22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में एक बार फिर तल्खी आ गई है. इस हमले में 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए थे, जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए. वहीं, अब पाकिस्तान की ओर से खुलेआम परमाणु युद्ध की धमकी सामने आई है, जिसने क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर नई चिंता पैदा कर दी है.
'परमाणु ताकत का करेंगे इस्तेमाल'
रूस में नियुक्त पाकिस्तानी राजदूत मुहम्मद खालिद जमाली ने आरटी (RT) चैनल को दिए एक इंटरव्यू में दावा किया कि भारत जल्द ही पाकिस्तान पर सैन्य हमला कर सकता है. उन्होंने कहा कि कुछ लीक हुए दस्तावेजों से उन्हें इस बात की जानकारी मिली है और पाकिस्तान ऐसी किसी भी कार्रवाई का "पारंपरिक और परमाणु" दोनों तरीकों से जवाब देगा. राजदूत जमाली ने यह भी जोड़ा कि पाकिस्तान संख्याओं की तुलना में अपनी पूरी ताकत से वार करेगा, और वहां की सेना को जनता का पूर्ण समर्थन प्राप्त है.
परमाणु हथियारों की खुली चेतावनी पहले भी दे चुके हैं पाक मंत्री
ये पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान की ओर से इस तरह की धमकी दी गई है. इससे पहले पाकिस्तान के मंत्री हनीफ अब्बासी ने खुले मंच पर दावा किया था कि उनके पास भारत के खिलाफ इस्तेमाल के लिए 130 परमाणु हथियार हैं. उन्होंने भारत को चेताया कि यदि सिंधु जल संधि से छेड़छाड़ हुई तो पाकिस्तान "पूर्ण युद्ध" के लिए तैयार है.
आक्रमण की आशंका: 24-36 घंटे का दावा
पाकिस्तानी सरकार के एक और मंत्री अताउल्लाह तरार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि पाकिस्तान के पास भरोसेमंद खुफिया जानकारी है कि भारत अगले 24 से 36 घंटों के भीतर सैन्य कार्रवाई कर सकता है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भारत की किसी भी आक्रामकता का निर्णायक जवाब देने को तैयार है.
भारत की ओर से कड़े जवाब, राजनयिक संबंधों में आई खटास
पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने न सिर्फ पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी, बल्कि कई अहम कदम भी उठाए. इसमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना, पाक नागरिकों के वीजा रद्द करना, हवाई संपर्क बंद करना और राजनयिक संबंधों में कटौती जैसे कड़े फैसले शामिल हैं. इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी भारत से शांति प्रक्रिया के तहत हुए शिमला समझौते को निलंबित कर दिया है.
तनाव की स्थिति गंभीर, कूटनीतिक समाधान की ज़रूरत
हालात तेजी से बिगड़ते नजर आ रहे हैं और दोनों देशों के बीच किसी भी समय बड़ा टकराव हो सकता है. ऐसे में क्षेत्रीय स्थिरता के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका भी अहम बनती जा रही है.
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