बांग्लादेश इस समय जबरदस्त राजनीतिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है. अंतरिम सरकार के मुखिया और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस सत्ता छोड़ने के मूड में नहीं हैं, जबकि देश के सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान ने उन्हें स्पष्ट शब्दों में अल्टीमेटम दे दिया है—2025 के अंत तक आम चुनाव कराओ या सत्ता से हटो. इस संकट ने देश के भीतर ही नहीं, पूरे दक्षिण एशिया में हलचल मचा दी है.
रखाइन कॉरिडोर विवाद बना टकराव की जड़
इस राजनीतिक खींचतान की शुरुआत उस समय हुई जब युनुस सरकार ने म्यांमार के राखाइन प्रांत तक एक प्रस्तावित गलियारे की योजना बनाई. इस गलियारे को अमेरिका ‘मानवीय सहायता मार्ग’ बता रहा है, लेकिन बांग्लादेश की सेना ने इसे देश की संप्रभुता पर खतरा बताया है. जनरल वाकर ने इसे “ब्लडी कॉरिडोर” करार देते हुए कहा कि यह योजना देश को म्यांमार के उग्रवाद और संघर्ष में धकेल सकती है.
यूनुस के विदेशी समीकरणों से सेना नाराज़
बताया जा रहा है कि मोहम्मद यूनुस बिना किसी जनादेश के चीन, अमेरिका और पाकिस्तान के साथ रणनीतिक समझौतों की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने भारत से व्यापारिक समझौते तोड़े और लालमनिरहाट एयरबेस को चीन को देने के संकेत भी दिए. इतना ही नहीं, युनुस ने पूर्वोत्तर भारत को “लैंडलॉक्ड चीनी उपनिवेश” तक कह डाला.
सेना का रुख साफ: चुनाव के बिना कोई रास्ता नहीं
सेना प्रमुख वाकर ने दो टूक कहा है कि सेना शासन नहीं चाहती, लेकिन जब तक चुनाव नहीं हो जाते, तब तक वे पीछे नहीं हटेंगे. उनके मुताबिक, यह लड़ाई बांग्लादेश की संप्रभुता और लोकतंत्र को बचाने की है. इसी बीच, युनुस के करीबी और पाकिस्तान समर्थक माने जाने वाले लेफ्टिनेंट जनरल फैजुर रहमान को निगरानी में रखा गया है.
यूनुस की अंतरराष्ट्रीय ‘छवि निर्माण’ रणनीति बेनकाब
बीते एक साल में यूनुस ने कई विदेशी दौरों के जरिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की कोशिश की, लेकिन फ्रांस जैसे देशों ने उनसे मिलने से मना कर दिया. उनके UN दौरे को भी रद्द करना पड़ा, जिससे साफ संकेत मिलता है कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सिर्फ तस्वीरें खिंचवाने से वैधता नहीं मिलती, लोकतांत्रिक प्रक्रिया जरूरी है.
शेख हसीना का आरोप: देश की संप्रभुता को किया गिरवी
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने यूनुस को कट्टरपंथियों का समर्थक बताते हुए उन पर सेंट मार्टिन द्वीप और बंगाल की खाड़ी को विदेशी ताकतों को सौंपने का आरोप लगाया है. हसीना ने इसे राष्ट्रीय विश्वासघात करार देते हुए कहा कि उनके पिता को भी इसी कारण अमेरिका ने रास्ते से हटाया था.
भारत की सतर्क निगाहें और रणनीतिक चिंता
भारत यूनुस की नीतियों से पहले ही असहमत रहा है. भारत को आशंका है कि चीन और पाकिस्तान के साथ युनुस की नजदीकियों से क्षेत्रीय स्थिरता खतरे में पड़ सकती है. भारत को लगता है कि सेना के जरिए लोकतांत्रिक प्रक्रिया की ओर लौटना ही बांग्लादेश के भविष्य के लिए बेहतर विकल्प है.
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