नई दिल्लीः गुरुवार देर रात राज्यसभा में वक्फ संशोधन बिल पास हो गया. लोकसभा पहले ही इसे पास कर चुकी थी. इसके बाद राज्यसभा ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को मंजूरी देने वाले प्रस्ताव को भी पारित कर दिया. लोकसभा ने इसे एक दिन पहले ही पास किया था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर से जुड़े इस प्रस्ताव को सदन में पेश किया. शुक्रवार सुबह करीब 4 बजे राज्यसभा ने इसे ध्वनिमत (सभी की सहमति से) से पास कर दिया.
मणिपुर में 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था. अमित शाह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, दो महीने के अंदर इसकी मंजूरी के लिए यह प्रस्ताव लाया गया. उन्होंने बताया कि सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता मणिपुर में शांति लाना है. पिछले चार महीनों में वहां एक भी मौत नहीं हुई. शाह ने यह भी कहा कि मणिपुर में जातीय हिंसा में 260 लोगों की जान गई, लेकिन पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा में इससे ज्यादा लोग मारे गए.
"मणिपुर पर विपक्ष राजनीति न करे" - शाह
अमित शाह ने कहा कि मणिपुर के मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद राज्यपाल ने विधायकों से बात की, जिन्होंने कहा कि वे सरकार बनाने की स्थिति में नहीं हैं. फिर कैबिनेट ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की, जिसे राष्ट्रपति ने मंजूर कर लिया. शाह ने बताया कि मणिपुर में हालात बिगड़ने की वजह एक अदालती फैसला था, जिसमें एक जाति को आरक्षण दिया गया था. अगले ही दिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी.
उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि मणिपुर में जल्द शांति आए, लोगों का पुनर्वास हो और उनके दुख कम हों. शाह ने विपक्ष से अपील की कि वे मणिपुर के मुद्दे पर राजनीति न करें. साथ ही, उन्होंने बताया कि जल्द ही मणिपुर के दोनों समुदायों को साथ लाकर बातचीत की जाएगी.
खरगे का सरकार पर हमला
इससे पहले, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार पर निशाना साधा. खरगे ने कहा कि मणिपुर में इतनी हिंसा हुई, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वहां जाने का समय नहीं मिला. उन्होंने कहा कि जब सत्तारूढ़ दल पर भारी दबाव पड़ा, तो मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा. खरगे ने कहा कि मणिपुर में बीजेपी की "डबल इंजन सरकार" पूरी तरह नाकाम रही. उन्होंने मणिपुर हिंसा की जांच की मांग की और केंद्र सरकार से श्वेत पत्र (विस्तृत रिपोर्ट) जारी करने को कहा.
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