'कुछ देशों की दादागिरी और धमकाने वाला रवैया नहीं चलेगा', SCO मंच से शी जिनपिंग ने किसे दी चेतावनी?

    शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का 2025 शिखर सम्मेलन भले ही आधिकारिक रूप से आर्थिक सहयोग, क्षेत्रीय स्थिरता और आतंकवाद से निपटने जैसे विषयों पर केंद्रित रहा हो, लेकिन इस बार मंच पर दिए गए भाषणों में स्पष्ट रूप से एक वैश्विक संदेश छिपा था- दुनिया अब एकध्रुवीय नहीं, बल्कि बहुध्रुवीय बनना चाहती है.

    Which country did Xi Jinping warn from the SCO platform
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का 2025 शिखर सम्मेलन भले ही आधिकारिक रूप से आर्थिक सहयोग, क्षेत्रीय स्थिरता और आतंकवाद से निपटने जैसे विषयों पर केंद्रित रहा हो, लेकिन इस बार मंच पर दिए गए भाषणों में स्पष्ट रूप से एक वैश्विक संदेश छिपा था- दुनिया अब एकध्रुवीय नहीं, बल्कि बहुध्रुवीय बनना चाहती है.

    इस भावना को सबसे तीखे अंदाज़ में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने भाषण में प्रस्तुत किया, जब उन्होंने 'धमकाने वाले रवैये' की आलोचना करते हुए बिना किसी देश का नाम लिए अमेरिका और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा.

    शी जिनपिंग का संदेश: अप्रत्यक्ष चेतावनी

    सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में शी जिनपिंग ने अपने संबोधन में कहा, "कुछ देश धमकाने वाला रवैया अपनाकर वैश्विक चुनौतियों को और गंभीर बना रहे हैं."

    उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था "अशांत और उलझी हुई" होती जा रही है, जिसमें सभी देशों को साझा मूल्यों और सहयोग की भावना के साथ काम करने की आवश्यकता है.

    हालांकि उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके बयान की टोन और टाइमिंग ने साफ कर दिया कि उनका इशारा पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका की ओर था, जो हाल के वर्षों में चीन के साथ व्यापार, सुरक्षा और टेक्नोलॉजी को लेकर टकराव के केंद्र में रहा है.

    अमेरिका पर किया परोक्ष हमला

    इस भाषण का महत्व इसलिए और बढ़ जाता है क्योंकि यह ऐसे समय आया है जब:

    • अमेरिका ने भारत जैसे देशों पर भारी टैरिफ लगाए हैं.
    • पश्चिमी देश, खासकर G7, वैश्विक एजेंडे पर एकाधिकार जमाने की कोशिश कर रहे हैं.
    • BRICS और SCO जैसे मंचों को चीन एक 'ग्लोबल साउथ' के वैकल्पिक ध्रुव के रूप में खड़ा कर रहा है.

    शी जिनपिंग का संदेश यही था कि अब समय आ गया है जब विकासशील देश मिलकर अपने संप्रभु हितों की रक्षा करें, और ऐसे किसी भी दबाव या धमकी के आगे न झुकें.

    'शंघाई स्पिरिट' की याद दिलाई

    शी जिनपिंग ने अपने भाषण में बार-बार 'शंघाई भावना' का उल्लेख किया- जो SCO का मूलमंत्र है. इसमें शामिल हैं:

    • आपसी विश्वास
    • साझा लाभ
    • बराबरी और संवाद
    • संस्कृति की विविधता का सम्मान
    • साझा विकास

    उन्होंने कहा, "शंघाई भावना ने यह सिद्ध किया है कि विविधताओं को अपनाते हुए भी हम एकजुट रह सकते हैं. हमने सीमाओं पर सैन्य विश्वास बहाली की व्यवस्था की है. हमारी सीमाएं टकराव का नहीं, सहयोग का स्रोत बन चुकी हैं."

    यह बयान विशेष रूप से भारत-चीन सीमाओं पर हाल की स्थिरता की ओर भी इशारा करता है.

    आतंकवाद और कट्टरपंथ पर भी बोले शी

    राष्ट्रपति शी ने इस मंच से आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ SCO द्वारा लिए गए सामूहिक फैसलों की सराहना की. उन्होंने कहा कि यह संगठन पहला ऐसा बहुपक्षीय समूह है, जिसने इन खतरों के खिलाफ ठोस और संयुक्त कार्रवाई की है.

    शी ने कहा, "हमने बहुपक्षीय रूप से खतरनाक विचारधाराओं और हिंसा का मुकाबला किया है. SCO केवल एक संगठन नहीं, बल्कि स्थिरता और शांति का आधार बन गया है."

    SCO बनाम G7: वैश्विक शक्ति संतुलन की नई तस्वीर

    शी जिनपिंग की यह टिप्पणी इस बात का भी संकेत है कि चीन अब G7 जैसे पारंपरिक पश्चिमी गुटों की तुलना में SCO और BRICS जैसे 'ग्लोबल साउथ' के संगठनों को वैकल्पिक वैश्विक नेतृत्व के रूप में देख रहा है.

    • SCO अब सिर्फ सुरक्षा मंच नहीं रहा.
    • यह एक राजनीतिक, आर्थिक और कूटनीतिक प्लेटफॉर्म बन चुका है.

    इसमें रूस, भारत, चीन, पाकिस्तान, ईरान, तुर्किए जैसे देशों की उपस्थिति इसे अमेरिका-केंद्रित विश्व व्यवस्था का संतुलन बनने की शक्ति देती है.

    शी जिनपिंग के भाषण के रणनीतिक संदेश-

    अमेरिका की एकतरफा नीति की आलोचना: बिना नाम लिए, उन्होंने साफ कर दिया कि अब चीन ऐसे किसी भी एकतरफा फैसले को स्वीकार नहीं करेगा जो दूसरों पर थोपे जाएं.

    बहुध्रुवीय विश्व की वकालत: "हम सभी को साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहिए" यह लाइन बताती है कि चीन अब शक्ति के केंद्रीकरण की जगह विकेंद्रीकरण और सहयोग चाहता है.

    विकासशील देशों का नेतृत्व संभालने की कोशिश: चीन अब अपने आपको ग्लोबल साउथ का नेता दिखाने की कोशिश कर रहा है, खासकर ऐसे समय में जब पश्चिमी देश कई जगहों पर राजनयिक असफलता झेल रहे हैं.

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