बैंकॉक में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस की मुलाकात चर्चा में है, लेकिन इस बार वजह कुछ अलग है. आमतौर पर पीएम मोदी विदेशी नेताओं से गर्मजोशी के साथ मिलते हैं, हाथ मिलाने से लेकर गले लगाने तक का उनका अंदाज़ रिश्तों में गहराई दिखाता है, मगर मोहम्मद यूनुस के साथ हुई इस बैठक में वह जोश और आत्मीयता नदारद रही. वीडियो में देखा गया कि यूनुस जब पीएम मोदी की ओर बढ़े, तो मोदी ने पहले भारतीय परंपरा के मुताबिक हाथ जोड़कर अभिवादन किया और फिर औपचारिक रूप से हाथ मिलाया, लेकिन इसमें वह उत्साह नहीं दिखा, जो बाइडेन, ट्रंप, ओबामा या पुतिन जैस नेताओं से मुलाकात में नजर आता है.
ठंडेपन की वजह क्या?
पीएम मोदी का विदेशी नेताओं से मिलने का तरीका हमेशा खुला और दोस्ताना रहा है. वे अक्सर खुद आगे बढ़कर स्वागत करते हैं, मुस्कुराते हैं और कई बार गले भी लगाते हैं. साथ ही, मुलाकात से पहले थोड़ी निजी बातचीत भी करते हैं, जो रिश्तों को मजबूत करने का संकेत देता है, लेकिन यूनुस के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ. न गले मिलना, न लंबी मुस्कान, न ही कोई खास आत्मीयता. यह सवाल उठा रहा है कि क्या यह मुलाकात मजबूरी में हुई?
रिपोर्ट्स बताती हैं कि पिछले साल दिसंबर में यूनुस ने पीएम मोदी से मिलने की इच्छा जताई थी, लेकिन भारत ने कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया. इसके बाद बांग्लादेश ने बिम्सटेक सम्मेलन के दौरान मुलाकात का प्रस्ताव रखा. शुरू में भारत तैयार नहीं था, लेकिन आखिरी वक्त पर यह बैठक तय हुई. बांग्लादेश के बार-बार अनुरोध के बाद ही यह मुलाकात संभव हुई, जिससे लगता है कि भारत का रुख पहले से सख्त था.
Watch: Visuals of PM Modi, Bangladesh's Yunus meeting in Bangkok #pmmodibangkokvisit #pmmodi #yunus pic.twitter.com/ontSd6VUfy
— Mohan seth (@Mohanseth19) April 4, 2025
बांग्लादेश से क्यों नाराजगी?
इस ठंडे व्यवहार के पीछे बांग्लादेश में हाल के घटनाक्रम को वजह माना जा रहा है. शेख हसीना के शासन के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले बढ़े हैं. साथ ही, बांग्लादेश ने पाकिस्तान और चीन के साथ नजदीकी बढ़ाने की कोशिश की है, जो भारत को पसंद नहीं आया. पिछले हफ्ते बीजिंग दौरे पर यूनुस ने बांग्लादेश को "बंगाल की खाड़ी का रक्षक" बताया और भारत के नॉर्थ-ईस्ट के पास चीन के साथ कारोबार की बात की. यह बयान भारत के खिलाफ माना गया. जवाब में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि बंगाल की खाड़ी में सबसे बड़ी तटीय सीमा भारत की है.
यूनुस का यह रुख चीन को बांग्लादेश का नया दोस्त बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. इससे भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव गहरा गया है. शायद यही वजह है कि बैंकॉक में हुई इस मुलाकात में पीएम मोदी का व्यवहार औपचारिक और ठंडा रहा. यह बैठक भले ही हो गई, लेकिन दोनों देशों के रिश्तों में गर्माहट की कमी साफ झलक रही है.
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