नई दिल्ली: राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ पर सोमवार को लोकसभा में होने वाली लंबी चर्चा ने देश की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है. गीत के 150 वर्ष पूरे होने पर बुलाए गए इस विशेष सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं चर्चा की शुरुआत करेंगे. मंगलवार को राज्यसभा भी इसी विषय पर विस्तृत बहस करेगी, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह हिस्सा लेने वाले हैं.
सरकार का कहना है कि राष्ट्रीय गीत पर यह विमर्श उसके इतिहास, सांस्कृतिक महत्व और स्वतंत्रता आंदोलन में निभाई गई भूमिका को नए सिरे से समझने के लिए जरूरी है. लेकिन विपक्ष का एक बड़ा हिस्सा इसे राजनीतिक कदम मान रहा है. तृणमूल कांग्रेस ने चर्चा का स्वागत किया है, जबकि कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार देश के ज्वलंत मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए ऐसा कर रही है.
'वंदे मातरम्' को राजनीतिक हथियार बनाना ठीक नहीं
कांग्रेस ने कहा कि चुनावी सुधार, SIR विवाद और आर्थिक चुनौतियाँ जैसे मुद्दों पर जवाब देने से बचने के लिए सरकार 150 वर्ष पुराने विषय को संसद के केंद्र में रख रही है. पार्टी का तर्क है कि 'वंदे मातरम्' जैसे राष्ट्रीय महत्व वाले गीत को राजनीतिक हथियार बनाना ठीक नहीं है.
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह कांग्रेस पर तीखा हमला बोला था. उन्होंने कहा था कि ‘वंदे मातरम्’ स्वतंत्रता आंदोलन की पहचान था, लेकिन 1937 में इसके “महत्वपूर्ण और ऊर्जावान” छंदों को अलग कर दिया गया, जिससे देश की एकता की भावना को नुकसान पहुंचा. प्रधानमंत्री ने दावा किया कि यह निर्णय कांग्रेस नेतृत्व ने “विभाजनकारी सोच” के दबाव में लिया था, और नई पीढ़ी को यह जानना जरूरी है कि ऐसा क्यों हुआ.
कांग्रेस ने इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई
कांग्रेस ने इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि 1937 का निर्णय महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, सुभाष चंद्र बोस, मौलाना आजाद और राजेंद्र प्रसाद जैसे ऐतिहासिक नेताओं की सामूहिक सहमति से लिया गया था. पार्टी ने स्पष्ट किया कि उस समय मुस्लिम समाज के एक हिस्से ने गीत के कुछ धार्मिक प्रतीकों पर असहजता जताई थी, जिसके बाद केवल शुरुआती दो पंक्तियों को अपनाने का फैसला हुआ. कांग्रेस ने यह भी कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर ने स्वयं सुझाव दिया था कि गीत का वही हिस्सा गाया जाना चाहिए, जिसमें धार्मिक संकेत कम हैं और सभी समुदायों द्वारा आसानी से स्वीकार्य हैं.
पार्टी ने प्रधानमंत्री पर इतिहास को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया और मांग की कि वे अपने बयान पर माफी मांगें. कांग्रेस नेताओं ने कहा कि एक ऐसा गीत जिसने स्वतंत्रता संघर्ष में करोड़ों भारतीयों को एकजुट किया, उसे आज राजनीतिक टकराव का साधन नहीं बनाया जाना चाहिए.
ऐतिहासिक दस्तावेजों को सामने रखेंगे- बीजेपी
बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों को पलटते हुए कहा कि चर्चा के दौरान वे ऐतिहासिक दस्तावेजों और उस दौर की बहसों को सामने रखेंगे. बीजेपी नेताओं ने यह भी संकेत दिया कि उस समय नेहरू सहित कुछ प्रमुख नेताओं की राय ‘आनंदमठ’ और उसके धार्मिक संदर्भों को लेकर सतर्क थी, जिसके चलते पूरे गीत को अपनाने में हिचक दिखाई गई थी. पार्टी का कहना है कि इन ऐतिहासिक तथ्यों को अब सामने लाना जरूरी है ताकि युवा पीढ़ी पूरी सच्चाई जान सके.
‘वंदे मातरम्’ की कहानी उन्नीसवीं सदी में शुरू होती है. बंगाल के प्रतिष्ठित साहित्यकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 1870 के दशक में इस गीत को लिखा था. अंग्रेजी शासन के दमनकारी दौर में उनकी ये रचना भारतीय अस्मिता और मातृभूमि के प्रति भक्ति की अभिव्यक्ति मानी गई. 1875 में यह उनकी पत्रिका ‘बंगदर्शन’ में छपी और बाद में 1882 में उपन्यास ‘आनंदमठ’ में शामिल हुई. संस्कृत में लिखे शुरुआती दो छंद भारत को देवी के रूप में चित्रित करते हैं, जबकि आगे की पंक्तियाँ बंगाली में मातृभूमि की सुंदरता और भावनाओं को व्यक्त करती हैं.
1886 में हुआ पहली बार गीत का सार्वजनिक गायन
कांग्रेस के 1886 के सत्र में पहली बार गीत का सार्वजनिक गायन हुआ, लेकिन 1896 में रवींद्रनाथ टैगोर ने जब इसे सुरों में पिरोकर पेश किया, तभी यह पूरे देश में लोकप्रिय होने लगा. 1905 के बंगाल विभाजन के दौरान यह नारा बनकर सड़क से संसद तक गुंजा. अंग्रेजों ने इसे दबाने का प्रयास किया, लेकिन यह राष्ट्रीय आंदोलन का प्रतीक बन चुका था.
समस्या तब शुरू हुई जब 20वीं सदी की शुरुआत में मुस्लिम लीग ने गीत के कुछ धार्मिक संदर्भों पर आपत्ति जताई. कांग्रेस ने धीरे-धीरे केवल दो पंक्तियों को आधिकारिक रूप में स्वीकार किया. महात्मा गांधी ने भी बार-बार कहा कि गीत राष्ट्रीय भावनाओं से जुड़ा है, लेकिन धार्मिक स्वर को लेकर संवेदनशीलता जरूरी है.
आजादी के बाद 1950 में संविधान सभा ने ‘जन गण मन’ को राष्ट्रगान और ‘वंदे मातरम्’ को राष्ट्रीय गीत का दर्जा दिया. राजेंद्र प्रसाद ने घोषणा की कि राष्ट्रीय गीत का सम्मान राष्ट्रगान के बराबर होगा.
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