टेस्ला के सीईओ एलन मस्क और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कभी एक-दूसरे के भरोसेमंद माने जाते थे, लेकिन अब ये रिश्ता दरकता नजर आ रहा है. मस्क ने हाल ही में डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) से खुद को अलग कर लिया है. यह वही सरकारी टीम है जिसे मस्क की अगुआई में सरकारी खर्चों में पारदर्शिता और कटौती के उद्देश्य से बनाया गया था.
एलन मस्क के इस फैसले ने अमेरिकी राजनीति में हलचल मचा दी है. इसकी बड़ी वजह है ट्रंप द्वारा प्रस्तावित नया आर्थिक विधेयक — ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट’, जिसे लेकर मस्क ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की.
मस्क ने क्यों छोड़ा DOGE का साथ?
एलन मस्क ने DOGE से इस्तीफा देते हुए साफ कहा कि ट्रंप का नया बिल सरकारी खर्च को कम करने की बजाय और बढ़ावा देगा. उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “यह बिल बड़ा हो सकता है, सुंदर भी हो सकता है... लेकिन दोनों नहीं.” मस्क का मानना है कि यह एक्ट DOGE के मूल मकसद के खिलाफ है, जिससे सरकारी खर्चों पर नियंत्रण पाना मुश्किल होगा.
क्या है ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट’?
ट्रंप द्वारा प्रस्तावित यह कानून सरकारी खर्च, टैक्स नीति और सामाजिक सेवाओं से जुड़ा है. इसके प्रमुख बिंदु. 2017 के टैक्स कट्स को अगले 10 वर्षों तक बढ़ाने की योजना. सीमा सुरक्षा के लिए बजट में भारी इजाफा. Medicaid (स्वास्थ्य सहायता) के नियमों को सख्त करना. स्वच्छ ऊर्जा पर मिलने वाली टैक्स छूट में कटौती. सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में संभावित कमी. ट्रंप इस बिल को ‘गोल्डन एज’ की शुरुआत मानते हैं, लेकिन आलोचकों की राय कुछ और है.
क्या यह बिल बचत लाएगा या घाटा बढ़ाएगा?
विशेषज्ञों के अनुसार, यह विधेयक अगले 10 वर्षों में $4 ट्रिलियन तक का घाटा बढ़ा सकता है. जबकि व्हाइट हाउस का दावा है कि यह योजना $1.6 ट्रिलियन की बचत और 5.2% तक आर्थिक वृद्धि दिला सकती है.
बिल को कैसे मिली हाउस से मंजूरी?
यह विधेयक अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में 215-214 वोटों से पास हुआ — यानी बेहद मामूली बहुमत से. रिपब्लिकन पार्टी के भीतर भी मतभेद सामने आए, खासकर आर्थिक कट्टरपंथियों (fiscal hawks) ने इसका विरोध किया. अब यह बिल सीनेट में जाएगा, जहां इसे बदला या रद्द किया जा सकता है.
DOGE के कामकाज पर क्या असर पड़ा?
DOGE (Department of Government Efficiency) एक ऐसा विभाग था, जिसका उद्देश्य था सरकारी खर्च को कुशलता से संभालना. इसमें निम्नलिखित लक्ष्य शामिल थे. अप्रभावी सरकारी योजनाओं में कटौती. विदेशी सहायता में संतुलन. लोक प्रसारण की फंडिंग का पुनर्गठन. मस्क का मानना है कि नया बिल इन सभी प्रयासों पर पानी फेर देगा.
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