पाकिस्तान की जनता इन दिनों शहबाज शरीफ सरकार को लेकर बेहद नाखुश है. एक ओर जहां देश भारी आर्थिक संकट से जूझ रहा है, वहीं शहबाज शरीफ ने अपने मंत्रियों के वेतन में बेतहाशा वृद्धि कर दी है. पाकिस्तान सरकार ने हाल ही में कैबिनेट मंत्रियों, राज्य मंत्रियों और सलाहकारों के वेतन में 188 फीसदी की बढ़ोतरी को मंजूरी दी है. यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब पाकिस्तान गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहा है.
188% वेतन वृद्धि के विवाद ने उठाए सवाल
शहबाज शरीफ की सरकार ने कभी खर्चों में कमी लाने के बड़े-बड़े दावे किए थे. लेकिन इस वेतन वृद्धि के फैसले ने सरकार की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. वेतन वृद्धि के बाद मंत्रियों और सलाहकारों को अब प्रति माह 5,19,000 रुपये मिलेंगे, जबकि पाकिस्तानी नागरिक उच्च कराधान, नौकरी छूटने, मुद्रास्फीति, उच्च ईंधन लागत और बिजली की बढ़ती कीमतों जैसे संकटों से जूझ रहे हैं.
सरकार की नीति पर उठे सवाल
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हमेशा पाकिस्तानियों से उच्च करों के कारण अपने खर्चों पर काबू पाने का आह्वान किया है. उन्होंने देश के आर्थिक सुधार के लिए ‘रिकवरी’ का दौर बताया, लेकिन मंत्रियों के वेतन में 188 प्रतिशत की वृद्धि ने उनके दावों पर सवालिया निशान लगा दिया है. इससे पहले, दो महीने पहले संसद के सभी सदस्यों और सीनेटरों के वेतन और भत्तों में भी बढ़ोतरी की गई थी. इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने अपने संघीय मंत्रिमंडल की संख्या बढ़ाकर 51 कर दी है, जबकि पहले यह संख्या 21 थी.
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति चिंताजनक
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति गंभीर है. उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, जून 2024 तक पाकिस्तान का कुल सार्वजनिक ऋण लगभग 67.5 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये था. इस वजह से, प्रत्येक पाकिस्तानी नागरिक पर औसतन 3 लाख पाकिस्तानी रुपये का कर्ज़ है, जो देश की वित्तीय स्थिति को और भी तनावपूर्ण बना रहा है.
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