह' को 'पद्मव्यूह' के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है 'कमल निर्माण'. 'चक्रव्यूह' कमल के आकार का है. 21वीं सदी में एक नया 'चक्रव्यूह' रचा गया है - वह भी कमल के रूप में अभिमन्यु के साथ जो किया गया, वही भारत के साथ किया जा रहा है. युवा, किसान, महिलाएं, छोटे और मध्यम व्यवसाय आज भी 'चक्रव्यूह' के केंद्र में हैं. आज भी छह लोग नियंत्रण करते हैं. नरेंद्र मोदी, अमित शाह, मोहन भागवत, अजीत डोभाल, अंबानी और अडानी."
स्पीकर ओम बिरला के हस्तक्षेप के बाद उन्होंने कहा, "अगर आप चाहें तो मैं एनएसए, अंबानी और अडानी का नाम छोड़ दूंगा और सिर्फ 3 नाम लूंगा."
जिस चक्रव्यूह ने भारत पर कब्जा कर लिया है उसके पीछे 3 ताकतें हैं
राहुल गांधी ने आगे कहा, "जिस 'चक्रव्यूह' ने भारत पर कब्जा कर लिया है, उसके पीछे 3 ताकतें हैं. 1. एकाधिकार पूंजी का विचार, कि 2 लोगों को संपूर्ण भारतीय संपत्ति का मालिक होने की अनुमति दी जानी चाहिए. तो, इसका एक तत्व 'चक्रव्यूह' वित्तीय शक्ति के केंद्रीकरण से आ रहा है 2. इस देश की संस्थाएं, एजेंसियां, सीबीआई, ईडी, आईटी. 3. राजनीतिक कार्यपालिका ये तीनों मिलकर 'चक्रव्यूह' के केंद्र में हैं और उन्होंने देश को तबाह कर दिया है."
उन्होंने कहा, "मेरी उम्मीद थी कि यह बजट इस 'चक्रव्यूह' की शक्ति को कमजोर करेगा, यह बजट इस देश के किसानों की मदद करेगा, इस देश के युवाओं की मदद करेगा, मजदूरों, छोटे व्यवसायों की मदद करेगा. लेकिन मैंने जो देखा है वह यह है कि इस बजट का एकमात्र उद्देश्य इस ढांचे को मजबूत करना है. एकाधिकार व्यापार का ढांचा, एक राजनीतिक एकाधिकार का जो लोकतांत्रिक ढांचे और गहरे राज्य और एजेंसियों को नष्ट कर देता है. जिन्होंने भारत को रोजगार दिया, छोटे और मध्यम व्यवसायों को दिया, उन पर नोटबंदी, जीएसटी और कर आतंकवाद के माध्यम से हमला किया गया."
देश का हलवा बंट रहा है और 73% है ही नहीं
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बजट सत्र से पहले वित्त मंत्रालय में आयोजित पारंपरिक हलवा समारोह का एक पोस्टर दिखाया. वह कहते हैं, "इस फोटो में बजट का हलवा बांटा जा रहा है. मुझे इसमें एक भी ओबीसी, आदिवासी या दलित अधिकारी नजर नहीं आ रहा. देश का हलवा बंट रहा है और 73% है ही नहीं. 20 अधिकारियों ने बजट तैयार किया."
उन्होंने कहा, "हिंदुस्तान की प्रकृति अलग है. हर धर्म में 'चक्रव्यूह' के खिलाफ एक रचना है. हिंदू धर्म में 'शिव की बारात' 'चक्रव्यूह' के विपरीत है. 'शिव की बारात' में किसी भी धर्म से कोई भी शामिल हो सकता है. यह लड़ाई 'शिव की बारात' और 'चक्रव्यूह' के बीच है, हम 'चक्रव्यूह' तोड़ते हैं, मनरेगा, हरित क्रांति, आजादी, संविधान के जरिए आप 'चक्रव्यूह' बनाते हैं. 'चक्रव्यूह' 'शिव की बारात' को नहीं हरा सकता. अपना इतिहास देखो. तुम खुद को हिंदू कहते हो, तो तुम लोग 'चक्रव्यूह' बनाते हो, फर्जी हो."
हम इस 'चक्रव्यूह' को तोड़ने जा रहे हैं
राहुल गांधी कहते हैं, "आपने जो 'चक्रव्यूह' बनाया है, वह करोड़ों लोगों को नुकसान पहुंचा रहा है. हम इस 'चक्रव्यूह' को तोड़ने जा रहे हैं. ऐसा करने का सबसे बड़ा तरीका, जो आपको डराता है, वह है जाति जनगणना. जैसे मैंने कहा कि इंडिया एलायंस इस सदन में गारंटीशुदा कानूनी एमएसपी पारित करेगा, उसी तरह, हम इस सदन में जाति जनगणना पारित करेंगे, चाहे आप इसे पसंद करें या नहीं.
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